आजादी के बाद से हमारे देश में जिस तौर-तरीके का विकास हुआ है उसने आदिवासी इलाकों में उसे विनाश का दर्जा दे दिया है। खनन, वनीकरण, ढांचागत निर्माण और भांति-भांति की विकास परियोजनाओं ने आदिवासी इलाकों की मट्टी-पलीत कर...
श्रम आधारित गांव की, खेती की संस्कृति की वापसी हो रही है। गांव की पारंपरिक खान-पान संस्कृति बच रही है। इस तरह की मुहिम को आंगनबाड़ी जैसी योजनाओँ से भी जोड़ा जा सकता है। बाड़ियों में सब्जियों की खेती...
आदिवासियों की जीवन शैली, उनकी परंपरागत खेती किसानी और जंगल का खानपान का अत्यधिक महत्व है। जंगलों का लगातार कटते जाने का सीधा असर लोगों की खाद्य सुरक्षा पर पड़ रहा है। आदिवासियों ने अब जंगल और खेती बचाने...
देशभर के वन विभागों की बुनियाद मानी जाने वाली ‘वैज्ञानिक वानिकी’ कई बार कितनी असमाजिक, अवैज्ञानिक साबित होती है, यह झारखंड राज्य के निर्माण की इस सच्ची कहानी से समझा जा सकता है। कैसे छोटा-नागपुर इलाके के संथाल, उरांव...
मध्यप्रदेश में आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले में नर्मदा-तट के गांव ककराना को भी, आसपास के कई गांवों की तरह, सरदार सरोवर परियोजना की डूब का सामना करना पडा था, लेकिन इलाके में सक्रिय ‘खेडूत मजदूर चेतना संगठ’ से जुडे...
आदिवासी समाज के पास खान-पान का अपना एक तंत्र है। यह अपने आप में पूर्ण है तथा इसी के चलते आदिवासी समाज शताब्दियों से स्वयं को स्वस्थ व प्रसन्न बनाए रखे हुए हैं। आधुनिक औद्योगिक खेती ने मनुष्य से...
भारत में निवास कर रहा आदिवासी समुदाय ’’विकास’’ की आधुनिक अवधारणा का शिकार होकर धीरे-धीरे अपने पारंपरिक रहवास से बेदखल हो रहा है। बांध से लेकर खनन तक, समस्त परियोजनाओं की सबसे ज्यादा मार आदिवासियों पर ही पड़ती है। पुष्पा...

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