मेधा पाटकर एवं अन्य 11 ट्रस्टियों पर दर्ज फर्जी एफआईआर रद्द करे सरकार

 2007 में सर्वोच्च न्यायालय ने पाया था झूठे आरोपों को बेबुनियाद

ज्ञातव्‍य है कि प्रीतम राज बड़ोले नामक युवक की शिकायत पर बड़वानी कोतवाली पुलिस ने आईपीसी की धारा 420 सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। जिसमें शिकायकर्ता ने नर्मदा नवनिर्माण अभियान को मिले 13.5 करोड़ रुपए के गबन करने का आरोप ट्रस्‍टीगणों पर लगाया है। एफआईआर में शिक्षा और जनजातीय बच्चों के नाम पर जुटाए गई राशि का देश विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल करने का आरोप है। 

यह भी आरोप लगाया है कि नर्मदा नव निर्माण अभियान एनजीओ द्वारा आदिवासी बच्चों की शिक्षा और अन्य सामाजिक कार्यों के नाम पर साढ़े तेरह करोड़ की राशि एकत्र कर कथित तौर पर राजनीतिक गतिविधियों और विकास परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में दुरुपयोग किया गया है। बडवानी, एसपी ने मीडिया से कहा है कि उनके पास शिकायत आई है और वे दोनों पक्षों की जांच करके प्रकरण दर्ज करेंगे।

आरोपों को बताया निराधार

जन आंदोलनों का राष्‍ट्रीय समन्‍वय से जुडी कमला यादव, नुरजी वसावे, देवराम कनेरा ने जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि नर्मदा नवनिर्माण अभियान के ट्रस्‍ट्रीज पर लगाये गये सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद है। नर्मदा नवनिर्माण अभियान की जीवनशालाऍ अस्तित्व में है और लगभग 30 वर्षों से जारी जीवनशालाओं से हजारों आदिवासी बच्चे शिक्षित होकर आगे बढ़े है। जीवनशालाओं के ही लिए दिया गया कोई भी चंदा किसी भी राष्ट्र विरोधी कार्य के लिए उपयोग में नहीं लाया गया है।

Jeevan Shala

उन्‍होंने कहा कि  हमारे हर कार्य के लिए जमा की गयी तथा खर्च की गयी राशि का हिसाब, ऑडिट एवं सभी कागजात वैध रूप से रखे जाते हैं। इस पर बेबुनियाद आरोप की शिकायत पर निष्पक्ष जाँच ही सच्चाई साबित कर सकती थी। बिना जाँच के आपराधिक प्रकरण दर्ज करने की प्रक्रिया यही दर्शाती है कि हमारे सामाजिक कार्य को बदनाम और बर्बाद करने की साजिश है।

जन आंदोलनों की आवाज को सरकार द्वारा कुचलने की कोशिश

वहीं किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष, पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम ने मेधा पाटकर एवं नर्मदा नवनिर्माण अभियान के अन्य 11 ट्रस्टियों पर दर्ज एफआईआर को तुरंत निरस्त करने की मांग की है। उन्‍होंने कहा कि पूर्व में भी इस तरह के अनर्गल आरोप लग चुके हैं तथा  सर्वोच्च अदालत ने जुलाई 2007 में जो फैसला दिया, उसमें नर्मदा आंदोलन पर लगाये आर्थिक स्त्रोतों से संबंधित आरोप बेबुनियाद पाये गए थे। डॉ. सुनीलम ने कहा कि यह जन आंदोलनों की आवाज को सरकार द्वारा कुचलने की कोशिश है।

डॉ. सुनीलम ने कहा कि शिकायतकर्ता प्रीतमराज बड़ोले ने अपना फेसबुक अकाउंट एफआईआर दर्ज होने के तुरंत बाद बंद कर दिया है। लेकिन फेसबुक से प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं संघ से जुड़ा है। जिससे पता चलता है  कि शिकायत के पीछे गहरी साजिश है।

डॉ सुनीलम ने कहा कि मेधा पाटकर द्वारा चलाए गए सभी आंदोलन संवैधानिक सिद्धांतों और मूल्यों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्‍य जन संगठनों को भयभीत कर चुप कराना है, जो कभी पूरा नहीं होगा।

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