वरिष्‍ठ सर्वोदय विचारक, गांधीवादी किशोर गुप्‍ता पंचतत्व में विलीन

27 नवंबर। वरिष्‍ठ सर्वोदय विचारक, मौन साधक, योग गुरु और विसर्जन आश्रम के पर्याय किशोर गुप्‍ता पंचतत्व में विलीन हो गए। श्री गुप्‍ता का शनिवार को सुबह हृदयगति रूकने से निधन हो गया था। वे 75 वर्ष के थे। उनके देहांत से सर्वोदय व गांधी विचारों के साथ समाज के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शनिवार को रीजनल पार्क मुक्तिधाम में उनके चिरंजीव दीपक, सौरभ, समन्‍वय ने चिता को मुखाग्नि दी। 75 वर्षीय किशोर भाई वरिष्ठ गांधीवादी थे। उन्होंने जीवन भर गाँधी-विनोबा के विचारों को आत्मसात किया। उनके निधन से सर्वोदय आंदोलन और सामाजिक क्षेत्र को बड़ी क्षति के रूप में महसूस किया जायेगा।

उनके शरीर को अंतिम दर्शन के लिए इंदौर के विसर्जन आश्रम स्थित जीवनशाला परिसर में रखा गया था। अंतिम संस्कार के समय इंदौर शहर के गणमान्‍य नागरिक, सामाजिक कार्यकर्त्‍ता, सर्वोदय गांधी विचार से संबंधित संस्‍थाओं, रचनात्‍मक संगठनों के प्रतिनिधि एवं आत्‍मीय जन बड़ी संख्‍या में उपस्थित थे। उनमें सामाजिक कार्यकर्त्‍ता एवं अभिभाषक अनिल त्रिवेदी, विसर्जन आश्रम के मंत्री अशोक खुराना, सर्वोदय प्रेस सर्विस के कुमार सिद्धार्थ, डॉ. सम्‍यक जैन, सर्वोदय शिक्षण समिति के अभय भरकतिया, अक्षय कुमार जैन, वरिष्‍ठ सामाजिक कार्यकर्त्‍ता मुकुंद कुलकर्णी, कस्‍तूरबा ट्रस्‍ट से जुडी सुश्री पुष्‍पा सिन्‍हा, सीईपीआरडी के उपाध्‍यक्ष, सदाचार समिति के डॉ. अनिल भंडारी, शफी शेख, प्रतापसिंह डांगी, चुन्‍नीलाल वाधवानी, राहुल बैनर्जी के साथ बड़ी संख्या में उनसे जुड़े लोग और शोकाकुल परिवार उपस्थित था।

मुक्तिधाम पर शोक सभा का आयोजन किया गया जिसमें जिसमें मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। विनोद गुप्‍ता ने शोक सभा का संचालन किया।

किशोर भाई का 50 साल के संघर्ष का साथ – सामाजिक कार्यकर्त्‍ता अनिल त्रिवेदी

सामाजिक जीवन के साथी किशोर गुप्‍ता के निधन पर समाजिक कार्यकर्त्‍ता अनिल त्रिवेदी ने श्रध्‍दांजलि देते हुए कहा कि किशोर भाई का 50 साल के संघर्ष का साथ था। वे पिछले कई वर्षों से मध्‍यप्रदेश व देश के सर्वोदय आंदोलनों, जयप्रकाश नारायण और रचनात्‍मक संस्‍थाओं के साथ काम करने वाले जुझारू साथी थे। वे बच्‍चों की शिक्षा के साथ साथ वंचित वर्ग के उत्‍थान के लिए भी प्रयासरत रहे। शुरू में उन्‍होंने पंचकुईयां इलाके के ट्रीचिंग ग्राउण्‍ड में स्‍कूल बनाकर रहना शुरू किया था। वे मीसा में 19 माह जेल में रहे। उन्‍होंने सार्वजनिक जीवन में  शिक्षा, योग, सर्वोदय, संगीत आदि जैसे कार्यों को आगे बढाया।

मृदुभाषी श्री गुप्‍ताजी का स्‍वभाव सीखने योग्‍य – पवन अग्रवाल

छावनी व्‍यापारी संघ के अध्‍यक्ष श्री पवन अग्रवाल ने कहा कि श्री गुप्‍ताजी के साथ चार दशक से अधिक समय तक संपर्क में रहा। जीवनशालाा में मेरी माताजी पढाने के वजह से मैं उनके संपर्क में आया। मृदुभाषी श्री गुप्‍ताजी का स्‍वभाव सीखने योग्‍य था। गांधी विचार धारा के एक और व्‍यक्ति अस्‍त हो गया है।

स्‍मृति को जीवंत रखने के लिए आध्‍यात्मिक, शिक्षा, एकात्‍मकता की दिशा में पहल हो – वरिष्‍ठ कार्यकर्त्‍ता नादिर हुसैन

98 वर्षीय वरिष्‍ठ कार्यकर्त्‍ता नादिर हुसैन नियामी श्‍मशाम घाट पर दो पहिया वाहन पर बैठकर उनको अंतिम बिदाई देने मुक्तिधाम पहुंचे थे। उन्‍होंने अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि 1966-70 में आचार्य विनोबा भावे का ग्रामदान, भूदान आंदोलन चरम पर था। ऐसे में श्री किशोर भाई ने रेल्‍वे की नौकरी छोड कर इंदौर में दीन दुखियों के लिए अपना सर्वस्‍व न्‍यौछावर किया। हमें उनकी स्‍मृति को बनाएं रखने के लिए शहर स्‍वच्‍छता के साथ आध्‍यात्मिक, शिक्षा, एकात्‍मकता की दिशा में अग्रणी हो।

