राजेंद्र सिंह लोकतंत्र में जब ’तंत्र’ ही ’लोक’ के विरोध में खड़ा हो जाता है, तो लोक भी संगठित होकर अपने को मजबूत बना लेता है। लेकिन सरकार ने यह काम एक महामारी के दौरान किया है; जिसमें सामाजिक दूरियों...
सब जानते हैं कि आधुनिक विकास की बुनियाद प्रकृति-पर्यावरण, खासकर नदियों को क्रूरता से नष्ट करने पर टिकी है। यह भी सभी जानते-भुगतते हैं कि प्रकृति-पर्यावरण और नदियों की बर्बादी इंसानों को समाप्त कर सकती है, लेकिन इसे कोई...
जिस तेजी से शहरों के विकास हो रहे हैं, उसने नगर-नियोजन की अहमियत कई गुना बढ़ा दी है। इसमें उस आबादी का खास महत्व है जो आसपास के गांव-खेडों से रोजगार की आस में शहरों की तरफ खिंची चली...
सौंदर्य की नदी नर्मदा में जितना भी सौंदर्य बचा है, वह भी यात्रा वृत्तांत के पन्नों में सिमटने वाला है। नर्मदा नदी के किनारे प्रस्तावित 18 थर्मल एवं परमाणु बिजली परियोजना की स्थापित क्षमता 25 हजार 260 मेगावाट है।...
वीजू कृष्‍णन रोटी, कपडा और मकान की तरह बिजली भी जीवन की बुनियादी जरूरत बन गई है। जाहिर है, इन चारों अपरिहार्य उपादानों ने सेठों को अकूत पूंजी कूटने के भरपूर अवसर दिए हैं। बिजली क्षेत्र में सरकारें, तरह-तरह के...
नदियों को अहर्निश मां, पुण्‍य-सलिला, जीवन-दायिनी आदि का दर्जा देते रहने वाला समाज और उसके वोट से बनी सरकारें नदियों के साथ क्या और कैसा व्यवहार करते हैं, इसे जानने के लिए गंगा की बानगी काफी है। हजारों करोड...
विकास का मौजूदा मॉडल दरअसल विनाश को न्यौतता है, यह बात कोई दबी-छिपी नहीं रह गई है। ऐसे में कैसे हम अपने जीवन को जीने लायक बनाए रखें? हाल में बिज़नेस न्यूज-चैनल पर एक विज्ञापन देखा जिसमें बताया गया...
आंदोलन को धार देने के लिए अगला राष्ट्रीय सम्मेलन कहलगांव में चार दशक बाद फिर से नई चुनौतियों से लड़ने के लिए गंगा मुक्ति आंदोलन फिर से मैदान में आ चुका है। बिहार के मुजफ्फरपुर के चंद्रशेखर भवन में गंगा...
डॉ. भारतेन्दु प्रकाश भारत में पर्यावरण व धर्म को अत्यन्त व्यापक स्वरूप प्रदान किया गया है। इन दोनों की व्यवस्थित समझ से ही विकास संभव है। परंतु आधुनिक योजनाकारों ने इन तीनों की अलग-अलग व्याख्या कर पूरी मानवता को ही...
भारत अपनी बढ़ती युवा आबादी के साथ, एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। ‘मानव विकास संस्थान’ (आईएचडी) और ‘अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ (आईएलओ) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई ‘भारत रोज़गार रिपोर्ट – 2024’ युवाओं में रोज़गार के बहुआयामी परिदृश्य पर प्रकाश डालती है। भारत की...

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