वरिष्ठ पत्रकार व साहित्‍यकार प्रमोद भार्गव अलंकृत होंगे डॉ. सरोजिनी कुलश्रेष्ठ सम्मान से

वरिष्ठ पत्रकार व साहित्‍यकार प्रमोद भार्गव को उपन्यास एवं कहानी लेखन के क्षेत्र में डॉ. सरोजिनी कुलश्रेष्ठ सम्मान से अंलकृत किया जाएगा। मध्यप्रदेश लेखक संघ द्वारा प्रतिवर्ष यह सम्मान ऐसे लेखक को दिया जाता है, जिसने उपन्यास और कहानी लेखन के क्षेत्र में देश में अपनी विशेष पहचान व प्रतिष्ठा बनाकर प्रदेश का गौरव बढ़ाया हो। इस नाते प्रमोद भार्गव का उपन्यास “दशावतार” बहुचर्चित हुआ है। जल्दी ही यह उपन्यास अंग्रेजी में भी पढ़ने को मिलेगा।

कहानी लेखन के क्षेत्र में प्रमोद भार्गव का अपना अलग स्थान है। उनकी लेखन में किशोरावस्था से ही रुचि रही। उनकी पहली कहानी मुम्बई से प्रकाशित नवभारत टाइम्स में छपी। फिर दूसरी प्रमुख कहानी ‘धर्मयुग’ में और सिलसिला चल निकला। 2008 में हंस में छपी कहानी ‘मुक्त होती औरत’ के प्रकाशन और प्रसिद्धि के साथ एक बार फिर से कहानी व उपन्यास लेखन की परिकल्पना कागज पर उतरने लगी। अपनी कहानियों में भार्गव ने अनेक ऐसी वर्जनाओं और कुरीतियों पर प्रहार किया है, जो समाज को जड़ बना रही हैं। भार्गव का एक अन्य कहानी संग्रह ‘शपथ पत्र’ भी चर्चा में रहा है। ‘दशावतार’ उपन्यास के अलावा उनके ‘प्यास भर पानी’, ‘नौकरी’ और ‘अनंग अवतार में चार्वाक’ भी हैं। एक बाल उपन्यास “शहीद बालक” भी प्रकाशित हुआ है। उनकी अन्य पुस्तकों में ‘भाषा और भाषाई शिक्षा के बुनियादी सवाल’, ‘1857 का लोकसंग्राम और रानी लक्ष्मीबाई’, ‘आम आदमी और आर्थिक विकास’, ‘पानी में प्रदूषण’, ‘पर्यावरण में प्रदूषण’ और ‘सहरिया आदिवासी : जीवन और संस्कृति’, ‘मीडिया का बदलता स्वरूप’ प्रमुख पुस्तकें हैं।

उल्‍लेखनीय है कि श्री भार्गव को साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में अब तक डेढ़ दर्जन से ज्यादा सम्मान मिल चुके हैं उनमें मध्य प्रदेश लेखक संघ, भोपाल द्वारा बाल साहित्य के क्षेत्र में 2008 का चंद्रप्रकाश जायसवाल सम्मान, 2009 मध्य प्रदेश शासन का रतनलाल जोशी आंचलिक पत्रकारिता पुरस्कार, ग्वालियर साहित्य अकादमी द्वारा साहित्य एवं पत्रकारिता के लिये डॉ. धर्मवीर भारती सम्मान, भवभूति शोध संस्थान, डबरा द्वारा भवभूति अलंकरण, पत्रकारिता के लिये पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी द्वारा मिर्जापुर में ‘टर्निंग इंडिया’ सम्मान आदि प्रमुख है। हिंदी के सभी प्रमुख समाचार पत्रों में नियमित लेखन में निरंतरता आज भी बनी हुई है।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें