समाज में नफरत फैलाने वाले धर्म संसद से बच कर रहने का आह्वान : सर्व सेवा संघ

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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में नफरत फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग

28 दिसंबर, 2021 (सप्रेस)। विभिन्न राज्यों में चुनाव का समय आते ही ध्रुवीकरण का खेल आरंभ हो गया है, जो खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है। हरिद्वार के धर्म संसद में कई उग्र संतों ने मुस्लिमों के कत्लेआम का आह्वान किया है। हिंदू महासभा के महामंत्री ने हिंदू सनातन धर्म को बचाने के लिए हथियार के प्रयोग की धमकी दी है।

सर्वोदय समाज की शीर्षस्‍थ संस्‍था सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष श्री चंदन पाल ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में समाज में नफरत फैलाने वाले ऐसे धर्म संसद से लोगों को बच कर रहने का आह्वान किया। धर्म संसद में उपस्थित कई संतों ने नाथूराम गोडसे का गुणगान किया और संत धर्मदास महाराज ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि यदि वे लोकसभा में होते तो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सीने में छह गोली दाग देते क्योंकि उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय संपदाओं पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है।

अभी हरिद्वार के धर्म संसद की सनसनी समाप्त नहीं हुई थी कि रविवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की धर्म संसद में हिंदू नेता कालीचरण ने महात्मा गांधी के बारे में अपशब्द कहते हुए उनके कातिल नाथूराम गोडसे की प्रशंसा की और उन्हें धन्यवाद दिया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति पर केंद्र सरकार की खामोशी कई सवाल खड़े करती है। ऐसी घटनाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। धर्म का उद्देश्य समाज में विभेद पैदा करना नहीं बल्कि लोगों के मध्य समरसता पैदा करना है।

सर्व सेवा संघ के प्रबंधक ट्रस्टी श्री अशोक शरण ने कहा यह दुखद है कि राजनैतिक पार्टियां तुछ राजनैतिक लाभ के लिए ऐसे घटनाओं को प्रश्रय दे रही है। कांग्रेस पार्टी के सदस्य ने तो रायपुर संसद में भाग भी लिया और मुख्यमंत्री समापन समारोह में भाग लेने वाले थे, पर विवाद की स्थिति में भाग नहीं लिए। नफरत फैलाने वाले ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए जिसका मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में नफरत फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। भारत सहित पूरे विश्व में गांधी को मानने वाले लोग हैं। देश के जानेमाने वकीलों द्वारा उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को स्वतः संज्ञान लेने के लिए लिखा गया पत्र यह जाहिर करता है कि देश में संवैधानिक व्यवस्था को कायम रखने के लिए अभी भी प्रतिबद्धता है।

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