उनकी जीवन शैली भी बहुत ही संतुलित थी – संजय सिंह

केंद्रीय गांधी स्‍मारक निधि के मंत्री संजय सिंह ने कहा कि किशोर भाई का अचानक चले जाना बहुत दुःखद है। इंदौर जाने पर् उनसे मिलना तय था।  नम्रता क्या है उनसे सीखा जा सकता था। उनकी जीवन शैली भी बहुत ही संतुलित थी। अचानक इस तरह से किशोर भाई का जाना अपूरणीय क्षति है ।

इंदौर के सर्वोदय समाज के प्रमुख अंग थे- बालकृष्‍ण जोशी

प्रदेश के वयोवृद्ध गांधी विचारक एवं मध्‍यप्रदेश गांधी स्‍मारक निधि  के पूर्व मंत्री बालकृष्‍ण जोशी ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि किशोर भाई गुप्‍ता हमारे इंदौर के सर्वोदय समाज के प्रमुख अंग थे। उनके निधन से बहुत बडी क्षति हुई है। इसकी पूर्ति असंभव है। मैं उनके निधन से स्‍तब्‍ध हॅू। अनेक घटनाओं का स्‍मरण होने लगा है।   

गांधी बिरादरी का एक सशक्‍त हस्‍ताक्षर मौन हो गया- डॉ. खुशालसिंह पुरोहित

पर्यावरण डाइजेस्‍ट, रतलाम के संपादक डॉ. खुशालसिंह पुरोहित ने कहा कि किेशोर भाई देहांत से गांधी बिरादरी का एक सशक्‍त हस्‍ताक्षर मौन हो गया। मेरा उनके साथ लगभग तीन दशक से संपर्क बना हुआ था। प्रदेश और इंदौर शहर में गांधी विनोबा विचार के सारथी के बिछुडने से एक बडी रिक्‍तता महसूस होगी।    

Kishore Bhai Gupta Shok Sabha

वे प्रतिबद्ध सर्वोदय सेवक थे – संतोष कुमार द्विवेदी

सामजिक कार्यकर्त्‍ता एवं सर्वोदय समाज से जुडे संतोष द्विवेदी ने कहा कि  किशोर भाई चलते-फिरते चले गए । बिना किसी शोर-शराबे के। बिना किसी डॉक्टर और अस्पताल का दरवाजा खटखटाये। वे पूरी शांति के साथ अंतिम यात्रा में निकल गए। उन्होंने 76 वर्षों का सार्थक जीवन जिया। वे प्रतिबद्ध सर्वोदय सेवक थे। विनोबा जी के भूदान, ग्रामदान और जेपी की संपूर्ण क्रांति के अग्रिम पंक्ति के साथी और सिपाही थे। बाद में उन्होंने शिक्षा और योग पर ध्यान केंद्रित किया। जीवनशाला और योग प्रशिक्षण उनके उत्तरार्ध जीवन के प्रमुख अभियान थे। योग में वे इतने तन्मय हुए कि लोग उन्हें ‘ योगाचार्य’ कहने लगे ।

किशोर भाई पहली से पहली मुलाकात विसर्जन आश्रम इंदौर में हुई थी । तब मानव मुनि एवं किशोर भाई की जोड़ी विसर्जन आश्रम का प्रबंधन देखती थी । तब यह आश्रम इंदौर एवं मालवा अंचल की सर्वोदय और अन्य सभी सामाजिक गतिविधियों का केंद्र था। हमने वहां कई युवा प्रशिक्षण शिविर चलाए। उन्होंने हर गतिविधि में आगे बढ़कर हमें सहयोग दिया। किशोर भाई उन सर्वोदय साथियों में थे, जो नए लोगों और नई गतिविधियों को जोड़ने एवं आगे बढ़ाने में व्यक्तिगत रुचि लेते थे। सर्वोदय परिवार और खासकर सर्वोदय की नई पीढ़ी उनका अभाव बहुत खलेगा। उनका जाना हम सबके लिए अपने किसी खास का जाना है जिसकी भरपाई अब कभी नहीं हो सकेगी।      

किशोर भाई के निधन पर देश भर के सामाजिक एवं रचनात्‍मक संस्‍थाओं की ओर से शोक संदेश प्राप्‍त हो रहे है। समाजवादी नेता रघु ठाकुर, नागरिक समिति के पं. दिनेश पुराणिक, दयाराम नामदेव,राकेश चांदौरे ने उनके निधन पर शोक व्‍यक्‍त किया है। कला प्रेमी व रचनात्‍मक संस्‍थाओं से जुडे संजय पटेल ने कहा कि गाँधी दर्शन को आचरण में आत्मसात करने वाले निराभिमानी व्यक्तित्व थे किशोर भाई। उनके निधन पर कई सामाजिक संस्‍थाओं ने श्रद्धा सुमन अर्पित किये है उनमें गांधी भवन न्‍यास, भोपाल, सोशलिस्ट पार्टी आफ इंडिया ,समाजवादी समागम ,किसान संघर्ष समिति और भारत पाकिस्तान बांग्लादेश पीपुल्स फोरम, अखिल भारतीय शांति और एकजुटता संगठन, श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति, इंदौर, अभ्यास मंडल, सेवा सुरभि, मध्‍यप्रदेश सेवक संघ, कस्‍तूरबा गांधी राष्‍ट्रीय स्‍मारक ट्रस्‍ट,  गांधी शांति प्रतिष्‍ठान केंद्र आदि उल्‍लेखनीय है।

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