आजादी की लड़ाई की शुरुआत की बात है। गांधीजी ने ‘असहयोग आंदोलन’ का आह्वान किया था। वैसी देशव्यापी हड़ताल इतिहास में कभी देखी नहीं गई थी ! लगने लगा था कि अंग्रेजों के पांव उखड़ जाएंगे, लेकिन तभी गांधीजी ने अचानक पूरा...
नंदिता मिश्र आज हम जिस दुनिया में जी रहे हैं उसमें संचार और सम्पर्क के साधनों की कोई कमी नहीं है। जितना व्यक्तिगत सम्पर्क इस समय हो रहा है, इतना पहले कभी नहीं हुआ होगा। मोबाईल ने तो हमारी दुनिया ही...
चंद्रकांत देवताले समाज के सुख दुख को अपने साहित्‍य में स्‍थान देने वाले यशस्वी कवि चंद्रकांत देवताले ने मूल रूप से हिंदी कविता में बदलाव के पक्षधर रहे हैं। साहित्‍यकार देवताले अपने समय और भविष्य के कवि थे। वे सच...
भारत में घुमंतू, अर्ध-घुमंतू और गैर-अधिसूचित जनजातियों के संरक्षण और भविष्य की योजनाओँ पर विचार विमर्श की प्रक्रिया चल रही है। गैर-अधिसूचित जनजातियों, घुमंतू जनजातियों और अर्ध-घुमंतू जनजातियों को भी गरिमा पूर्ण जीवन जीने का अधिकार है। ऐसे समुदायों...
शिक्षा,खासकर बुनियादी शिक्षा समाज और सरकार की नजरों में लगातार गैर-जरूरी होती जा रही है। इस बदहाली का लाभ उठाने के लिए अनेक निजी कंपनियां खडी हो रही हैं जिनका एकमात्र उद्देश्य भरपूर मुनाफा कूटना होता है। ऐसे में...
आज 6 फरवरी है । यह दिन भारत में भी सुरक्षित इंटरनेट दिवस के रूप में मनाया जाता है । इसका उद्देश्य इंटरनेट का उपयोग ज्ञान और मनोरंजन के लिए करने के साथ ही इंटरनेट से होने वाले विभिन्न...
न्यायपालिका लोकतंत्र का तीसरा सबसे अहम् स्तम्भ है| सर्वोच्च न्यायालय के कई फैसलों के बावजूद आये दिन निचली अदालतों में वकीलों की हड़तालें जारी हैं| वकील हडताल पर जाकर स्वयं उसी सर्वोच्च न्यायालय के खिलाफ जाते रहते हैं जो...
आज से 76 साल पहले महात्मा गांधी हम सबसे सदा के लिए विदा हुए थे। उनके जाने के बाद का समय हमारे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास का समय रहा है, लेकिन इस दौर में गांधी एक प्रस्थान–बिन्दु...
ध्यान से देखें तो आज के दौर की समस्याओं, खासकर निजी समस्याओं को आपसी भरोसे के बल पर निपटाया जा सकता है, लेकिन विडंबना है कि इस मामूली बात को कोई समझना नहीं चाहता। कैसे इस भरोसे को पुनर्स्थापित...
आजादी के साढ़े सात दशकों बाद भी सीवर-सेप्टिक टेंक की सफाई में जान देते अनेक सफाईकर्मी हमारे विकास का ही मुंह नहीं चिढाते, बल्कि उस सामाजिक ताने-बाने को भी शर्मिंदा करते हैं जिसमें एक तबके को दूसरे की वीभत्स...

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