सुदर्शन सोलंकी

बाढ़ आना एक सामान्य प्राकृतिक आपदा है किन्तु प्रकृति के विरुद्ध किए जा रहे मानवीय क्रियाकलापों के कारण बाढ़ की तीव्रता, परिमाण और विध्वंसता अत्यधिक बढ़ गई है। यदि हम प्रकृति के साथ ताल मेल बैठाकर चले तो बाढ़ ही नहीं अपितु कई तरह की आपदाओं से सुरक्षित रह सकेंगे।

बाढ़ एक ऐसी स्थिति है जिसमें कोई निश्चित भू-भाग अस्थायी रूप से जलमग्न हो जाता है और इस वजह से वहां का जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। बाढ़ आने के कई कारण होते हैं और भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में उसका कारण भिन्न-भिन्न होता है। भारत में बाढ़ के कुछ प्रमुख कारणों में अधिक वर्षा, भूस्खलन, नदियों और नालियों के मार्ग अवरुद्ध होना इत्यादि हैं। ज्यादातर बाढ़ कुछ विशेष क्षेत्रों और वर्षा ऋतु में ही आती है।

बाढ़ तब आती है जब नदी जल-वाहिकाओं में इनकी क्षमता से अधिक जल-बहाव होता है और जल, बाढ़ के रूप में मैदान के निचले हिस्सों में भर जाता है। बाढ़ के मामले में भारत विश्व का दूसरा प्रभावित देश है। मानवीय क्रियाकलापों, जैसे – अंधाधुंध वनों की कटाई,  प्राकृतिक अपवाह तंत्रों का अवरुद्ध होना तथा नदी-तल और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मानवों के रहवास की वजह से बाढ़ की तीव्रता, परिमाण और विध्वंसता अत्यधिक बढ़ गई है।

वर्तमान में देश की किसी भी नदी से डिसिल्टिंग यानी गाद हटाने का काम नहीं किया जाता है। पहले हमारे देश की ज्यादातर नदियां अविरल थीं। जिसकी वजह से बहती नदी में खुद को साफ करने और गहराई बनाए रखने की क्षमता होती थी। किन्तु अब नदियों में भी अतिक्रमण और अन्य मानवीय गतिविधियों से उनका बहाव अवरुद्ध हुआ है। इसके अतिरिक्त नदी पर विशालकाय बांध बनने से तो नदी का प्रवाह ही रुक गया है।

जमीन का सीमेंटीकरण करने से भी पानी जमीन के अन्दर नहीं जा पा रहा और बाढ़ का विकराल रूप ले रहा है। कॉलोनियों में घरों की नींव को जमीन से ऊंचा बनाते हैं, किन्तु कॉलोनी के सीवेज या ड्रेनेज को व्यवस्थित नहीं बनाया जाता, जिसके कारण जल-निकासी सही नहीं होने से तेज बारिश में यह बाढ़ का कारण बनता है। जब तक विकास प्रकृति के अनुकूल नहीं होगा हमें बाढ़ व अन्य भयंकर प्राकृतिक आपदाओं का सामना करते रहना होगा।

बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में कई तरह की बीमारियाँ, जैसे- हैजा, हेपेटाईटिस एवं अन्य दूषित जलजनित बीमारियाँ फैल जाती हैं। वर्तमान में पूरे देश में COVID-19 महामारी का प्रसार है, ऐसी स्थिति में बाढ़ इसे और अधिक हानिकारक बना सकती है।

