नफरत और हिंसा से भरा पूर्वाग्रह अब भारत को धर्म-निरपेक्ष बनाकर जाति और वर्गों में बाँटना चाहता है। इसीलिए उनके हत्यारे अब सत्य और अहिंसा को केवल नफरत और हिंसा में बदलना, उनके सभी प्रतीकों को बदलकर, नष्ट करके...
पूंजी के बाजार में एक व्यवसाय की हैसियत से मीडिया के आ जाने से अव्वल तो वह जन सामान्य को अनदेखा करते हुए, बाजार-हितैषी खबरों का अबाध स्रोत बन जाता है और दूसरे, उसकी मार्फत आम समाज की राय...
कोविड-19 की विश्वव्यापी महामारी ने पूंजी को भी खुलकर खेलने की छूट दे दी है। ऐसे में विज्ञान सम्मत, समझदारी की सलाहें दबाई जा रही हैं और मुनाफे की खातिर गैर-जरूरी दवाएं, इलाज और ताने-बाने को तरजीह दी जा...
बेरोजगारी की विडंबना का एक नमूना यह भी है कि एक तरफ लाखों सरकारी पद खाली पडे हैं और उन्हें भरने के लिए जगह-जगह से मांगें तक उठ रही हैं, लेकिन दूसरी तरफ, बाकायदा प्रशिक्षित, अनुभवी उम्मीदवार बेरोजगारी भुगत...
अभी हाल में, दो लंबे दशकों के इंतजार के बाद भारत की एक युवती ‘मिस यूनिवर्स-2021’ का ताज हासिल करने में कामयाब हुई है। इसके साथ ही यह सवाल एक बार फिर उठ खडा हुआ है कि आखिर सुन्दरता...
सालभर से ज्यादा के किसानों के दिल्ली धरने में, तीन कानूनों की वापसी के बाद जिस बात का अडंगा लगा है वह ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ यानि ‘एमएसपी’ है। इसे अमल में कैसे लाया जाएगा? किन तरीकों से ‘एमएसपी’ को...
हजारों करोड रुपयों के राजस्व को ठेंगे पर मारते हुए पांच साल पहले बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू की गई थी, लेकिन क्या यह अपेक्षित सफलता पा सकी है? आंकडे और अनुभव बता रहे हैं कि एक तरफ ‘मद्यनिषेध’...
देश में आज भी कृषि के बाद दूसरा, सर्वाधिक रोजगार देने वाला हैन्डलूम क्षेत्र, जिसमें आजादी के आंदोलन की प्रतीक खादी भी शामिल है, किस हाल में है? अनुभव और आंकडे बताते हैं कि सरकारी नीतियों और उनके अमल...
डॉ. पीएस वोहरा
पिछले कुछ सालों के निजाम में हमारे आर्थिक विकास के लिए एक नया शब्द आया है – ‘आत्मनिर्भरता।अब देखना यह होगा कि आत्मनिर्भर भारत के लिए जरूरी रोडमैप के अंतर्गत अर्थव्यवस्था के लिए बनने वाली दूरदर्शी आर्थिक...
हजारों साल की भारतीय संस्कृति का सतत गुणगान करने वाले हमारे समाज में औरतें आज भी दोयम दर्जे पर विराजमान हैं। मर्दों की मर्दानगी को कुछ ऐसी हैसियत प्राप्त है कि वह जब चाहे, जैसे चाहे औरतों के साथ...