स्मृति शेष : फोटो पत्रकार राजीव कांत

कुमार कृष्णन

राजीव नाम से चर्चित राजीवकांत बिहार के चर्चित फोटो जर्नलिस्ट रहे हैं। उनके जीवन में,उनकी नैतिकता में, उनके संस्कार में पैसे महत्वपूर्ण नहीं रहे। वे जीवन को संपूर्णता के साथ जीते-देखते रहे। राजीवकांत ने 6 जुलाई 2023 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। निर्भीक पत्रकारिता के लिए मशहूर राजीवकांत की तबीयत पिछले कुछ दिनों से ठीक नहीं थी। वह निमोनिया से पीड़ित थे. पटना के पारस अस्पताल में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।

राजीवकांत से मेरी पहली 1984 में मुलाकात चर्चित छायाकार मनोज सिन्हा के साथ उनके पटना स्थित गर्दनीवाग आवास हुई। पत्रकारिता और  फोटोग्राफी पर महत्वपूर्ण चर्चा  हुई। उनकी तस्बीरें आज से तीन दशक पूर्व हर महत्वपूर्ण पत्र पत्रिकाओं में देखने को मिलते थे। राजीव जी की सबसे बड़ी खासियत थी कि वे तस्बीरें अपने कैमरे से संपादक और पत्रकार की स्टोरी के सिच्युशन के अनुसार खींचते थे। उनके हुनर का जादू ही कहा जाये कि हर तस्बीरें बोलती थी।

पिछले दिनों यानी इसी साल 17 मार्च को दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में अंग मदद फाउंडेशन द्वारा आयोजित तिलकामांझी राष्ट्रीय सम्मान समारोह में सम्मान लेने आए थे। हमारे साथ पत्रकार प्रसून लतांत, दीपक राव, बीरेन्द्र कुमार सिंह, प्रशांत कुमार निमिषा सिंह, और समाजसेवी राकेश मंडल जी थे। यह सम्मान उन्हें राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश द्वारा प्रदान किया गया। उन्होंने चर्चा के क्रम में कहा कि ” एक फोटो जर्नलिस्ट का  हर मजहब से नाता होता है… वो मंदिर भी जाता है और मस्जिद भी, फोटो जर्नलिस्ट का हर मजहब से नाता होता है। वो सुख – दुख, हंसी-उदासी हर तरह की यादें बनाता है, फोटो जर्नलिस्ट का हर इमोशन से नाता होता है। वो लेटकर, उठकर, बैठकर तो कभी टेढ़ा मेढा सा दिखता है, फोटो जर्नलिस्ट का हर एंगल से नाता होता है। वो अकेले के लिए भी दौड़ता है, और भीड़ के लिए भी, फोटो जर्नलिस्ट या हर सिचुएशन से नाता होता है। मत पूछ मेरे भाई एक फोटो जर्नलिस्ट क्या – क्या संजोता है हर पल की यादों की छवि वो हर हाथ में दे जाता है।” राजीव जी ऐसे फोटो जर्नलिस्ट रहे जो कैमरा एंगल,लाइट,लेंस आदि की बेहतर जानकारी के साथ साथ खबरों की समझ रखते थे। 

उनका ताल्लुक बिहार के एक प्रसिद्ध स्वाधीनता सेनानी के परिवार से था। उन्होंने सन् 74 से फोटोग्राफी की शुरुआत लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन से की। 120 कैमरा से फोटोग्राफी की शुरुआत की। बाद में 35 एमएम कैमरा कैनन,फिर पेनटैक्स और निकोन कैमरा और आँटो फोक्स  कैमरा बिहार में बतौर फोटो जर्नलिस्ट उन्होंने ही शुरुआत की । 

