डॉ. एस. एन. सुब्बराव पर केन्द्रित वेबीनार श्रृंखला में राजगोपाल पीवी मौजूदा दौर में कुछ लोगों में से भाई जी यानी डॉ. एस. एन. सुब्बराव एक हैं, जिन्होंने गांधीजी को देखा और उनके आंदोलन में भाग लिया। भाई जी ने...
रमेश भैया कन्नड़ भाषा की विद्वान, देवनागरी लिपि की प्रचारक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सुश्री चैन्नमा दीदी (94 वर्ष) का 21 दिसंबर 23 को पवनार आश्रम, वर्धा में ह्रदयगति रुक जाने से देहांत हो गया। चैन्‍नमा दीदी कई दिनों से...
इंदौर, 23 अप्रैल । विश्‍व पृथ्‍वी दिवस के मौके पर पर्यावरण संरक्षण अनुसंधान एवं विकास केंद्र (सीईपीआरडी), इंदौर द्वारा आयोजित पर्यावरण गोष्‍ठी में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में महत्‍वपूर्ण सेवाओं के लिए वरिष्‍ठ सामाजिक कार्यकर्त्‍ता, पत्रकार, पर्यावरण विकास पत्रिका...
संजय घोष : 26 वीं पुण्यतिथि आज संजय घोष की 26वीं पुण्यतिथि है, यह वैकल्पिक मीडिया और वालंटियर सेक्टर के लिए उन्हें और उनकी सोच को याद करने का सही अवसर है। दिल्ली में 1994 में चरखा डेवलमेंट कम्यूनिकेशन नेटवर्क...
जयप्रकाश नारायण क्या वर्तमान दलीय लोकतंत्र का कोई विकल्प हो सकता है? और यदि हो सकता है तो उसका स्वरूप कैसा होगा? इस सिलसिले में प्रस्तुत है, ‘सप्रेस’ के भंडार में से देश के मूर्धन्य नेता, स्वतंत्रता-संग्राम सेनानी स्व. श्री...
जेपी की संपूर्ण क्रांति के मूल में स्वतंत्रता समता और बंधुत्व की ही अवधारणा है। उन्होंने उसे भारतीय संदर्भ और अपने अंतरराष्ट्रीय अनुभवों से नया रूप दिया था। वे अपनी नैतिकता में हमारी पतित होती राजनीतिक व्यवस्था का शुद्धीकरण...
साढे सात दशक पहले बरसों की गुलामी से आजाद हुए भारत को क्या पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसा प्रधानमंत्री ही चहिए था? उनके करीब 17 साल के कामकाज को देखें तो यह सचाई खुलकर उजागर हो जाती है कि आधुनिक...
डॉ.कुमारप्पा अहिंसक अर्थव्यवस्था के जबरदस्त पैरोकार थे। गांधीजी के ग्रामोद्योग व ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विचारों को उन्होंने सबसे अच्छे ढंग से संप्रेषित किया। आजादी बाद भी उन्होंने सरकार को इस दिशा में कार्य करने की सलाह दी थी। गांधी जी...
महात्मा गांधी भी न केवल फांसी की सजा के विरोध में थे, वरन उन्होंने हिंसात्मक गतिविधियों में लिप्त, क्रांतिकारियों, नजरबंद लोगों की रिहाई की मांग लार्ड इरविन से की, जिन्हें अंग्रेजी हुकूमत ने बिना मुकदमा चलाए, बिना अभियोग लगाए...
4 नवंबर : पुण्य तिथि पर विशेष प्रभाष जोशी की परंपरा सिर्फ लोकभाषा में एक अच्छा अखबार निकालने की ही नहीं है। वे एक उच्च कोटि के कम्युनिकेटर हैं और अपने समाज के हितैषी और चिंतक। विवादों के बावजूद...

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