चित्रकार, लेखक दिलीप चिंचालकर का पार्थिव शरीर पंचतत्‍व में लीन 14 नवंबर। एक मौन चित्रकार, पत्रकार, जिंदगी के कैनवास को खूबसूरत रंगों से सजाने संवारने वाले, प्रकृति सेवक और अपनी मौज में जीने वाले दिलीप चिंचालकर का पार्थिव शरीर...
11 सितंबर विनोबा भावे की 125 वां जयन्ती वर्ष महात्‍मा गांधी के आध्यात्मिक अनुयायी माने जाने वाले विनोबा अपने विचारों और उन विचारों के क्रियान्‍वयन में अनूठे थे। विडम्बना यह है कि सन्त, महात्‍मा और ईश्‍वर के दर्जे पर रखने...
14 अप्रैल – डॉ. भीमराव अंबेडकर की130वीं जयंती पर विशेष स्वतंत्रता, समानता, भाईचारा, बौद्ध धर्म, विज्ञानवाद, मानवतावाद, सत्य, अहिंसा आदि के विषय अम्बेडकरवाद के सिद्धान्त हैं। दलितों में सामाजिक सुधार, भारत में बौद्ध धर्म का प्रचार एवं प्रचार, भारतीय...
कोठी बिल्कुल जर्जर अवस्था में पहुँच चुकी है। सामने खड़े होने पर लगता है कि अपने ही ऊपर गिर पड़ेगी। यहाँ मियाँ बशीरुद्दीन से भेंट होती है। बुजुर्ग हैं। शूटिंग के दिनों के गवाह हैं। कोई महीने भर चली...
प्रभु जोशी / श्रध्‍दा सुमन इस कठिन समय में एक के बाद एक महत्वपूर्ण करीबी व्यक्तित्व हमसे बिछुड़ रहे है। यह हमारे समय का सबसे भीषणतम दौर है...। प्रभु जोशी जी का जाना हमारे लिए अपूरणीय व्यक्तिगत पारिवारिक क्षति है।...
इंदौर (सप्रेस) । प्रख्यात प्रकृति शोधक, विज्ञान लेखक व वनस्पति शास्त्री और शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय कालूराम शर्मा का 10 अप्रैल की दोपहर को निधन हो गया। वे 59 वर्ष के थे। उन्‍होंने पिछले दिनों ही कोरोना वैक्‍सीन...
जेपी की संपूर्ण क्रांति के मूल में स्वतंत्रता समता और बंधुत्व की ही अवधारणा है। उन्होंने उसे भारतीय संदर्भ और अपने अंतरराष्ट्रीय अनुभवों से नया रूप दिया था। वे अपनी नैतिकता में हमारी पतित होती राजनीतिक व्यवस्था का शुद्धीकरण...
देहरादून । सप्रेसमीडिया. इन । प्रख्यात पर्यावरणविद्, गांधी विचारक एवं चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा की हालत चिंताजनक बनी हुई है। एम्‍स ऋषिकेश में भर्ती श्री बहुगुणाजी को कल दोपहर में आइसीयू में शिफ्ट किया गया। श्री बहुगुणाजी...
महात्मा गांधी की रचनात्मक विरासत को संभालने वाले विनोबा भावे अपनी किन मान्यताओं और उन पर आधारित कैसे व्यवहार की वजह से जाने-पहचाने जाते हैं? और एक आम व्यक्ति की हैसियत से इसे कैसे समझा जा सकता है? प्रस्तुत...
लोहिया की विद्रोही चेतना अपने ढंग की अनोखी है। वह इतिहास की जरूरी बहसों को बढ़ाती है और व्यर्थ की बहसों को शांत करते हुए उसमें सामंजस्य बिठा देती है। डा. लोहिया अगर भगत सिंह और गांधी के बीच...

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