जय प्रकाश नारायण के छात्र आंदोलन के दौर में चर्चित पत्रिका दिनमान, धर्मयुग,ब्लिज सहित महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में जीवंत छायाचित्र प्रकाशित हुए। तस्बीरों में  1974 के आंदोलन को समझना हो तो राजीवकांत की तस्बीरों के माध्यम से समझा जा सकता है। बाद में चर्चित पत्रकार अरूण रंजन के साथ रविवार के लिए बिहार से छायाकार रुप में कार्य करने लगे। अंग्रेजी के महत्वपूर्ण चर्चित समाचार पत्र ‘स्टेटमैंन’ के लिए चर्चित पत्रकार अम्बिका नन्द सहाय के साथ बिहार से महत्वपूर्ण घटनाओं को कबर करते रहे। प्रेस बिल के खिलाफ आंदोलन के दौरान  की लाठीचार्ज की फोटो सभी अखबार में साथी छायाकार के मदद से छपी, क्योकि सरकार की फरमान था की लाठीचार्ज की फोटो अखबार में नहीं छ्प सके। लंबे अर्से तक दैनिक आज से भी जुड़़े रहे। बाद में पीटीआई, दि हिन्दू, फ्रंट लाईन,स्पोर्ट्स स्टार से जुड़े।

80 के दशक में महात्मा गांधी पर की गयी स्टोरी चर्चित रही। वेलछी काण्ड, देलेलचक-भगौरा, भूमि संघर्ष, लहसुना से बिक्रम हथियार प्रदर्शन, भागलपुर दंगा ,भागलपुर आंखफोड़ काण्ड ,बारा काण्ड की तस्बीरें काफी चर्चित रही। रविवार के सम्पादक एस पी सिंह भी इनकी तस्बीरों के कायल थे।

कोविड के दौरान उनके पुत्र रोहित और पुत्री सरस्वती ने उस दौर के खींचें फोटो के निगेटिव स्कैन किए है। जल्द ही उनके फोटोग्राफ्स की पुस्तक आने वाली थी। बिहार एवं देश के सभी बड़े नेता की फोटोग्राफ्स, जेपी, विनोबा भावे,इंदिरा गाँधी, चरण सिंह, चन्द्रशेखर जी,वी पी सिंह, देवी लाल, कर्पूरी ठाकुर,राजीव गाँधी, अटल बिहारी वाजपेई, लाल कृष्ण अडवाणी का कवरेज उन्होंने  किया है। सभी लोगों के फोटोग्राफ्स किताब में हैं।

अप्रैल माह में  जब उनके पटना स्थित आवास पर पूर्व अपर नि:शक्तता आयुक्त कुशेश्वर दास जी के साथ मिला तो उन्होंने वहुमूल्य तस्बीरों दिखाया था। यह पुस्तक प्रकाशित होती इससे पहले से इस दुनिया से रूखसत हो गए।

फोटोग्राफी व रचनाएं आने वाली पीढीयों के लिए एक सांस्कृतिक धरोहर है। वे प्राय: कहते थे कि फोटोजर्नलिज्म‚ फोटोग्राफी की अन्य शाखाओं‚ जैसे; दस्तावेजी फोटोग्राफी‚ सामाजिक वृत्तचित्र फोटोग्राफी‚ स्ट्रीट फोटोग्राफी और सेलिब्रिटी फोटोग्राफी से अलग है। इसमें एक कठोर नैतिक ढांचा होता हैं‚ जिसमें ईमानदारी तथा निष्पक्ष दृष्टिकोण एक नैतिक तत्व हैं‚ जो दृढ़ता से पत्रकारिता को संदर्भित करता है। फोटो पत्रकार‚ समाचार मीडिया में योगदान करते हैं‚ तथा समुदायों को एक दूसरे से जोड़ने में मदद करते हैं। वे अच्छी सूझ-बूझ वाले तथा जानकार होते हैं और रचनात्मक तरीके से समाचार देने में सक्षम होते हैं। जिससे समाचार सूचनात्मक के साथ मनोरंजक भी लगता है।

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