अप्रैल में ‘हिंसा से अहिंसा का संदेश’ देने के लिये तीन बागी समर्पण स्‍थलों से शांति यात्राएं निकलेगी जौरा (मुरैना)। 7 फरवरी। चंबल घाटी के जौरा स्थित महात्मा गांधी सेवा आश्रम में विख्यात गांधीवादी स्व. डा. एस. एन. सुब्बरावजी की...
संसद में बजट प्रस्तुत करने वाली देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के पास इस सहज सवाल का कोई जबाव है कि देश के कुल 63 अमीरों के पास उन्हीं के पिछले साल पेश किए गए केन्द्रीय बजट से ज्यादा...
30 जनवरी : गांधी शहादत दिवस गांधी की शहादत के लंबे 74 सालों बाद भी हम यदा-कदा उनकी प्रासंगिकता को लेकर सवाल सुनते-उठाते रहते हैं, लेकिन गांधी हैं कि तरह-तरह से हमें अपनी मौजूदगी जता देते हैं। हाल का, दिल्ली...
गांधी के नजरिए से मौजूदा लोकतंत्र की समीक्षा की जाए तो उसमें राज्य की सबसे छोटी प्रशासनिक इकाई ग्रामसभाएं और ग्राम-पंचायतें प्रमुखता से उभरती हैं, लेकिन धीरे-धीरे हमारे लोकतंत्र की बुराईयां गांव और उनके प्रशासनिक ताने-बाने तक पहुंच गई...
आचार्य राममूर्ति कर्मकांडों, मूर्तियों और खोखले ‘भजनों’ के बावजूद सब जानते हैं कि एक व्यक्ति और देश की हैसियत से हम गांधी को भूल गए हैं। यदि गांधी हमारे आसपास होते तो आज हमारी ऐसी आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक...
अपने समय की जरूरतों के मुताबिक विशिष्ट रहन-सहन को फैशन माना जाए तो महात्मा गांधी सर्वाधिक प्रासंगिक दिखाई देते हैं। इंग्लेंड, दक्षिण-अफ्रीका और भारत के अपने भिन्न-भिन्न जीवन काल में वहां की जरूरतों के अनुसार अपना वस्त्र-विन्यास बदलने वाले...
राष्ट्रपिता की छवि और उनके विचारों की हत्या करने के योजनाबद्ध प्रयासों, बापू के द्वारा स्थापित आश्रमों के आधुनिकीकरण के नाम पर किए जा रहे विनाश और गांधी को समाप्त करने के षड्यंत्रों के प्रति सत्ता के शिखरों का...
भुवनेश्वर : ओडिशा में होने वाले पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही वार्ड मेम्बर से लेकर जिला पंचायत सदस्यों तक के प्रत्याशी चुनाव में उतरने की तैयारी में जुट गए हैं। संविधान के अनुसार वार्ड सदस्य, सरपंच, पंचायत...
नफरत और हिंसा से भरा पूर्वाग्रह अब भारत को धर्म-निरपेक्ष बनाकर जाति और वर्गों में बाँटना चाहता है। इसीलिए उनके हत्यारे अब सत्य और अहिंसा को केवल नफरत और हिंसा में बदलना, उनके सभी प्रतीकों को बदलकर, नष्ट करके...
न्यायमूर्ति चंद्रशेखर धर्माधिकारी भूमंडलीकरण की असफलता और जलवायु संकट के चलते संपूर्ण गांधीवाद एक बार पुनः पूर्णतया प्रासंगिक हो गया है अतएव कुमारप्पा भी उतने ही महत्वपूर्ण बन गए है। कुमारप्पा जी सही अर्थों में ग्रामीणजनों के उद्धारक या ऋषि...

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