जवाबदेही सुनिश्चित करने और हिंसाग्रस्त राज्य में शांति और न्याय की बहाली सुनिश्चित करने का अनुरोध

23 जुलाई, 2023। जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) समेत देश भर के सैकड़ों आंदोलनों और संगठनों का प्रतिनिधित्व करते हुए करीब 3,200 से अधिक सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों, कलाकारों, सेवानिवृत्त अधिकारियों और चिंतित नागरिकों ने भारत की माननीय राष्ट्रपति महोदया Droupadi Murmu द्रौपदी मुर्मू को एक दर्द-भरी अपील जारी की है। इस अपील में मणिपुर की बेहद गंभीर परिस्थितियों में, उनसे तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई। उनसे अनुरोध किया गया कि वे राज्य का दौरा करें, और सभी उत्पीड़ित व्‍यक्तियों, विशेष रूप से कुकी-ज़ो जन-जातीय महिलाओं को न्याय का आश्वासन दें, जिन्होंने अत्यधिक पीड़ा व यौन, शारीरिक और मानसिक हिंसा का सामना किया है।

इस अपील पर हस्ताक्षर करने वालों में प्रफुल्ल सामंतारा, डॉ. रूपरेखा वर्मा, मेधा पाटकर, हर्ष मंदर, प्रो. वर्जिनियस खाखा, रूथ मनोरमा, मीना कंदासामी, डॉ. गेब्रियल डिट्रिच, एलिना होरो, एस.आर दारापुरी, प्रो. संदीप पांडे, एग्नेस खारशिंग, होलीराम तेरांग, प्रो. रमा मेलकोटे, जीतेंद्र पासवान, रामाराव दोरा, अनंत फड़के, कल्याणी मेनन सेन, कविता कुरुगंटी, उल्का महाजन, दीपा पवार, डायाना टेवर्स, डॉ. मरूना मुर्मू, नलिनी नायक, शेरिंग चोपेल लेप्चा, गौतम मोदी, हेन्री टिफगने,, सुगाथा कुमारी, रोमिता रियांग, मधु भूषण, स्टेफी लॉबेई, मांशी आशर, अक्विला खान, प्रियंका सामी, ललिता रामदास, नंदिता नारायण, शक्तिमान घोष, अबिरामी, रैना, सैयद अली नदीम और कई सैकडों व्यक्ति शामिल हैं।

केंद्र और राज्य सरकार की भूमिका की भर्त्सना

अपील में केंद्र और राज्य सरकार की भूमिका की भर्त्सना की गई, जो न केवल 3 महीने से जलती मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने में विफल रही है, बल्कि वास्तव में जातीय तनाव को गहरा करने और बहुसंख्यक हिंसा को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार है, जिससे मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हो रहा है।

अधिकारियों व सत्ताधीशों की जवाबदेही सुनिश्चित हो

एनएपीएम की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि यौन हिंसा और हत्याओं के ‘वायरल’ मामले में ही नहीं, बल्कि सैकड़ों अन्य मामलों में (जैसा कि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने स्वयं स्वीकार किया), उचित कानूनी प्रक्रिया और उल्लंघनकर्ताओं, अधिकारियों व सत्ताधीशों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए, अपील ने एक व्यापक और समयबद्ध न्यायिक जांच का आह्वान किया। अपील हस्ताक्षरकर्ताओं ने महसूस किया कि उनकी भारी विफलता के चलते, केंद्रीय गृह मंत्री और मणिपुर के मुख्यमंत्री को नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी लेते हुए, शीघ्र पद छोड़ने के लिए कहा जाना चाहिए।

अनुसूचित जनजातियों की सूची में कोई असंवैधानिक बदलाव न किये जाने की अपील

इसके साथ, अपील में राष्ट्रपति से सभी प्रताड़ित समुदायों, विशेष रूप से जनजातीय महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करने का और यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया गया है कि  अनुसूचित जनजातियों की सूची में कोई असंवैधानिक और अनुचित बदलाव न हो। राष्ट्रपति महोदया से अपील की गई कि वन कानूनों में प्रतिगामी संशोधनों पर वे अपनी सहमति न दें, जिसका उत्तर-पूर्व और पूरे भारत में वन क्षेत्र और वन-आश्रित समुदायों पर दूरगामी, प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

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