प्रशांत भूषण द्वारा स्वीकार की जाने वाली सजा लोगों के मन से सविनय प्रतिकार के फलस्वरूप प्राप्त हो सकने वाले दंडात्मक पुरस्कार के प्रति भय को ही कम करेगी। जैसे महामारी पर नियंत्रण के लिए उसके संक्रमण की चैन...
नर्मदा बचाओ आंदोलन के 35 बरस
‘सरदार सरोवर’ के प्रभावितों-विस्थापितों को पैंतीस साल पहले पुनर्वास के जो रंगीन सपने दिखाए गए थे, ठीक उसी तर्ज पर चालीस-पैंतालीस साल पहले तवा के विस्थापितों को भी ललचाया गया था। विस्थापन के नाम...
इस समय कोरोना संक्रमण के दुनिया भर में प्रतिदिन के सबसे ज़्यादा मरीज़ हमारे यहीं प्राप्त होने के साथ ही सरकार को और भी ढेर सारी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। इनमें चीन द्वारा लद्दाख़ में हमारे स्वाभिमान...
पिता की सम्पत्ति में बेटियों की बराबरी की हिस्सेदारी को लेकर 2005 में बने कानून को हाल में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से पुष्ट किया है। इस कानून को लेकर तरह-तरह की नकारात्मक- सकारात्मक बातें उठ रही हैं।
ऐसा नहीं...
कहा जाता है कि इंसान की बुनियादी फितरत में आहार, निद्रा, क्रोध, भय और मैथुन शामिल हैं। इनमें से भय हमारे जीवन के सर्वाधिक करीब है। क्या होता है, भय? उसके क्या प्रभाव होते हैं? हमारे मन में भय...
गंगा को अब लोक राजनीति से ही बचा सकते हैं। यह लोक राजनीति के लिए सर्वश्रेष्ठ समय है। इस हेतु सभी अपनी निजी पहचान भूलकर एकाकर संगठित होकर लोक राजनीति में जुटें। गंगत्व बचाने का काम लोकतन्त्र में लोक...
बेबाक टिप्पणी
एक प्रवक्ता की मौत से उपजी बहस का उम्मीद भरा सिरा यह भी है कि चैनलों की बहसों में जिस तरह की उत्तेजना पैदा हो रही है वैसा अख़बारों के एक संवेदनशील और साहसी वर्ग में (जब तक...
हमारे यहां समाज, संस्कृति और श्रम की एक धुरी हस्तशिल्प भी रही है। इसीलिए आजादी के पहले और बाद में भी हथकरघा उत्पादन स्थानीय संसाधनों के उपयोग, निजी श्रम और आपसी लेन-देन की खातिर अहमियत पाते रहे हैं। अब...
73वें ‘स्वतंत्रता दिवस’ (15 अगस्त) पर विशेष
व्यक्ति के ब्याह और जन्म आदि की वर्षगांठ की तरह किसी देश की आजादी की वर्षगांठ में अव्वल तो खुशी और समारोह होना ही चाहिए, लेकिन फिर इन अवसरों पर आत्म–समीक्षा भी की जानी चाहिए...
आजादी बहुत अधिक सजगता की मांग भी करती है। अक्सर तो हमें इसका अहसास भी नहीं होता कि वह वास्तव में हम आजाद नहीं या फिर जिसे आजादी समझ रहे हैं वह गुलामी का ही एक परिष्कृत रूप है।...