बिना पुनर्वास के जमीन का कब्जा नहीं लेने देंगे : उच्च न्यायालय में दायर की जायेगी विशेष अर्जी

18 नवंबर। आज बरखेड़ा बांध प्रभावित सैकड़ों आदिवासी महिला पुरुषों ने बरखेड़ा बांध स्थल के पास उरी नदी के किनारे दिन भर धरना दिया। धरने पर उपस्थित सभी प्रभावितों ने संकल्प व्यक्त किया कि वे बिना पुनर्वास अधिकारों को दिये उनकी जमीनों पर शासन को गैरकानूनी कब्ज़ा नहीं लेने देंगे। धरने पर नर्मदा बचाओ आंदोलन के वरिष्ठ कार्यकर्ता श्री आलोक अग्रवाल भी उपस्थित रहे।

धरने पर हुई सभा को संबोधित करते हुए ग्राम रेहड़दा के प्रेमसिंह ठाकुर ने कहा कि भू-अर्जन अधिकारी व अनुविभागीय अधिकारी मनावर ने जिला कलेक्टर को 9 नवंबर को पत्र लिखकर बरखेड़ा प्रभावितों की जमीनों का कब्जा लेने के लिये 500 पुलिस बल की मांग की थी। भू-अर्जन कानून- 2013 की धारा 38 के अनुसार भू-अर्जन के अवार्ड होने के 3 माह के अंदर जमीन का मुआवजा और 6 माह के अंदर पुनर्वास के लाभ दिया जाना अनिवार्य है और उसके बाद ही कोई जमीन का कब्जा लिया जा सकता है। हमारे गांवों का अगस्त, 2018 में भू-अर्जन अवार्ड पारित होने के 2 साल बाद भी आज तक एक भी प्रभावित को पुनर्वास का कोई भी लाभ नहीं दिया गया है। अतः पुलिस बल के माध्यम से कब्जा लेने का प्रयास पूरी तरह से गैर कानूनी है और आदिवासी प्रभावितों को आतंकित करने का प्रयास है। हम इस आतंक से डरने वाले नहीं है और ऐसे हर प्रयास का पूरी ताकत से विरोध किया जायेगा।

धरना स्थल पर आलोक अग्रवाल ने कहा कि आजादी के बाद आज 70 साल बाद तक हमेशा विस्थापितों और विशेषतः आदिवासियों को बिना पुनर्वास पुलिस व दमन से ही उजाड़ा गया है। सन 2013 में लंबे संघर्ष के बाद एक नया कानून बना जिसमे मुआवजे के साथ पुनर्वास को भी अनिवार्य किया गया। साथ ही यह भी आदेश दिया गया कि बिना पुनर्वास जमीन का कब्जा नहीं लिया जा सकता है। परंतु फिर से सरकार इस कानून का उल्लंघन कर बिना पुनर्वास उजाड़ना चाहती है। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने भी बार बार आदेश दिया है कि बिना पुनर्वास किसी को भी उजाड़ा नहीं जा सकता है। हम अपने कानूनी और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिये पूरी ताकत से लड़ेंगे और देश भर के लड़ने वाले सभी संगठन इसमें शामिल होंगे।

उच्च न्यायालय में विशेष अर्जी दायर की जायेगी

बरखेड़ा बांध प्रभावित ग्राम खोजकुआ और रेहड़दा के प्रभावितों की ओर से उनके भू अर्जन और पुनर्वास को लेकर उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में दो याचिकायें दायर हैं। शासन द्वारा जमीन कब्जा की गैर कानूनी और असंवैधानिक करवाई के खिलाफ तत्काल ही विशेष अर्जी दायर की जा रही है।

धरने पर सभी प्रभावितों ने संकल्प व्यक्त किया है कि जमीन पर गैर कानूनी कब्जे के खिलाफ और उनके पुनर्वास के सम्पूर्ण अधिकार मिलने तक उनका संघर्ष लगातार जारी रहेगा।

उक्‍त जानकारी नर्मदा बचाओ आंदोलन के मीडिया सेल की ओर से दी गई है।

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