राजस्थान के उदयपुर में जो हुआ, उसके बारे में कोई लिखे भी तो क्या! इस देश की दुर्दशा कहाँ तक होगी, इसका अंदाजा लगाना ही मुश्किल है| धर्म या किसी विचारधारा के नाम पर होने वाली हिंसा मानव इतिहास...
आम नागरिक कारण जानना चाहता है कि एक तरफ़ तो सरकार अरबों-खरबों के अत्याधुनिक लड़ाकू विमान और अस्त्र-शस्त्र आयात कर सशस्त्र सेनाओं को सीमा पर उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना चाहती है और दूसरी ओर...
कस्बाई और ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में भाषा, खासकर मीडियम यानि माध्यम की भाषा का सवाल अक्सर बेचैन करता है। विज्ञान समेत ऊंचे दर्जे की कक्षाओं के अनेक विषय अंग्रेजी में होते हैं, लेकिन उन्हें सीखने-समझने की बच्चों की...
सत्ता और पूंजी की खातिर समाज को आपस में सतत युद्धरत, हिंसक बनाए रखने का नतीजा क्या एक व्यापक नरसंहार नहीं हो सकता? एक ऐसा नरसंहार जिसमें आम लोग अज्ञानतावश बडी शिद्दत से शामिल हो जाते हों? पिछले सौ-डेढ...
साठ के दशक में हमारे देश में आई ‘हरित क्रांति’ ने उत्पादन तो कई-कई गुना बढाया, लेकिन हमारे भोजन से पौष्टिकता गायब कर दी। देश भर में भोजन के नाम पर सिर्फ गेहूं और चावल परोसे जाने लगे और...
मानसिक रोग और बंदूक के दुरुपयोग के संबंध को लेकर एक बार फिर से अमेरिका में बहस छिड़ी हुई है| बंदूकों का प्रेमी देश कहता है कि मानसिक बीमारी के कारण ऐसी घटनाएँ होती हैं, न कि सिर्फ बंदूक...
शांति सबसे बड़ा मानवीय धर्म है
देश भर के वरिष्ठ विशिष्ट गांधीजनों ने चिंता जाहिर की है कि देश में यहां-वहां से लगातार ऐसी खबरें आ रही हैं जो बताती हैं कि भारतीय समाज के ताने-बाने को कमजोर करने की...
अख़बारों के पाठकों और राष्ट्रीय (राष्ट्रवादी?) चैनलों की खबरों के प्रति ईमानदारी और विश्वसनीयता के प्रति पाठकों और दर्शकों का भ्रम काफ़ी हद तक टूटकर संदेहों में तब्दील हो चुका है।उनका बचा हुआ भरोसा भी सरकारी इंजीनियरों द्वारा बनवाए...
बुद्ध के जीवन का आखिरी वाक्य उनके असाधारण रूप से प्रज्ञाशील होने को पूरी तरह स्थापित कर देता है। आज के समय में जब हर धर्म का अनुयायी सत्य को अपनी जेब में रखने का, उसके अकाट्य होने का...
कुछ तो खाद, दवाओं और कीटनाशकों से लदी-फंदी जहरबुझी पैदावार के घातक असर और कुछ नए धंधे की संभावनाओं के कारण हमारे यहां आजकल जैविक खेती की भारी धूम मची है, लेकिन क्या यह जैविक पैदावार हमारे जीवन में...