न्यायमूर्ति चंद्रशेखर धर्माधिकारी
भूमंडलीकरण की असफलता और जलवायु संकट के चलते संपूर्ण गांधीवाद एक बार पुनः पूर्णतया प्रासंगिक हो गया है अतएव कुमारप्पा भी उतने ही महत्वपूर्ण बन गए है। कुमारप्पा जी सही अर्थों में ग्रामीणजनों के उद्धारक या ऋषि...
धर्म संसद में महात्मा गांधी पर की गई टिप्पणियों पर गांधी संस्थानों का बयान
नईदिल्ली (सप्रेस) । देशभर की गांधी विचार से जुड़ी शीर्षस्थ संस्थानों ने हाल ही में हरिद्वार व रायपुर में हुई धर्म संसद में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी...
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में नफरत फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग
28 दिसंबर, 2021 (सप्रेस)। विभिन्न राज्यों में चुनाव का समय आते ही ध्रुवीकरण का खेल आरंभ हो गया है, जो खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका...
पट्टीकल्याणा में राष्ट्रीय युवा शिविर युवाओं के संकल्प के साथ सम्पन्न
पट्टीकल्याणा (सप्रेस)। गांधी विचार एवं दर्शन पर 23 से 26 दिसंबर तक चार दिवसीय आवासीय राष्ट्रीय युवा शिविर स्वाध्याय आश्रम, पट्टीकल्याणा में युवाओं के संकल्प के साथ सम्पन्न हुआ।...
देश में आज भी कृषि के बाद दूसरा, सर्वाधिक रोजगार देने वाला हैन्डलूम क्षेत्र, जिसमें आजादी के आंदोलन की प्रतीक खादी भी शामिल है, किस हाल में है? अनुभव और आंकडे बताते हैं कि सरकारी नीतियों और उनके अमल...
27 नवंबर। वरिष्ठ सर्वोदय विचारक, मौन साधक, योग गुरु और विसर्जन आश्रम के पर्याय किशोर गुप्ता पंचतत्व में विलीन हो गए। श्री गुप्ता का शनिवार को सुबह हृदयगति रूकने से निधन हो गया था। वे 75 वर्ष के थे।...
27 नवंबर । जाने माने गांधी विचारक एवं विसर्जन आश्रम, इंदौर के ट्रस्टी, योगाचार्य श्री किशोर गुप्ता का आज सुबह हृदयगति रूकने से निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे। आज सुबह उन्हें बैचेनी महसूस होने पर नजदीक...
जैसे-जैसे सत्ता समाज में बसे गांधी को नकारती है, वैसे-वैसे गांधी और-और सामने आते जाते हैं। पिछले सात-आठ सालों में गांधी की ठोस पुनर्वापसी इसी बात का प्रमाण है। इसके उलट, यदि सत्ता गांधी को खारिज करना चाहती है...
आजादी के आंदोलन में जिस खादी को संघर्ष के एक कारगर औजार की हैसियत से नवाजा गया था, वह खादी आज बाजार में तरह-तरह के दबावों के चलते अपना अस्तित्व तक गंवा रही है। सवाल है, वस्त्र-स्वावलंबन की मार्फत...
गांधी के विचारों की प्रासंगिकता हमारे समय में लगातार, रोज-ब-रोज बढती जा रही है। उनके विचार जो उनके ही मुताबिक उनके व्यवहार में से निकले थे, अब बहुत जरूरी होते जा रहे हैं। क्या इन्हें आज की दुनिया अंगीकार...