सभी जानते हैं कि वाष्पीकरण के चलते बादल बनते हैं और बरसात होती है, लेकिन क्या ये बादल विशेष प्रकार की पत्तियों वाले जंगलों में भी बन सकते हैं? खासकर उन जंगलों में जो वाष्पीकरण वाले तटीय इलाकों से...
आपने अक्सर विज्ञान कथाओं पर आधारित फिल्मों में देखा होगा कि कैसे दो नज़दीकी प्रजातियां संकरण से एक विशाल जीव का रूप ले लेती हैं और निरंतर अनियंत्रित विकास करने लगती हैं। कुछ ही ऐसा मामला अब पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया...
‘विश्व पर्यावरण दिवस’ (5 जून) पर विशेष हर साल पर्यावरण दिवस के बहाने हम लगातार बदहाल होते अपने परिवेश का लेखा-जोखा तो कर लेते हैं, लेकिन उसे लेकर गंभीरता से कोई पहल नहीं करते। क्या हमारा यह व्यवहार प्रकृति, पर्यावरण और...
21 मार्च विश्‍व वानिकी दिवस जलवायु के जानकारों ने बताया कि कार्बन सोखने में जंगलों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। विश्व के जंगल कुल कार्बन उत्सर्जन का 30 प्रतिशत अवशोषण कर लेते हैं। ‘इंटरनेशनल पेनल आन क्लायमेट चेंज’...
गैर-मुनाफा संगठन कंज़रवेशन साइंस ग्लोबल के जीव विज्ञानी विन्सेंट स्लेब और उनके सहयोगियों ने 8 वर्षों तक 1210 बाल्ड और गोल्डन ईगल के ऊतक एकत्रित किए। लगभग 64 प्रतिशत बाल्ड ईगल और 47 प्रतिशत गोल्डन ईगल में दीर्घकालिक...
वनों के महत्व को समझने-समझाने में हम लगातार चूक कर रहे हैं। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि हम लगातार वनों को खोते जा रहे हैं। भारतीय वन सर्वेक्षण चाहे कितना भी दावा कर लें, पर वनों का...
पांच राज्यों की विधानसभाओं के आसन्न चुनावों में हमेशा की तरह वे सभी धतकरम किए जा रहे हैं जिन्हें हमारे मौजूदा तर्ज के लोकतंत्र ने आत्मसात कर लिया है, लेकिन क्या इस धमा-चौकडी में हमारे जीवन के लिए जरूरी...
शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पाया कि संरक्षण के लिए दुनिया भर की भूमि क्षेत्र की सख्ती से रक्षा करने से दुनिया के कुछ हिस्सों में लोगों के स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता...
पिछले दिनों छतरपुर जिले के बक्सवाहा इलाके में हीरा उत्खनन को लेकर भारी बवाल मचा था। कई पर्यावरणविदों ने पानी के लिए तरसते बुंदेलखंड में जंगल कटाई का विरोध किया था तो अनेक स्थानीय लोगों ने रोजगार के लिए...
प्रकृति के साथ इंसानी रिश्तों की बदहाली आए दिन हमें भीषण प्राकृतिक आपदाओं के रूप में भोगना पडती हैं, लेकिन इंसान इसे कभी सुधारने की कोशिश नहीं करता। करोडों साल के इतिहास में प्रकृति खुद अपने को बार-बार समाप्त...

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