डॉ. एस. एन. सुब्बराव पर केन्द्रित वेबीनार श्रृंखला में राजगोपाल पीवी

प्रसून लतांत

मौजूदा दौर में कुछ लोगों में से भाई जी यानी डॉ. एस. एन. सुब्बराव एक हैं, जिन्होंने गांधीजी को देखा और उनके आंदोलन में भाग लिया। भाई जी ने गांधी, विनोबा और जयप्रकाश नारायण के बाद के अहिंसक आंदोलनों का नेतृत्व किया और लाखों युवाओं का जीवन परिवर्तित कर उन्हें राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में शामिल किया। उन्हें शांति कायम करने और गरीबी दूर करने के काम से जोड़ा।

भाई जी यानी डॉ. एस. एन. सुब्बराव दूरगामी भविष्य के संदेश है। भाई जी अपने देश में गांधी, विनोबा और जयप्रकाश नारायण के बाद सामाजिक क्षेत्र की एक ऐसी हस्ती हैं जिनका जीवन महात्मा गांधी के जीवन मूल्यों का संदेश है। कोशिश हो कि भाई जी को ज्यादा से ज्यादा लोग जानें। भाई जी कौन हैं क्या हैं, क्योंकि उनको जानने का मतलब शांति और अहिंसा को जानना होता है। श्रम निष्ठा, सांप्रदायिक सद्भाव, इमानदारी और गरीबों के हमदर्द होने की तमीज सीखना होता है। आज दुनिया में हर क्षेत्र में नेतृत्व का संकट है लेकिन सामाजिक क्षेत्र में भाई जी की वजह से ऐसा नहीं है। हमारे बीच भाई जी हैं जिनके जीवन से बहुत कुछ सीख सकते हैं। भाई जी के साथ रहना एक अलग बात है लेकिन उनके जीवन मूल्यों को उनकी तरह ही अपनाते हुए जीना और बात है और यह उनके साथ केवल रहने जैसी आसान बात भी नहीं।

भाई जी के बारे में ऐसी बातें एकता परिषद के संस्थापक और विश्व विख्यात गांधीवादी विचारक राजगोपाल पीवी ने कहीं। उन्होंने ये बातें राष्ट्रीय युवा योजना द्वारा आयोजित भाई जी पर केंद्रित और संजय सिंह द्वारा संचालित  वेबीनार श्रृंखला के तहत कहीं। राजगोपाल जी ने भाईजी के साथ अपने बिताए पलों का जिक्र करते हुए कहा कि मौजूदा दौर में कुछ लोगों में से भाई जी एक हैं जिन्होंने गांधीजी को देखा और उनके आंदोलन में भाग लिया। भाई जी ने गांधी, विनोबा और जयप्रकाश नारायण के बाद के अहिंसक आंदोलनों का नेतृत्व किया और लाखों युवाओं का जीवन परिवर्तित कर उन्हें राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में शामिल किया। उन्हें शांति कायम करने और गरीबी दूर करने के काम से जोड़ा।

भाई जी के व्यक्तित्व का विश्लेषण करते हुए राजगोपाल जी ने कहा कि भाई जी शिक्षक की तरह हैं लेकिन वे किसी को कुछ सिखाते नहीं बल्कि हम उनकी जीवनशैली को देखकर कुछ सीख सकते हैं। भाई जी इस बात को कहने के हकदार हैं कि महात्मा गांधी की तरह ही उनका जीवन भी उनका संदेश है। गांधी जी के बताए मूल्यों के संदेश हैं।
हैरानी व्यक्त करते हुए राज गोपाल जी ने कहा कि भाई जी 90 साल के हो गए और उनकी उम्मीद इस देश की युवा शक्ति से है। भाई जी का कहना है कि गांधी जी के बताए रास्ते से चलकर युवा ही राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं। देश और दुनिया को अहिंसक बना सकते हैं। भाई जी गरीबों की तकलीफ को अपनी तकलीफ समझते हैं। वे हर अंतिम व्यक्ति को न्याय दिलाने के हिमायती हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि मौजूदा दौर में वे गांधीयन जगत के एक निर्विवाद व्यक्तित्व हैं। उनकी सादगी, विनम्रता और मृदुल व्यवहार अनुकरणीय है।

चंबल घाटी में बागियों के समर्पण और फिर उनके पुनर्वास अभियानों का जिक्र करते हुए राजगोपाल जी ने बताया कि चंबल में बागियों का पहला समर्पण विनोबा जी के नेतृत्व में हुआ। दूसरा जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में हुआ । इसके बाद तीसरा और चौथा आत्मसमर्पण भाई जी के नेतृत्व में हुआ। भाई जी ने समर्पण के बाद की परिस्थितियों में बागियों के पुनर्वास और चंबल के युवाओं में नवजागरण का अद्भुत कार्य किया। यही वजह थी कि बागियों को न सरकार पर भरोसा था और ना ही संस्थाओं पर भरोसा था । उनका विश्वास केवल भाई जी पर था। राजगोपाल जी ने चंबल में अपने कार्यों कि जानकारी देते हुए बताया कि कहा कि हम लोग चंबल घाटी में बागियों के साथ बैठक कर रहे थे। इस बैठक में भाई जी भी मौजूद थे। बैठक के दौरान बागियों के दूसरे दल के लोगों ने गोलीबारी शुरू कर दी। सभी लोग बचने के लिए इधर उधर भागे। लेकिन भाई जी यथावत और ध्यान में लीन बैठे रहे। सभी लोग भाई जी की हिम्मत से चमत्कृत थे। उनसे पूछा गया कि कैसे बैठे रहे। तो उनका जवाब था कि भागते तो मारे जाते और नहीं भागते तब भी मारे जाते। गनीमत है कि हम मारे नहीं गए।

भाई जी के बहुआयामी व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए राज गोपाल जी ने कहा कि दुनिया में भाई जी जैसे लोग बहुत कम हैं, जो विभिन्न भाषाओं के जानकार हों और गा भी लेते हों। भाई जी कई भाषाएं बोलते हैं, हमेशा युवाओं के बीच रहते हैं और युवाओं को कई तरह के खेल खिला देते हैं। युवाओं के साथ श्रमदान अभियान में सक्रियता से भाग लेते हैं। फिर शाम को प्रार्थना कर सभी को आध्यात्म से भी जोड़ देते हैं। भाई जी बहुआयामी हैं और विविधता में एकता के हिमायती हैं। भाई जी के कई नाम हैं। उन्हें लोग सिंगिंग गांधी भी कहते हैं। बच्चों के बीच फुग्गा भाई के रूप में जाने जाते हैं।

गोपाल जी ने बताया कि भाई जी दिल्ली में गांधी शांति प्रतिष्ठान के 11 नंबर के कमरे में बहुत सादगी से रहते हैं। सुविधा जुटाने में उनकी कोई रुचि नहीं। उनका जीवन हमेशा काफी पारदर्शी रहा है। उन्होंने सार्वजनिक धन का कभी भी अपने हित में उपयोग नहीं किया है। इतने लंबे जीवन में उन पर कभी भी कोई आरोप नहीं लगा। उन्होंने सत्ता के लाभ लेने के लिए कभी प्रयास नहीं किया। लोगों ने उनको राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने के बारे में सोचा। लेकिन भाई जी को इन सब में कभी कोई  इच्छा नहीं हुई। आज भी वे श्रम शील होकर ऐसा जीवन जी रहे हैं जो दूरगामी भविष्य के संदेश हैं। हम आज भी उनकी जीवन शैली को देख कर बहुत कुछ सीख सकते हैं! (सप्रेस)

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