पर्यावरणविद् राजेन्द्रसिंह ने सेवा सुरभि के कार्यक्रम में कहा

इंदौर, 23 अप्रैल। इंदौर एक पानीदार शहर है, लेकिन यहां की नदी आईसीयू में पहुंच गई है। उसकी बीमारी का सही ईलाज करने के बजाय आप उसे ब्यूटी पार्लर में ले जा रहे हैं। मैं 1994 में पहली बार इंदौर आया था। यह ऐसा सांस्कृतिक शहर है, जो किसी भी मुद्दे पर सामूहिक चिंतन कर उनका निराकरण ढूंढ लेता है। हर जगह वाटर रिचार्जिंग कामयाब नहीं होते। यह समझ से परे बात है कि जब यहां नर्मदा का अगला चरण आ गया तो फिर धरती का पेट खाली कर बोरिंग क्यों किए जा रहे हैं?  यहां का वास्तविक वाटर बैंक बहुत तेजी से खाली हो रहा है। शहर के युवा महापौर को इस मामले में पूरी संजीदगी के साथ प्रयास करना होंगे। शहर में अभी बैंगलुरू जैसे हालात नहीं बने हैं।

पानी वाले बाबा के नाम से प्रख्यात और तरुण भारत संघ के संस्थापक जल विशेषज्ञ राजेन्द्र सिंह ने मंगलवार को प्रेस क्लब सभागृह में संस्था सेवा सुरभि द्वारा आयोजित ‘बैंगलुरू जैसे जल संकट से बचने के लिए क्या करें इंदौर’ विषय पर बोलते हुए उक्त बातें कहीं। प्रारंभ में आई.आई.एस.टी. के ग्रुप एडवाइजर अरुण भटनागर, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, पद्मश्री जनक पलटा, अनिल त्रिवेदी, अरविंद बागड़ी एवं राजेन्द्र सिंह ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

यह शहर अभी भी पानीदार है।

राजेन्द्र सिंह ने इंदौर की तारीफ के साथ अपने व्याख्यान की शुरुआत करते हुए कहा कि यहां के लोग एक साथ बैठकर किसी भी समस्या पर चिंता और चिंतन कर लेते हैं और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर निर्णय लेते हैं। मैं लंबे समय बाद यहां आया हूं और कुछ हद तक देखा भी है कि यहां क्या-क्या बदला है। यह शहर अभी भी पानीदार है। 1994 में पहली बैठक में नर्मदा के अगले चरण के पानी को इंदौर लाने की बात हुई थी, जो अब पूरी हो चुकी है, लेकिन कुछ बातें चिंताजनक कही जाना चाहिए – एक तो यह कि यहां का जो वास्तविक वाटर बैंक है वह बहुत तेजी से खाली हो रहा है। धरती के नीचे का पानी क्यों निकाला जा रहा है, जबकि यहां नर्मदा का पानी आ चुका है, यह समझ परे है।

दूसरी बात यह है कि हर जगह वाटर रिचार्जिंग कामयाब नहीं होते। जहां धरती के ऊपर लगे पौधों से सामान्य रूप से पता चल जाता है कि वहां की मिट्टी में पानी है या नहीं। इसलिए यह जरूरी है कि जहां भी रिचार्ज करना है, वहां पहले जांच कर लें और उसके बाद रिचार्ज करें।

इंदौर की नदी आईसीयू में चली गई है

जहां तक इंदौर की कान्‍हा नदी की बात है मुझे लगता है कि वह आईसीयू में चली गई है। उसे एक बहुत बड़े डाक्टर की जरूरत है। बीमारी कुछ और है, लेकिन उसका उपचार आप ब्यूटी पार्लर में ले जाकर कर रहे हैं। इस पर जो भी पैसा भी पैसा खर्च हो रहा है, वह सही उपचार पर होना चाहिए।

पानी के लिए दुनिया लड़ रही और हम पानी बर्बाद कर रहे

राजेन्द्र सिंह ने कहा कि आजादी के बाद हमने देश को संवारा नहीं है बल्कि बर्बाद कर दिया है। आजादी के समय देश में चार प्रतिशत जमीन सूखी थी। इसमें मप्र की एक इंच जमीन भी नहीं थी। आज देश की 62 प्रतिशत जमीन सूख रही है। यहां जमीन में से पानी निकाला तो जाता है पर रिचार्ज नहीं होता। उन्होंने कहा कि बादल और बारिश की हर एक बूंद सहेजना जरूरी है। आज दुनियाभर में एक दर्जन युद्ध पानी की वजह से चल रहे हैं। अभी इंदौर में बैंगलुरू जैसे संकट के हालात नहीं है। बेहतर यही होगा कि अपने प्राकृतिक संसाधनों को ठीक करें और उपलब्ध जल का सही उपयोग करें।

समय रहते इंदौर के हालात सुधर जाएंगे- महापौर

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि निगम ने एक लाख घरों में वाटर हार्वेस्टिंग लगवाया है। वंदे जलम अभियान के तहत हम 27 तालाबों की चैनल खोल रहे हैं। इस साल से इनमें पिछले साल से ज्यादा पानी भरा जाएगा। नर्मदा के चौथे चरण का पानी भी लाने की तैयारी है। इंदौर के हालात हम बिगड़ने नहीं देंगे।

महापौर पुष्यमित्र भार्गव को इंगित करते हुए पानी वाले बाबा ने कहा कि वे युवा हैं और उन्हें काफी लम्बे समय तक काम करना है। मुझे उम्मीद है कि शहर के साथ-साथ यहां की नदी की सेहत सुधरेगी तो महापौर भी अधिक समय तक स्वस्थ और दीर्घायु बने रहेंगे। नदी के आसपास के क्षेत्र में अतिक्रमण भी हो रहे हैं। नदी के ब्लू, ग्रीन और रेड झोन के अनुसार कार्रवाई होना चाहिए।

इस अवसर पर संस्था सेवा सुरभि की ओर से महापौर पुष्यमित्र भार्गव को शहर की जल समस्या के संदर्भ में प्रतिवेदन संस्था के संयोजक ओमप्रकाश नरेड़ा ने भेंट किया, जिसका वाचन कार्यक्रम के सूत्रधार संजय पटेल ने किया। अतिथियों का स्वागत पर्यावरणविद जयश्री सिक्का, अतुल शेठ, अनिल मंगल आदि ने किया। कार्यक्रम की भूमिका पर्यावरणविद ओ.पी. जोशी ने प्रस्तुत की। संजय पटेल ने मंच संचालन किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

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