समूचे शिक्षा और रचनात्‍मक समाज में शोक की लहर

उज्जैन, 10 मई । विगत 6 दशक से उज्जैन के शिक्षा और सामाजिक जगत में अनुकरणीय योगदान देने वाले वरिष्ठ गांधीवादी और भारतीय ज्ञानपीठ संस्थान के पितृपुरुष श्री कृष्णमंगल सिंह कुलश्रेष्ठ (85 वर्ष) का 9 मई की शाम निधन हो गया है। कृष्ण मंगल सिंह कुलश्रेष्ठ ने अपना पूरा जीवन महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और सामाजिक उत्थान के प्रति समर्पित किया। सर्वोदय आंदोलन के एक सेनानी के तौर पर उन्होंने युवापन से गांधी विचार को आत्मसात कर शामिल होना स्वीकार किया था।

भारत सेवक रत्न से अलंकृत श्री कृष्ण मंगल सिंह कुलश्रेष्ठ ने भूदान पदयात्रा सहित देशभर में अनेक पदयात्राएं की। आपने जयप्रकाश नारायण के समग्र क्रांति आंदोलन सहित कई सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी की। 1992-93 में अभिभाषक संघ उज्जैन के अध्यक्ष रहते हुए आपने 30 वर्षों तक वकालत के क्षेत्र में आदर्श स्थापित किये। खादी ग्रामोद्योग विकास मंडल के अध्यक्ष पद पर रहते हुए आपने ग्रामीण क्षेत्र में कई महिलाओं एवं ग्रामीणजनों को आत्मनिर्भर बनाया। आपके द्वारा स्थापित शैक्षणिक संस्थान भी महिला सशक्तिकरण के प्रमुख केंद्र है।

आजीवन खादी को धारण करने के व्रत के साथ आपने खादी के प्रचार- प्रसार में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। नदी संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में आपका योगदान अतुलनीय है। युवाओं में नेतृत्व कला और सृजन कला के प्रसार और सामाजिक जागरूकता का संदेश देने के लिए भारत के विभिन्न क्षेत्रों में वरिष्ठ गांधीवादी डॉ एसएन सुब्‍बराव जी के साथ आपने कई युवा शिविर आयोजित किए।

समाज में एकता और सद्भावना कायम करने के उद्देश्य से आयोजित अखिल भारतीय सद्भावना व्याख्यानमाला का आरंभ करके कुलश्रेष्‍ठजी ने उज्जैन के सामाजिक जगत में एक नए अध्याय का सूत्रपात किया।

आचार्य विनोबा भावे की प्रेरणा से उज्जैन में स्थापित शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थी शिक्षा के साथ संस्कार और मूल्य आधारित शिक्षा प्राप्त कर समाज और राष्ट्र का निर्माण करने की दिशा में सदैव प्रयास रहे।

अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर रहते हुए आपने समाज को विकास के नए शिखर तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देश और समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के पास भी आगे बढ़ने के समान अवसर उपलब्ध हो, इसी कल्पना को साकार करते हुए निरंतर कार्य करते रहें । उज्जैन शहर में प्रशांति धाम, चित्रगुप्त धाम की स्थापना में भी आपका उल्‍लेखनीय योगदान रहा है। साने गुरुजी द्वारा स्थापित आंतर भारती संस्था में भी आप आजीवन सक्रिय रहे।

कृष्णमंगलसिंह कुलश्रेष्ठ अपने पीछे पुत्र युधिष्ठीर एवं संदीप कुलश्रेष्ठ सहित भरापूरा परिवार छोड़ गये है। कुलश्रेष्ठ जी के निधन से समूचा शिक्षा और सामाजिक जगत स्तब्ध है।  

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