बाबा आमटे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार 2023 तमिलनाडु के आर. सुंदरेशन को दिया जाएगा

 चंद्रपुर, महाराष्‍ट्र। मध्‍यप्रदेश के वरिष्‍ठ सामाजिक कार्यकर्ता राज‍कुमार सिन्‍हा को वर्ष 2023 का Baba Amte बाबा आमटे सामाजिक कार्यकर्ता राष्ट्रीय पुरस्कार तथा 2023 का बाबा आमटे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार मदुरई, तमिलनाडु के आर. सुंदरेशन को दिये जाने की घोषणा की गई है। बाबा आमटे की 109वीं जयंती पर चयन समिति के अध्यक्ष और एकता अभियान के उपाध्यक्ष डॉ. सोमनाथ रोडे एवं बाबा आमटे एकता अभियान के अध्यक्ष डॉ. विकास आमटे ने इन पुरस्‍कारों की घोषणा की। इस पुरस्कार में 51,000 रुपये नकद, एक स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र शामिल है।

सचिव डॉ. अशोक बेलखोड़े ने बताया कि इन दोनों पुरस्कार विजेताओं को 11 फरवरी 2024 यानी Baba Amte बाबा आमटे की पुण्य तिथि पर आनंदवन, वरोरा, जिला चंद्रपुर, महाराष्ट्र में प्रमुख हस्तियों के हाथों पुरस्कार प्रदान करके सम्मानित किया जाएगा।

मदुरई, तमिलनाडु के आर. सुंदरेशन लंबे समय तक बाबा आमटे के सहयोगी रहे और उन्होंने किसानों के उत्थान के लिए अथक प्रयास किये हैं। खाद्य सुरक्षा, राष्ट्रीय एकता, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण आदि के लिए उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।

बाबा आमटे सामाजिक कार्यकर्ता राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले मध्‍यप्रदेश के वरिष्‍ठ सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार सिन्हा पिछले 30 वर्षों से नर्मदा नदी और नदी के किनारे रहने वाले समुदायों के संरक्षण की दिशा में काम कर रहे हैं। उनका संगठन, बरगी बांध विस्थपित और प्रभावित संघ, नर्मदा नदी की ऊपरी पहुंच में विनाशकारी परियोजनाओं के खिलाफ अभियान चला रहा है और बरगी बांध से प्रभावित लोगों के अधिकारों के लिए लड़ रहा है।  वे 1988 में अरुणाचल प्रदेश से गुजरात तक दूसरे भारत जोड़ो यात्रा के भागीदार थे। बाबा आमटे ने दो साइकिल मार्च का नेतृत्व किया था, जिसमें 200 युवाओं के साथ पूरे देश का भ्रमण किया गया, जो उस समय समाज में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाने में रुचि रखते थे। उन्हें बाबा आमटे से प्रेरणा मिलती है और उन्होंने इस कार्य को अपने जीवन का मिशन मान लिया है। उनका काम संघर्ष और निर्माण का अनोखा संगम है। उल्‍लेखनीय है कि श्री सिन्‍हा को इंडियन रिवर्स फोरम दिल्ली द्वारा नर्मदा नदी संरक्षण के लिए 2021 में राष्ट्रीय भगीरथ सम्मान भी दिया गया है। 

सचिव डॉ. अशोक बेलखोड़े ने बताया कि सुप्रसिद्ध समाजसेवी बाबा आमटे द्वारा परिकल्पित भारत जोड़ो अभियान के 36 वर्ष पूरे होने पर वर्ष 2023 में “बाबा आमटे एकता अभियान” नाम से एक ट्रस्ट की स्थापना की गई है। ट्रस्ट ने  बाबा आमटे के नाम पर एक ‘लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ और एक ‘सामाजिक कार्यकर्ता राष्ट्रीय पुरस्कार’ स्थापित करने का निर्णय लिया गया।

उन्‍होंने बताया कि इन पुरस्कार विजेताओं का सम्मान गांधीवादी विचारों, राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक सद्भाव, पर्यावरण संरक्षण, संघर्ष की भावना और बाबा आमटे और उनके द्वारा पोषित नैतिकता और मूल्यों का सम्मान करने जैसा है।

उल्‍लेखनीय है कि आज देश-दुनिया सामाजिक कार्यकर्ता मुरलीधर देवीदास आमटे को ‘बाबा आमटे’ Baba Amte के नाम से जानती है। उन्होंने कुष्ठ पीड़ितों, गरीबों के पुनर्वास और उनके अधिकार के लिए पूरा जीवन लगा दिया था। बाबा आमटे और उनकी पत्नी साधना आमटे ने 15 अगस्त 1949 को एक पेड़ के नीचे महाराष्‍ट्र के वरोरा, जिला चंद्रपुर में आनंदवन में एक अस्पताल की शुरूआत की थी। आज उनके मिशन को उनके बेटे-बहू आगे बढ़ा रहे हैं। अपनी नि:स्वार्थ सेवा के लिए आमटे को कई पुरस्कार और सम्मान दिए गए।

1973 में, आमटे ने गडचिरोली जिले के मडिया गोंड जनजातीय लोगों के लिए काम किया और लोक बिरादरी प्रकल्प की स्थापना की। बाबा आमटे कानून के अच्छे जानकार थे और उन्होंने वर्धा में प्रैक्टिस करना शुरू किया था। वह ब्रिटिश राज से स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में शामिल हो गए और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं के लिए एक रक्षा वकील के रूप में कार्य करने लगे। साल 1942 के भारत आंदोलन में जिन नेताओं को कैद किया था, उन्हें बाबा आमटे ने रिहा कराया। उन्होंने महात्मा गांधी के सेवाग्राम आश्रम में कुछ समय बिताया और फिर ता-उम्र गांधीवादी बनकर रहे। जब गांधीजी को यह पता चला कि उन्होंने ब्रिटिश सैनिकों से एक लड़की को बचाया है, तो गांधीजी ने उन्हें अभय साधक (सत्य के निडर साधक) रख दिया। उन दिनों कुष्ठ रोग को सामाजिक कलंक माना जाता था। इसके बारे में लोगों को जागरुक करने के साथ ही रोगियों का इलाज किया और उनकी सेवा भी की। इसके अलावा आमटे ने वन्यजीव संरक्षण और नर्मदा बचाओ आंदोलन के महत्व के बारे में जन जागरूकता फैलाने में बड़ी भूमिका निभाई।

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