इन दिनों, छह से 18 नवंबर ’22 के दौरान, मिस्र के शर्म-अल-शेख में ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ का सालाना जलवायु सम्मेलन, कॉप-27 जारी है। इसमें दुनिया भर के करीब सौ राष्ट्र-प्रमुख बढती गर्मी और नतीजे में भीषण जलवायु-परिवर्तन पर विचार-विमर्श...
वैसे हमारे समाज में अवसाद कोई संकट नहीं माना जाता, लेकिन अब शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार बढती आत्महत्याओं ने इस मान्यता को खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, यहां तक कि पंजाब सरीखे ‘हरित-क्रांति’ वाले...
इस समय में भी धर्म को लेकर कट्टरता और क्रूरता, संकीर्णता और अंधविश्वास की प्रवृत्तियां जोर पकड़ रही हैं। ऐसे समय में जब धर्म आपस में वैमनस्यता बढाने के लिए उपयोग किए जा रहे हों, कैसे धर्म की...
भोपाल, 29 सितंबर। स्वयंसेवी संस्थाओं की नेटवर्किंग एवं कार्यकर्ताओं के दक्षता विकास में संलग्न एनजीओ पाठशाला ने अपने द्वितीय स्थापना दिवस के मौके पर 28 सितम्बर को समर्थन संस्था परिसर, भोपाल में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वरिष्ठ सामााजिक कार्यकर्त्ता पद्मश्री...
डेढ़ महीने पहले हिन्दी की लेखिका गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत समाधि’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘टूम ऑफ सैंड’ को ‘अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार’ से नवाजा गया है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित होने वाला किसी भारतीय भाषा का यह पहला...
सेना में चार साल की भर्ती के लिए प्रस्तावित 'अग्निपथ’ योजना को लेकर खासतौर पर युवाओं में बवाल मचा है। क्या यह हिंसक प्रतिरोध पिछले सालों के सरकार के व्यवहार का प्रतिफल नहीं है? सरकार इसी योजना को सबसे...
आज के दौर में भारत की अधिकांश कामकाजी आबादी युवा है, लेकिन उसे हम उपयुक्त रोजगार मुहैय्या नहीं करवा पा रहे। नतीजे में वह आज्ञाओं, आदेशों की दम पर खडी जमातों का हिस्सा बनकर तरह-तरह की वैध-अवैध गतिविधियों में...
राजस्थान के उदयपुर में जो हुआ, उसके बारे में कोई लिखे भी तो क्या! इस देश की दुर्दशा कहाँ तक होगी, इसका अंदाजा लगाना ही मुश्किल है| धर्म या किसी विचारधारा के नाम पर होने वाली हिंसा मानव इतिहास...
बच्चों के विरूद्ध अपराधों के मामलों में कानूनी प्रावधान अत्यावश्याक है। लेकिन कानून के साथ ही सामाजिक जागरूकता भी अत्यावश्यक है। इसे कानून के साथ ही सामाजिक समस्या अधिक माना जाना चाहिए। इस हेतु सामाजिक आंदोलन की आवश्यकता है...
संविधान में आदिवासियों को मिले विशेष दर्जे को आमतौर पर अनदेखा किया जाता रहा है। मसलन – राज्यपालों को अनुसूचित क्षेत्रों में विशेषाधिकार दिए गए हैं, ताकि वे आदिवासियों की विशिष्ट जीवन पद्धतियों, खान-पान और भाषा आदि को देखते...