राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सिलीकोसिस की समीक्षा हेतु किया वेबीनार का आयोजन

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की अगुवाई में 28 जुलाई को प्रदेश में सिलिकोसिस की समीक्षा हेतु वेबीनार का आयोजन किया गया । इस वेबीनार में मुख्यत: सिलिकोसिस के मुद्दे पर मृतकों के मुआवजे, पुनर्वास नीति, सामाजिक सुरक्षा योजना आदि मुद्दों पर चर्चा हुई । वेबीनार में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के प्रतिनिधि, डॉ राजेश राजोरा, अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रम एवं रोजगार विभाग, डिप्टी सेक्रेटरी माइनिंग एवं स्वास्थ्य विभाग के साथ सिलिकोसिस पीड़ित संघ के सलाहकर अमूल्य निधि ने भाग लिया ।

चर्चा के दौरान प्रदेश में सिलिकोसिस पीड़ितों के पुनर्वास एवं मुआवजा सम्बन्धी नीति पर विशेष रूप से चर्चा हुई। सिलिकोसिस पीड़ित संघ के प्रतिनिधि ने बताया कि संघ ने 18 जून 2016 को प्रदेश के विभिन्न संस्थाओं, संगठनों, विषय विशेषज्ञों एवं शासकीय अधिकारियों के साथ एक कंसल्टेशन कर सिलिकोसिस नीति बनाई की थी जिसे लागू करने की अनुशांसा सिलिकोसिस पर सर्वोच्च न्यायालय व्‍दरा गठित समिति एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी की थी। ड्राफ्ट नीति तैयार होने के बाद भी आज तक इसे लागू नहीं किया गया है। इस संबंध में अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रम और रोजगार विभाग डॉ राजेश राजौरा ने कहा कि सिलिकोसिस पीड़ित संघ एवं विशेषज्ञों के साथ मिलकर इसे अगले तीन महीनों में तैयार कर लेंगे । 

सिलिकोसिस पीड़ित संघ ने असंगठित क्षेत्र के सिलिकोसिस से मृत व्यक्ति के परिजनों को 5 लाख रूपये मुआवजा, 7500 /- मासिक पेंशन और आश्रितों को 5000/- मासिक पेंशन की मांग की हैं ।

संघ के दिनेश रायसिंह द्वारा बताया गया कि प्रदेश में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की अनुशंसाओं का पालन नहीं किया जा रहा है । प्रदेश में सिलिकोसिस की स्थिति पर एक पत्र के माध्यम से विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी थी, जिसके आधार पर चर्चा हुई। 

विदिशा, पन्ना, भिंड, शिवपुरी आदि जिलों में भी सिलिकोसिस के मरीज बड़ी तादाद में हैं परन्तु इन जिलों में मरीजों के हित में पर्याप्त कार्य नहीं हो रहा हैं।  संघ के साथी द्वारा बताया गया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश 11अप्रैल 2017 के अनुसार देश के सभी सिलिकोसिस प्रभावितों को पुनर्वास एवं मुआवजा मिलेगा।

वेबीनार में सिलिकोसिस के एक प्रमुख कारण खुले पर्यावरण में सिलिका धूल की मात्रा को लेकर भी चर्चा की गयी । सिलिकोसिस मामले में गठित सुप्रीम कोर्ट समिति की रिपोर्ट के अनुसार मंदसौर में खुली हवा में सिलिका धूल की मात्रा तय मात्रा से कई गुना अधिक पाई गयी थी, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इसे नियंत्रित कर कम करने के लिए कहा हैं।

इन चर्चाओं के साथ ही पूर्व में प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में व्यावसायिक एवं पर्यावरणीय स्वास्थ्य पर एक विशेष सेल के गठन करने का तय हुआ था जिसे अभी तक पूर्ण रूप से क्रियान्वित नहीं किया गया हैं । उक्‍त जानकारी सिलीकोसिस पीड़ित संघ  के मोहन सुलिया, दिनेश रायसिंह और राकेश चान्दौरे ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में दी है।

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