विवेकानंद माथने

भले ही कोरोना वायरस से उपजी ‘कोविड-19’ बीमारी दुनियाभर को हलाकान कर रही हो, लेकिन आंकडों को देखें तो इसके ठीक उलट, डर की कोई बात दिखाई नहीं देती। उलटे, ‘कोविड-19’ से होने वाली मौतों को सामान्‍यत: होने वाली मौतों से जोडें भी दें, तो भी आंकडा पिछले सालों की तुलना में काफी कम दिखाई देता है। ‘कोविड-19’ ने लॉकडाउन लगवाया है जिसके नतीजे में मौत के अनेक आमफहम कारण चुप्पी साध गए हैं।

कोरोना से मनुष्य कम यमराज जादा डरे हुए हैं। ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ (डब्‍ल्‍यूएचओ) भले ही कह रहा हो कि साल के अंत तक भारत में कोरोना के कारण बडी संख्या में मौतें होंगी, लेकिन यमराज की चिंता दूसरी है। कोरोना जिस गति से फैल रहा है उसके बावजूद उससे हो रही मौतें इतनी ज्यादा नहीं हैं कि कुल मृत्यु का सालाना टारगेट भी पूरा किया जा सके। बल्कि लॉकडाउन होने से मृत्यु के अन्य अनेक कारणों से होने वाली मौतों में कमी आई है। भारत में इस साल जितनी मौतों का अनुमान किया गया था या पिछले साल जितनी मृत्यु हुईं थीं, उनकी तुलना में कोरोना संक्रमण काल की मौतों में बडी कमी आई है। लेकिन सच्चाई क्या है? क्या सचमुच कुल मृत्यु संख्या कम होने का दावा सही है? अगर यह सही है तो लोगों के मन से कोरोना का डर निकालने के लिये इस अध्ययन की मदद मिलेगी। यहां हम ‘कोरोना के मृत्यु संख्या पर असर’ की जांच-पड़ताल करने का प्रयास करते हैं। 

सरकार से प्राप्त आंकडों के आधार पर अमरावती शहर, अमरावती जिला, महाराष्ट्र राज्य और भारत में पिछले साल अप्रैल से जून के बीच हुईं मौतों का, इस साल उसी काल में हुईं मृत्यु से तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। अध्ययन के पहले ध्यान रखें कि कुल जनसंख्या और कुल मृत्यु संख्या के आंकडों में ‘वर्ल्डोमीटर’ और सरकारी आंकड़ों में थोड़ा अंतर दिखाई देता है और दूसरे, भारत में हर साल जितने मृत्यु होते हैं उनमें से लगभग 70 प्रतिशत मृत्यु ही पंजीकृत होती हैं।

अमरावती शहर की 2020 की अनुमानित जनसंख्या 7.52 लाख है। अमरावती में अप्रैल, मई, जून 2019 में कुल 1938 मृत्यु पंजीकृत हुईं थीं और 2020 के उसी समय में 1546. अर्थात कोरोना काल के इन तीन महिनों में 2019 की तुलना में 2020 में 392 मृत्यु कम हुए। अमरावती शहर के श्‍मशान घाट में दाहविधि करने वाले कर्मियों का कहना है कि पिछले साल की तुलना में कोरोना काल में कम मृतदेह जलाये जा रहे हैं। उनका यह कथन शहर में मृत्यु की संख्या कम होने की पुष्टि करता है। 

अमरावती जिले की 2020 की अनुमानित जनसंख्या 32.92 लाख है। पूरे जिले में अप्रैल, मई, जून 2019 में 4944 मौतें पंजीकृत हुईं और 2020 के इसी काल में 4117. अर्थात अमरावती जिले में कोरोना काल के इन तीन महिनों में 2019 की तुलना में 2020 में 827 मृत्यु कम हुईं। अमरावती जिले में 30 जून तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 569 थी और मृत्यु संख्या 23 थी।

महाराष्ट्र की 2020 की अनुमानित जनसंख्या 12.62 करोड़ है। उपलब्ध आंकडों के अनुसार महाराष्ट्र में वर्ष 2018 में कुल 6,78,706 मृत्यु हुई हैं। दो माह अप्रैल और मई में 1,05,743 मृत्यु पंजीकृत हुए थे। वहीं 2020 के इसी काल में केवल 70,424 पंजीकृत हुए हैं। अर्थात कोरोना काल के दो माह में 2018 की तुलना में 2020 में 35,319 की कमी आयी है, जबकि महाराष्ट्र में 31 मई तक कोविड-19 से 2286 मृत्यु हुए थे। 30 जून तक कोरोना संक्रमितों की संख्या 1,74,761 थी और कोविड-19 से 7855 मृत्यु हुए थे।

‘वर्ल्डोमीटर’ के अनुसार 2020 की भारत की जनसंख्या 138 करोड़ है और पिछले साल कुल 97 लाख मृत्यु हुए। वर्ष 2020 की सामान्य मृत्यु दर 7.3/1000 आंकी गई है, उसके अनुसार 2020 में कुल 1 करोड़ मृत्यु होने का अनुमान किया गया है। मतलब प्रतिमाह औसतन 8,21,190 मृत्यु और प्रतिदिन औसतन 27,397 मृत्यु होते हैं। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 2018 में पंजीकृत मृत्यु संख्या 69.50 लाख थी।

