23 मार्च 2022, इंदौर। “हम युद्ध के समर्थक हरगिज नहीं हैं लेकिन हम चाहते हैं कि एक ऐसा राज्य बने जिसमें सबको समान अधिकार हासिल हो। कोई किसी के हिस्से का हक न छीनें। ऐसा समाजवादी राज्य हम चाहते हैं।” यह बात वरिष्ठ अर्थशास्त्री जया मेहता ने प्रगतिशील लेखक संघ की इंदौर इकाई द्वारा शहीदेआज़म भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के शहादत दिवस पर आयोजित एक परिचर्चा में कही।

परिचर्चा में अर्थशास्‍त्री डॉ. जया मेहता ने समकालीन विश्वव्यवस्था, खासतौर पर राजनीतिक अर्थव्यवस्था की चर्चा करते हुए आर्थिक साम्राज्यवाद की अवधारणा को सरलतापूर्वक समझाया और बताया कि किस तरह शहीदेआज़म भगत सिंह आर्थिक साम्राज्यवाद के खिलाफ़ लड़ाई के हक़ में थे। उन्होंने वर्तमान में चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के कारणों का भी विश्लेषण कर श्रोताओं के समक्ष रखा और कहा कि लेनिन के सिद्धांत के मुताबिक जब दो साम्राज्यवादी देश आपस में लड़ते हैं तो वे एकदूसरे को कमजोर करते हैं। यही वह समय होता है जब क्रांतिकारी ताकतें जनता को शासकों के स्वार्थी युद्ध के ख़िलाफ़ इकट्ठा कर सकती हैं।

स्थानीय न्यू देवास रोड स्थित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के कार्यालय “शहीद भवन” में कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में साहित्यकारों, कलाकारों, रंगकर्मियों, युवाओं, मज़दूरों, किसानों, बैंक एवं बीमाकर्मियों एवं प्रबुद्ध नागरिकों ने हिस्सा लिया और तीनों अमर शहीदों को अपना सलाम पेश किया। इस अवसर पर एक परिचर्चा का आयोजन किया जिसमें विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम की अध्यक्षता चुन्नीलाल वाधवानी ने की।

कार्यक्रम के आरंभ में युवा कवि विनम्र मिश्र ने शहीदेआज़म भगत सिंह के विपरीत विचारों वाले अवसरवादी राजनीतिक दलों द्वारा उनकी विरासत को हथियाने के प्रयासों पर पीड़ा व्यक्त करते हुए अपनी कविता ” मैं भगत सिंह के आँसू ढूंढ रहा हूँ” का पाठ किया।

प्रगतिशील लेखक संघ, इंदौर इकाई के विवेक मेहता ने शहीदेआज़म भगत सिंह की शख्सियत के साम्प्रदायिकता विरोधी पक्ष को रेखांकित करते हुए उनके समय-समय पर लिखे गए लेखों और वक्तव्यों के हवाले से तथ्यों को सामने रखा। उन्होंने शहीदेआज़म भगत सिंह के “नौजवान भारत सभा, लाहौर का घोषणापत्र”,  “धर्म और हमारा स्वतंत्रता संग्राम” तथा “साम्प्रदायिक दंगे और उनका ईलाज” लेखों के विभिन्न हिस्सों के पाठ करते हुए स्पष्ट किया कि शहीदेआज़म भगत सिंह आर्थिक असमानता और वर्ग चेतना के अभाव को साम्प्रदायिकता के प्रमुख कारण मानते थे। 

उन्होंने इन तथ्यों को सामने ला कर भारत के मजदूर, किसान और नौजवानों से एकजुट हो कर धर्म, जाति, रंग, नस्ल आदि से परे इन मसलों पर काम करने की अपील हमेशा की।

प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी ने शहीदेआज़म भगत सिंह को भारत का पहला मार्क्सवादी बताते हुए उनकी शख्सियत के वामपंथी, प्रगतिशील पहलुओं पर रोशनी डाली। उन्होंने कॉमरेड भगत सिंह को उन पहले मार्क्सवादियों में शुमार किया जिन्होंने साम्राज्यवाद के खतरों को सबसे पहले समझ लिया था और मेहनतकशों, किसानों और नौजवानों के सबसे बड़े दुश्मन साम्राज्यवाद के खिलाफ एलानेजंग भी किया था। हमें उनके विचारों को समझते हुए देश के भीतर फैलती जा रही सांप्रदायिकता और दुनिया में फैल रहे साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष का विस्तृत खाका बनाना चाहिए और भगतसिंह द्वारा लिखा गया ‘क्रांतिकारी कार्यक्रम का मसौदा” ज़रूर पढ़ना चाहिए।

विनीत तिवारी ने हाल ही में दिवंगत हुए प्रसिद्ध मार्क्सवादी चिंतक, लेखक और पत्रकार प्रो. एजाज़ अहमद को याद करते हुए उनकी दो इंदौर यात्राओं का विशेष रूप से उल्लेख किया। प्रो. एज़ाज़ अहमद ने किस तरह प्रो. एडवर्ड सईद की ओरिएंटलिज्म की थ्योरी की समीक्षा करते हुए मार्क्सवाद के सिद्धांत को आगे बढ़ाया, इसका सरल भाषा में विनीत ने विवेचन किया। उन्होंने प्रो. एजाज़ अहमद को एक विलक्षण मार्क्सवादी विचारक, बेहतरीन शिक्षक और उम्दा पत्रकार बताते हुए उनके जाने को ना केवल भारत के, वरन सम्पूर्ण विश्व के प्रगतिशील आंदोलन के लिए बहुत बड़ा नुकसान बताया।

23 मार्च को प्रसिद्ध क्रांतिकारी कवि अवतार सिंह संधू “पाश” का अवसान दिवस भी होता है, इसलिए “पाश” को सलाम पेश करते हुए भारतीय महिला फेडरेशन की प्रदेश सचिव सारिका श्रीवास्तव ने “पाश” की कविता “सबसे ख़तरनाक़” का पाठ किया।

इसके बाद प्रो. ज़ाकिर हुसैन ने भगत सिंह और स्वतंत्रता आंदोलन  के प्रमुख नारे ‘इंकलाब जिंदाबाद” के जरिये हसरत मोहानी को भी याद करते हुए शहीदेआज़म भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अपना सलाम पेश किया।

इस अवसर पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी इंदौर के सचिव रुद्रपाल यादव, सोहनलाल शिंदे, कैलाश गोठानिया, ओमप्रकाश खटके, भारत सिंह, ध्रुवनारायण, यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस, इंदौर के संयोजक एम के शुक्ला, पत्रकार अभय नेमा, विजय दलाल, अजय लागू के साथ ही युवा साथी दानिश, अथर्व, रवि, साहिल की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही। अंत में आभार केसरी सिंह चिढार ने माना।

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