बाढ़ से सुरक्षा के उपाय-

  • यदि बाढ़ आने में कुछ वक्त है तब-  नदी के किनारों से सुरक्षित दूरी पर रहें। ग्रामीण क्षेत्र के निवासी बारिश के समय मवेशी चराने ज्यादा दूर स्थान पर ना जाएं। बिजली का मैन स्विच बन्द कर दे। प्रशासन की सूचना के लिये रेडियो सुनते रहें। घर के बाहरी दीवारों के चारों और बाली के बोरियां लगाये। पानी और गैस कि लाइनें बन्द कर दें। घर का जरुरी सामान ऊँचे स्थान पर अपने साथ रखें। गांव की ‘ग्राम रक्षा समितियां’ तथा ‘सिविल डिफेंस वॉलेंटियर’ संगठित होकर उस क्षेत्र में मौजूद ‘डिजास्टर रिस्पांस सेंटर’ (डीआरसी), ‘इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर’  (ईओसी), एवं संबंधित पुलिस थाने के संपर्क में रहें।
  • जब बाढ़ आ चुकी हो तब- घबराएं नहीं, आपातकालीन टोल फ्री न. जैसे डायल 100, 1079, 108 पर जलभराव की सूचना दें। बहते पानी में न जाएं। जलमग्न रास्ते में गाड़ी न चलायें। सड़क पर गिरे हुए बिजली के तार से सावधान रहें। रेंगने वाले व बिल बनाकर रहने वाले जीव-जंतुओं से सावधान रहें।  बुजुर्गों, बच्चों और विकलांगों की आपदा में यथासंभव मदद करें। पुलिया / चट्टान के पास सेल्फी ना लें। ऐसे स्थान जहां पानी का तीव्र वेग हो, वहां पिकनिक मनाने ना जाएं।
  • यदि आप बाढ़ में फंस चुके होंतब-  यदि आप घर में हैं तो सबसे ऊपरी मंज़िल या छत पर पहुंच जाएं।  यदि घर से बाहर हों तब जितनी जल्दी हो सके ऊंचे इलाके में पहुंचने की कोशिश करें।  तैर के भागने की कोशिश न करते हुए राहत-कर्मियों पर विश्वास करें व उनका कहना मानें। डरें एवं घबराएं नहीं, बल्कि हिम्मत रखें और राहत-कर्मियों की प्रतीक्षा करें। बाढ़ आने पर बचाव दल, जैसे – एसडीआरएफ, पुलिस, होमगार्ड तथा स्थानीय प्रशासन को सहयोग करें तथा उनके द्वारा दिए गए सभी निर्देशों का पालन करें।
  • बाढ़ से बचने के लिए घर में रखे जाने वाले आवश्यक सामान- प्लावुड, प्लास्टिक, काठ, कीला, हथौड़ा आरी, बेलचा/खुरपा, बाली से भरा बोरा, टार्च और बैटरियाँ (सेल),, बैटरी-चालित रैडियो/ट्रान्सिस्टर, बैन्डेज़, गौज़, कटने से उपचार की दवा, बुखार, दर्द, पेट खराब, इत्यादि की दवाइयां, पीने की पानी की बोतल, खाने का समान, गाड़ी की टैन्क में पेट्रोल तथा डीजल हमेशा भरे रखे व रुपये इत्यादि।
  • अपने परिवार के लिए योजना बना कर रखे- जब कोई प्राकृतिक आपदा फिर वह बाढ़ हो या कोई अन्य आपदा हो तब आपका परिवार आपके साथ हो सकता है अथवा नहीं भी इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप एक दूसरे से संपर्क कैसे करेंगे, आप वापस एक साथ कैसे मिलेंगे तथा किसी आपातस्थिति में आप क्या-क्या करेंगे। इसके लिए जरुरी है की आप पहले से ही एक पारिवारिक आपातकालीन योजना बना कर रखे। अपनी योजना के बारे में देखभाल करने वालों और बच्चों की रखवाली करने वालों को सूचित करके रखे।अपने पालतू पशुओं के लिये भी योजना बनाएं एवं उन्हें भी बाढ़ से बचाएं।
  • बाढ़ से बचाव के लिए पालतू जानवरों और पशुओं की देखभाल- पालतू पशु के पट्टे (कॉलर) पर फोन नम्‍बर, नाम और पता लिख कर रखे। बाढ़ से बचकर निकलने की स्थिति में, अपने पालतू पशु को साथ ले लें यदि आप सुरक्षित रूप से ऐसा कर सकें।  पशुओं को स्‍वीकार करने वाले’ होटलों के सम्‍पर्क विवरणों की सूची बनाएं, जो आपके घर या पड़ोसी क्षेत्र छोड़कर जाने की बचाव स्थिति में काम आ सके।

बाढ़ के बाद होने वाली बीमारियों से बचाव के तरीके-

बाढ़ आने से बड़ी समस्‍या गंभीर बिमारियों की हो सकती है। बाढ़ के बाद लोगों को कई गंभीर बीमारियों से जूझना पड़ सकता है। किन्तु, सावधानी बरतें तो इस तरह के संक्रमण से आसानी से बचा जा सकता है। इसके लिए निम्न तरीकों को अपनाएं- हल्का भोजन करें और शुद्ध पानी ही पीएं या उबला हुआ पानी पीएं।  कटे फल न खाएं।  साफ-सफाई के साथ रहे। बाढ़ कम होते ही गंदे पानी को पूरी तरह साफ कर दें।

स्पष्ट है कि बाढ़ आना एक सामान्य प्राकृतिक आपदा है किन्तु प्रकृति के विरुद्ध किए जा रहे मानवीय क्रियाकलापों के कारण बाढ़ की तीव्रता, परिमाण और विध्वंसता अत्यधिक बढ़ गई है। यदि हम प्रकृति के साथ ताल मेल बैठाकर चले तो बाढ़ ही नहीं अपितु कई तरह की आपदाओं से सुरक्षित रह सकेंगे। बाढ़ आने पर उपरोक्तानुसार दिए गए उपाय ऐसी स्थिति से निपटने के लिए मददगार हो सकते है। (सप्रेस)

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