जन स्वास्थ्य अभियान का 10 मई को ‘नेशनल डे ऑफ एक्शन’ का आयोजन

स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारों के प्रति सजग एवं जन सरोकार से संबंधित जन स्‍वास्‍थ्‍य अभियान सभी के लिए स्वास्थ्य अधिकार, टीकाकरण और रोकथाम सुनिश्चित करने के दिशा में व्‍यापक अभियान का आगाज करने जा रहा है। इसके तहत केंद्र व राज्‍य सरकारों से स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी मांगों को व्यापक रूप से प्रचारित करने के लिए 10 मई 2021 को “नेशनल डे ऑफ एक्शन” का आयोजन कर रहा है। जिसके अंतर्गत देश भर के स्वास्थ्य कर्मी, स्वास्थ्य कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता मेंलोगों के स्वास्थ्य के अधिकार की रक्षा करने और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करने के लिए वेबीनार, ऑनलाइन चर्चाओं, सोशल मीडिया आदि के माध्‍यम से आयोजन किया जाएगा।  

राष्‍ट्रीय जन स्‍वास्‍थ्‍य अभियान से जुडे अमिताभ गुहा, अभय शुक्ला, सरोजिनी एवंअमूल्य निधि ने बताया कि देशभर में लोग कोविड–19 महामारी के अब तक कुल 37 लाख से अधिक सक्रिय मामले और 2.4 लाख से अधिक मौतें आधिकारिक रूप से दर्ज की गई हैं। मरीज उपचार के हेतु अस्‍पतालों में उपयुक्त बेड, ऑक्सीजन और आवश्यक दवाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं और बढ़ती मौतों के कारण शमशानों में भी अत्यधिक दबाव है । वहीं दूसरी ओर बजाय  सत्तारूढ़ पार्टी के नेता धार्मिक और राजनीतिक सामूहिक कार्यक्रमों के माध्यम से महामारी को बढ़ावा दे रहे थे। इस संदर्भ को देखते हुए, जन ​​स्वास्थ्य अभियान (JSA) ने  मांग की है कि केंद्र और राज्य सरकारों को  जन स्वास्थ्य अधिकार, टीकाकरण और रोकथाम सुनिश्चित करने के प्रयास तत्काल शुरु कर अपनेदायित्वों को तत्काल पूरा करना चाहिए

जन स्‍वास्‍थ्‍य अभियान ने मांग की है कि कोविड ​​देखभाल के लिए नि:शुल्क उपचार प्रदान किया जाए और किसी भी कोविड ​या गैर-कोविड ​​रोगी की देखभाल से इनकार किये जाने पर रोक लगाई जाना चाहिए। सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सार्वजनिक अस्पताल में मध्यम या गंभीर कोविड रोगी  भर्ती होना चाहते हैं उन सभी रोगियों को मुफ्त इलाज दिया जाना चाहिए बिस्तर उपलब्ध न होने की स्थिति में सरकार का कर्तव्य है कि वह रोगी को किसी अन्य सार्वजनिक या निजी अस्पताल में स्थानांतरित करे और मुफ्त इलाज सुनिश्चित करे।

सरकारों को सार्वजनिक अस्पतालों में गंभीर कोविड देखभाल के लिए मौजूदा क्षमता को बढ़ाने के लिए आवश्यक रूप से मानव संसाधन, आवश्यक उपकरण, दवाओं के साथ अतिरिक्त ऑक्सीजन बेड की स्थापना करनी चाहिए। आपातकालीन कदम के रूप में, बड़े कॉर्पोरेट निजी अस्पतालों में उपलब्‍ध बेड्स को राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहित किया जाना चाहिए। सरकारों को सभी गैर कोविड ​​रोगियों जैसे तपेदिक, एचआईवी/एड्स, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विकारों और अन्य असंक्रामक रोगों के लिए प्राथमिक से लेकर तृतीयक स्तर की देखभाल के साथ ही प्रजनन और बाल स्वास्थ्य सेवाएँ नियमित रूप से प्रदान करना चाहिए और इन सेवाओं की बहाली के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं करना चाहिए।

इसके अलावा जन स्‍वास्‍थ्‍य अभियान ने मांग की है कि प्रभावी परीक्षण, कांटेक्ट ट्रेसिंग,आइसोलेशन सुविधाएं सुनिश्चित की जानी चाहिए। सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी लक्षण वाले रोगियों को अपने घर या आसपास जाँच सुविधा उपलब्ध हो सके और 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट भी मिल सके। रोग के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए, उचित कांटेक्ट ट्रेसिंग और सभी करीबी संपर्कों का क्वारेंटाइन सुनिश्चित करना चाहिए और साथ ही इन सभी का परीक्षण भी होना चाहिए। इसके लिए मजबूत सामुदायिक जुड़ाव और सामुदायिक स्वयं सेवकों की भागीदारी की महत्वपूर्ण होगी जो रोग के प्रसार को रोकने के लिए घर या संस्थागत क्वारेंटाइन के लिए लोगों को जरूरी शिक्षा और मदद करेंगे।