भारत में कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। अब हर आये दिन, एक दिन में सबसे ज्‍यादा संक्रमण और मृत्यु के आंकडे दिखाई देंगे। संक्रमण और मृत्यु दर के अनुसार गणना करने पर दो महीने बाद कोरोना संक्रमण में भारत दुनिया में नंबर एक पर और तीन महीने बाद कोरोना मृत्यु संख्या में भारत दुनिया में नंबर एक पर पहुंच सकता है। यह अनुमान किया जा रहा है कि इस साल दिसंबर तक भारत में लगभग 5 करोड लोग संक्रमित हो सकते हैं और 9 लाख लोगों की मृत्यु हो सकती है।

भारत में पहला कोरोना संक्रमण 30 जनवरी को और पहला कोरोना मृत्यु 12 मार्च को हुआ था। तबसे 30 जून तक ‘वर्ल्डोमीटर’ के अनुसार भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या 5.85 लाख थी और मृत्यु संख्या 17,410 थी। यह मृत्यु संख्या भारत में इसी काल में हुई औसतन माहवार मृत्यु की तुलना में बहुत कम है।

भारत में कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। अब हर आये दिन, एक दिन में सबसे ज्‍यादा संक्रमण और मृत्यु के आंकडे दिखाई देंगे। संक्रमण और मृत्यु दर के अनुसार गणना करने पर दो महीने बाद कोरोना संक्रमण में भारत दुनिया में नंबर एक पर और तीन महीने बाद कोरोना मृत्यु संख्या में भारत दुनिया में नंबर एक पर पहुंच सकता है। यह अनुमान किया जा रहा है कि इस साल दिसंबर तक भारत में लगभग 5 करोड लोग संक्रमित हो सकते हैं और 9 लाख लोगों की मृत्यु हो सकती है। यह बहुत बडी संख्या है, लेकिन इसके बावजूद कुल मृत्यु संख्या पिछले साल की तुलना में बहुत कम रहेगी।

भारत में करोना संक्रमण का ‘डबलिंग रेट’ शुरु में 3.4 दिन था। अब वह 21 दिनों पर पहुंचा है और यही ट्रेंड जारी रहा तो एक समय के बाद कोरोना संक्रमण की गति कम होकर स्थिर होने की संभावना है। वैज्ञानिक कहते हैं कि कोविड-19 की वैक्‍सीन आने के बावजूद कोरोना से मृत्यु होती रहेंगी, जैसे-टीबी को पूरी तरह ठीक करने के लिये इलाज होने के बावजूद भी हर साल लाखों लोगों की टीबी से मृत्यु होती है।

भारत में मृत्यु के प्रमुख दस कारणों में दिल की बीमारी, क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मनरी डिसीज, डायरिया, स्ट्रोक, लोअर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन, टीबी, नवजात शिशु मृत्यु, आत्महत्याएं, सड़क दुर्घटनाएं आदि हैं। वायरल संक्रमण के कारण प्रतिवर्ष कोरोना से कहीं ज्यादा मृत्यु होती हैं। भारत में हर साल लगभग 1.5 लाख लोग आत्महत्या करते हैं। सड़क दुर्घटनाओं में हर साल दो लाख से ज्यादा मृत्यु होती हैं। टीबी से हर साल 4.5 से 5 लाख लोगों की मृत्यु होती है।

भारत सरकार के पास ‘अपडेटेड’ आंकडे नहीं हैं इसलिये पूरी जरुरी जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई,  लेकिन महाराष्ट्र के आंकडों के आधार पर भारत में कुल मृत्यु का अनुमान किया जा सकता है। महाराष्ट्र की जनसंख्या भारत के 17-18 प्रतिशत के आसपास है। महाराष्ट्र में कोरोना से सबसे ज्यादा मृत्यु होने के बावजूद कुल मृत्यु में काफी कमी आई है। इस अध्ययन से यह सिद्ध होता है कि भारत में कोविड-19 की वजह से अनुमानित मृत्यु की तुलना में इस साल कुल मृत्यु में बडी कमी आयेगी।

मृत्यु संख्या कम होने का दावा सही है। हर साल की तुलना में कोरोना काल में मृत्यु बहुत कम हुई हैं। अब मनुष्य अपनी रोग-प्रतिरक्षा-प्रणाली मजबूत करने लगे हैं, तबियत का ज्यादा ध्यान रख रहे हैं इसलिये सभी बीमारियां कम हुई हैं। घरों से अनावश्यक बाहर निकलना बंद है। कारखाने बंद होने के कारण औद्योगिक दुर्घटनाएं कम हो रही हैं। सडक दुर्घटनाएं कम हुई हैं। प्रदूषण भी कम हो रहा है। लॉकडाउन होने से मृत्यु के बहुत सारे कारणों से होने वाली मौतों में कमी आयी है। 

‘यमराज’ ने बताया है कि भारत में उचित समय पर और पूर्व सूचना देकर लॉकडाऊन लगाया जाता, घर लौटते श्रमिकों को सही समय पर घर पहुंचाया होता और लोगों की जेब में पैसा डाला होता तो वे अपने मृत्‍यु के टारगेट से और भी दूर रह जाते। अब शायद सालाना टारगेट पूरा कराने के लिये दुनिया में सभी राजा, सभी देश एक दूसरों को युद्ध की चुनौती दे रहे हैं। कारपोरेट मीडिया के एंकर और कोरोना के डर से घर में बैठे लोग रोज पडोसी देशों को युद्ध की चुनौती दे रहे हैं। अगर यह हुआ तो तीसरा महायुद्ध यमराज की चिंता खत्म करने में मदद कर सकता है। (सप्रेस) http://www.spsmedia.in

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