जेपी एक ऊर्जा थे ,रोमांच थे, आत्मीयता से भरी हुई एक प्रतीक्षा थे।आज़ादी के इतिहास को नए सिरे से लिखने की क्रूरता जब किसी दिन थक कर पस्त हो जाएगी, आइंस्टीन जैसा ही कोई संवेदनशील वैज्ञानिक विनोबा और जेपी...
हमारे समय में ऐसे कई महानायक हुए हैं जिन्होंने इतिहास की धारा को बदलने के प्रयास किए हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति लोकनायक जयप्रकाश नारायण रहे हैं जिनकी अगुआई में देश में तानाशाही की पहली कोशिश को सफलतापूर्वक रोका...
26 जून, 1922 को इन्दौर में जन्मे राहुल बारपुते का ‘जन्म शताब्दी वर्ष’ इन्दौर में मनाया गया। साहित्य, कला, संगीत, वास्तु-शिल्प, नाटक और शिल्पकला के दिग्गजों से राहुलजी की प्रगाढ़ मैत्री थी, लेकिन राहुलजी ने अपने आपको सम्मान पुरस्कार...
मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में सन 1987 से भील और भिलाला समुदाय के उत्थान के लिए काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता नीलेश देसाई को वर्ष 2022 के लिए प्रतिष्ठित जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्‍मानित किया गया है। नीलेश को...
विमल भाई के निधन से हिमालय की एक आवाज गुम हो गई दिल्‍ली, 15 अगस्‍त। प्रसिद्ध समाजसेवी, पर्यावरण विद, नदियों को बचाने के लिए जीवन भर संघर्ष करने वाले जुझारू नेता, राष्ट्रीय जनआंदोलनों के संगठन (एनएपीएम) के राष्ट्रीय समन्वयक विमल...
पी. गोपीनाथन नायर के निधन पर गांधी संस्‍थाओं ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि तिरुवनंतपुरम । गांधीवादी विचारक, स्वतंत्रता सेनानी और पद्मश्री से सम्मानित गांधी शांति प्रतिष्ठान के आजीवन सदस्य कार्यकर्ताओं के अंतिम स्तम्भ, सर्वोदय परिवार के वरिष्ठ साथी, स्वतंत्रता सेनानी, भूदान...
दुनियाभर के युवाओं में आज भी खासे लोकप्रिय चे ग्वेवारा को अमेरिका की ‘टाइम’ पत्रिका ने बीसवीं सदी के सौ ‘सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों’ में से एक माना है। आखिर कैसे बनते हैं, चे सरीखे युवा क्रांतिकारी? उनके आसपास की...
लेखन, पत्रकारिता, जनांदोलन, जनहित की पैरवी जैसे कामों की वजह से प्रसिद्ध, गोवा के क्लॉड और नोर्मा अल्वारिस किताबों की अपनी दुकान ‘अदर इंडिया बुक स्टोर’ के कारण भी सामाजिक, गैर-दलीय राजनीतिक और एनजीओ बिरादरी में पहचाने जाते हैं।...
सुंदरलाल बहुगुणा का नाम भारत और विदेशों में वन संरक्षण और पर्यावरण संघर्ष की प्रेरणा का प्रतीक बन गया। पश्चिमी घाट क्षेत्र के वनों को बचाने के लिए शुरू किए गए अप्पिको आंदोलन के वे एक महत्वपूर्ण प्रेरणा स्रोत...
कृष्णमूर्ति नहीं चाहते थे कि उन्हें याद भी किया जाए. उन्हें नमन, प्रणाम भी किया जाए, ऐसे मौकों पर किसी तरह की श्रद्धांजलि अर्पित की जाए, इसीलिए एक ‘भगवान’, मैत्रेय बुद्ध, अवतार और मसीहा का दर्जा मिलने के बाद...

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