एचएसबीसी के स्वामित्व वाली कंपनियों द्वारा पेाषित कोयला बिजलीघरों के वायु प्रदूषण से होंगी रोज़ाना 51 मौतें

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के अध्ययन में हुआ खुलासा

कोयले से होने वाला प्रदूषण कितना खतरनाक व जानलेवा होता है, इसका खुलासा सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए)  के नए शोध से हुआ है। इस शोध के अनुसार, एचएसबीसी बैंक के स्वामित्व व हिस्सेदारी वाली कंपनियों द्वारा निर्मित और नियोजित नए कोयला संयंत्रों से प्रति वर्ष वायु प्रदूषण से अनुमानित 18,700 मौतें होगी याने इन संयंत्रों हर रोज़ होंगी लगभग 51 लोगों की मौतें।  

एशियाई देशों में होगी सबसे ज्यादा मौतें

क्‍लायमेंट कहानी से प्राप्‍त जानकारी के अनुसार इस शोध अध्‍ययन में बताया गया है कि निर्माणाधीन कोयला संयंत्रों का कार्य पूरा होने के बाद वायु प्रदूषण की वजह से 29 हजार अस्पताल के आपातकालीन दौरे, 25 हजार असामयिक प्रसव और प्रति वर्ष 1.4 करोड़ कार्य दिवसों की क्षति भी होगी। इन कोयला सयंत्रों के कारण प्रतिवर्ष भारत में अनुमानित 8,300, चीन में 4,200, बांग्लादेश में 1,200, इंडोनेशिया में 1,100, वियतनाम में 580 और पाकिस्तान में 450 मौंतें होगी।

कंपनी ने 2040 तक कोयला संयंत्रों के वित्त पोषण से हटने का किया है ऐलान

दरअसल, मौजूदा समय में कई देशों में एचएसबीसी ने 99 गीगावाट क्षमता के 73 कोयला संयंत्रों, जिसमें अलग-अलग 137 कोयला संयंत्र इकाइयां शामिल है, के संचालन की योजना बनाई गई है। इन सभी के स्वामित्व में एचएसबीसी की हिस्सेदारी है। हालांकि, इधर उसने 2040 तक कोयला संयंत्रों के वित्त पोषण से हटने का ऐलान किया है।

अध्ययन में स्थापित कार्यप्रणाली का उपयोग

यह अध्ययन पर्यावरण संगठन मार्केट फोर्सेज द्वारा अप्रैल 2021 की जांच पर आधारित है जिसमें बताया गया कि एचएसबीसी ने अपनी परिसंपत्ति प्रबंधन शाखा के माध्यम से कोयला कंपनियों के स्वामित्व में हिस्सेदारी रखता है। इस अध्ययन में सीआरईए ने वायु प्रदूषण के प्रभावों की गणना के लिए एक स्थापित कार्यप्रणाली का उपयोग किया है। इस धारणा के साथ कि सभी संयंत्र अपने संबंधित राष्ट्रीय प्रदूषण मानकों का पालन करते हैं।

स्वच्छ ऊर्जा में निवेश करने की जरूरत

सीआरईए की विशेषज्ञ लारी म्यलयिवरटा ने कहा कि उन देशों में जो पहले से ही दुनिया में सबसे अधिक प्रदूषित हैं, एचएसबीसी के निवेश बिजली उत्पादन के सबसे अशुद्ध रूप पर निर्भरता बढ़ा रहे हैं। इससे बीमारियां एवं मौतें बढ़ रही हैं। इसलिए सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं जलवायु की रक्षा के लिए स्वच्छ ऊर्जा में निवेश करने की जरूरत है।

आगे, एैडम मैकगिब्बन, मार्केट फोर्सेज में यूके कैंपेन लीड, ने कहा, “नए कोयला बिजली संयंत्रों के विकास से जुड़ी कंपनियों के एक निवेशक के रूप में एचएसबीसी का जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते की विफलता में वित्तीय हित है। अब हम पता चलता हैं कि एचएसबीसी के निवेश के परिणामस्वरुप सैकड़ों हजारों लोगों की अकाल मृत्यु होगी, मोटेतौर पर विकासशील देशों में, जिन्हें स्वच्छ, नवीकरणीय ऊर्जा के लिए प्राथमिकता दी  जानी चाहिए।”

उल्‍लेखनीय है कि कोयला आधारित उर्जा संयंत्र देश के उन उद्योगों में शामिल हैं, जो सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं। पूरी इंडस्ट्री से जितने पीएम का उत्सर्जन होता है, उनमें से 60 प्रतिशत उत्सर्जन कोयला आधारित उर्जा संयंत्रों से होता है। इसी तरह कुल सल्फर डाई-ऑक्साईड उत्सर्जन का 45 प्रतिशत, कुल नाइट्रोजन के उत्सर्जन का 30 प्रतिशत तथा कुल पारा के उत्सर्जन का 80 प्रतिशत इस कोयला संयंत्रों से निकलता है।

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