आक्सफैम इंडिया की विषमता रिपोर्ट 2021
हाल ही में जारी हुई आक्सफैम इंडिया की विषमता रिपोर्ट 2021 से खुलासा हुआ है कि सार्वजानिक स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में भारत में बढ़ती सामाजिक-आर्थिक विषमता वंचित समुदायों के स्वास्थ्य परिणामों को विकृत...
कहा जाता है कि संकट में समस्याओं से निपटने की असली परीक्षा होती है। इस लिहाज से देखें तो कोरोना महामारी के दौरान हमारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की बुरी तरह भद्द पिटी है। इलाज के लिए दवाओं, उपकरणों और आक्सीजन...
सडक, रेल और वायु मार्गों के अलावा अब हमारी सरकार पारंपरिक जल-परिवहन के लिए उत्साहित हुई है। कहा जा रहा है कि पानी के छोटे-बडे जहाजों से माल ढुलाई सस्ती हो जाएगी। सवाल है कि क्या शुरुआती तैयारी के...
विकास के मौजूदा ढांचे में भूमि सर्वाधिक कीमती जिन्स मानी जा रही है, पूंजी और कारपोरेट हितों ने उस पर अधिक-से-अधिक कब्जा भी जमा लिया है, लेकिन क्या इस तरह से हम अपनी भोजन की बुनियादी जरूरतों को भी...
भूख हमारे समय की सर्वाधिक व्यापक और गहराई से महसूस की जाने वाली सचाई है, लेकिन उससे निपट पाने की कोई कारगर तजबीज अब तक हाथ नहीं लगी है। एक तरफ, तरह-तरह के खाद्य-सुरक्षा कानूनों और सरकारी, गैर-सरकारी प्रयासों...
उत्तराखंड की ताजा त्रासदी ने एक बार फिर उस सनातन सवाल को उछाल दिया है कि आखिर विकास के नाम पर होने वाली गतिविधियां हमारे विनाश की वजह क्यों बनती जा रहीं हैं? क्या उत्तराखंड में बनी और बन...
हाल में सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर दिल्ली में झुग्गी बस्तियों के 48 हजार परिवारों को अपनी जमीन से हटाने की रेलवे की पहल पर सरकार ने रोक लगा दी है। दिल्ली और देशभर में खलबली मचाने और गरीबों के...
अब ऐसा समय आ गया है जिसमें हमें विकास की अपनी समझ की गलती दिखाई देने लगी है, लेकिन फिर भी हम उसे मानना नहीं चाहते। यदि मान लेते तो शायद उसे बदलना नहीं, तो कम-से-कम सुधारना शुरु हो...
बढ़ते बैंक चार्जेस के कारण ग्राहकों के लिए बैंकों में अपना पैसा रखना मुश्किल होता जा रहा है। इस तरह की बैंकिंग प्रणाली से उनका भरोसा उठता जा रहा है। इन शुल्कों का भुगतान करने के बजाए ग्राहक अपनी...
गंगा को अब लोक राजनीति से ही बचा सकते हैं। यह लोक राजनीति के लिए सर्वश्रेष्ठ समय है। इस हेतु सभी अपनी निजी पहचान भूलकर एकाकर संगठित होकर लोक राजनीति में जुटें। गंगत्व बचाने का काम लोकतन्त्र में लोक...