जन स्‍वास्‍थ्‍य अभियान ने यह भी मांग की कि प्राथमिकता के साथ कमज़ोर लोगों का सार्वभौमिक टीकाकरण सुनिश्चित किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार को वैक्सीन खरीद के लिए समान मूल्य निर्धारण की राष्ट्रीय नीति अपनानी चाहिए और निवेश बढ़ाकर टीके की आपूर्ति में तेज करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। राज्य सरकारों को टीकाकरण केंद्रों की संख्या को बढ़ाना चाहिए और टीकाकरण संबंधी हिचक को दूर करने के लिए सार्वजनिक शिक्षा को बढ़ावा देते हुए लोगों तक पहुंचने के लिए जन स्वास्थ्य आउटरीच कार्यक्रम तैयार किया जाना चाहिए।

जन स्‍वास्‍थ्‍य अभियान ने कहा कि सरकार को निजी क्षेत्र के शोषण और गैर जरूरी इलाज से बचाने की जरूरत है। निजी अस्पतालों में जाँच या उपचार कराने वालों मरीजों के लिए सरकारों को शुल्‍क निर्धारण करना चाहिए और सक्षम संस्‍थाओं द्वारा तैयार मानक उपचार दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से चिकित्सा और वित्तीय ऑडिट किया जाना चाहिए। सरकारों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि सार्वजनिक धन से संचालित स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के तहत जिन अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया है, वे इन योजनाओं के तहत पात्र लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा प्रदान करें।

जन स्‍वास्‍थ्‍य अभियान ने सरकार से यह भी अपेक्षा की है कि सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मानवाधिकारों के उल्लंघन को रोका जाए और कोविड -19 के नियंत्रण के नाम पर असहमति को दबाने और विचारों को व्यक्त करने की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जाए।

ये सार्वजनिक जानकारियाँ, महामारी के अधिक प्रभावी प्रबंधन और समस्या के बेहतर अनुसंधान और समझ के लिए आवश्यक है। वर्तमान में कोविड -19 से मौतों की अंडर-रिपोर्टिंग की जा रही है जो गंभीर है और इसे ठीक करने के लिए अलग से खास प्रशासनिक और स्वास्थ्य ढाँचों की आवश्यकता होगी।

सरकारों के लिए यह आवश्यक है कि वे ब्लॉक, जिला और शहर के स्तर पर मौजूदा भागीदारी समितियों का गठन या विस्तार करके नागरिक संगठनों और सामुदायिक समूहों के साथ समन्वित प्रयास करें। इसके अलावा, राज्य भर में स्वास्थ्य के लिए सामाजिक कार्रवाई की सुविधा प्रदान करते हुए, जमीनी स्तर पर तत्काल प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों, जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों, स्वास्थ्य क्षेत्र के नेटवर्क आदि को मिलाकर राज्य स्तरीय सार्वजनिक और सामुदायिक स्वास्थ्य टास्क फोर्स का तुरंत गठन किया जाए।

स्वास्थ्य कर्मचारियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए भी सरकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता देना चाहिए और पूरे स्वास्थ्य कर्मचारियों चाहे वे संविदा कर्मचारी हो या किसी परियोजना के हिस्से, सभी के लिए रोजगार के उचित नियम और शर्तें प्रदान करनी चाहिए।

सरकारों को पर्याप्त श्मशान स्थानों की व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहिए ताकि मृतक के परिवारों को अपनी बारी के इंतजार के अतिरिक्त आघात से न गुजरना पड़े। सरकारें यह भी सुनिश्चित करें कि मुख्य रूप से दलित / पिछड़ी जाति के समुदायों से श्मशान स्थलों पर काम करने वाले और जो खतरों का सामना कर रहे हैं, उन्हें मास्क, सैनिटाइज़र और अतिरिक्त मानदेय प्रदान किया जाए।

जन स्‍वास्‍थ्‍य अभियान ने इन दायित्वों को पूरा करने के लिए, नीतिगत उपायों की एक विस्तृत श्रृंखला की तत्काल आवश्यकता है, जिसे नेशनल डे ऑफ एक्शन के बयान में विस्तार से लिखा गया है (www.phmindia.org)। इसमें स्वास्थ्य देखभाल पर सार्वजनिक व्यय में भारी वृद्धि और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों का बड़े स्तर पर विस्तार, चिकित्सा ऑक्सीजन और दवाओं का पर्याप्त उत्पादन ओर आपूर्ति, टीके की आपूर्ति बढ़ाना और उचित सार्वजनिक नीतियों की एक श्रृंखला के माध्यम से इसके समान वितरण को सुनिश्चित करना शामिल है।

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