पांच राज्यों की विधानसभाओं के आसन्न चुनावों में हमेशा की तरह वे सभी धतकरम किए जा रहे हैं जिन्हें हमारे मौजूदा तर्ज के लोकतंत्र ने आत्मसात कर लिया है, लेकिन क्या इस धमा-चौकडी में हमारे जीवन के लिए जरूरी...
हमारे समय का मीडिया शायद सर्वाधिक सवालों का सामना करने वाला मीडिया है। इक्का-दुक्का उदाहरणों को छोड दें तो चहुंदिस उसे लेकर एक नकारात्मक छवि ही दिखाई पडती है। ऐसे में मीडिया की सबसे महत्वपूर्ण कडी की बदहाली में...
73वें गणतंत्र दिवस पर विशेष साल, हर साल नया होता है, लेकिन, जैसा मुक्तिबोध कहते हैं, ‘जो है, उससे बेहतर’ नहीं हो पाता। क्यों? क्या हमारे सोच और उसके अमल में ही कोई खोट है? या कि इसे कर पाने...
प्रधानमंत्री के क़द के व्यक्ति की सुरक्षा व्यवस्था में जो चूक हुई है वह चिंताजनक है। इस तरह की चूकों का असली ख़ामियाज़ा भी अफ़सरों को ही भुगतना पड़ता है। ममता बनर्जी और चरणजीत सिंह चन्नी में जितना फ़र्क़...
स्वराज के लिए गांधीजी राजनीतिक आजादी के साथ-साथ सामाजिक, नैतिक और आर्थिक आजादी आवश्यक मानते थे। लोकशाही की स्थापना के लिए सैनिक सत्ता पर नागरिक सत्ता की प्रधानता की लड़ाई वे अनिवार्य मानते थे। दरअसल आज सत्ता का आधार...
सार्वजनिक सम्पत्ति के निजीकरण की हुलफुलाहट में इन दिनों ठेका-प्रथा जारी है। हवाई-अड्डों, रेलवे-स्टेशनों, सडकों, कारखानों आदि को फिलहाल ठेके पर निजी कंपनियों को सौंपने के पीछे की नीयत आखिर निजीकरण नहीं तो और क्या है? ‘सरकार का काम...
वरिष्‍ठ गांधीजनों ने जारी किया संयुक्त बयान नईदिल्‍ली । 13 सितंबर । देश की प्रतिनिधि गांधीवादी संस्थाओं की ओर से यहां जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि कभी भारत का हिस्सा रहे अफगानिस्तान को हमें किसी...
आज़ादी के वक्त हुए विभाजन की विभीषिका का ईमानदार नीयत से किया जाने वाला कोई भी स्मरण उन आंतरिक विभाजनों को नियंत्रित करेगा जो नागरिकों को अलग-अलग समूहों में बाँटकर उन्हें अपनी स्वतंत्रता के प्रति आशंकित कर सकते हैं।...
74वें स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) पर विशेष देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने स्वाधीनता आंदोलन के नेताओं के सपनों और आकांक्षाओं का अत्यंत सारगर्भित वर्णन अपने प्रसिद्ध भाषण (ए ट्रिस्ट विथ डेस्टिनी) में किया था। उन्होंने कहा था ‘जिस...
दुनियाभर में वापरी जा रही लोकतांत्रिक प्रणाली व्यवहार में कितनी कारगर है, यह उसके मैदानी अमल से उजागर होता रहता है। व्यक्ति और समाज के स्तर पर लोकतंत्र के कसीदे काढने वाले अपने निजी, राजनैतिक और सामाजिक जीवन में...

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