यह जरूर है कि अंदरूनी मामलों में दखल न होने के सिद्धांत और मानवाधिकारों की वकालत में कई बार टकराव देखा जाता है। एक तरफ अमेरिका मानवाधिकारों के नाम पर दूसरे देशों में अपने भौतिक दखल को न्यायोचित ठहराता...
हाल के इस बजट को ही देखें तो अगले वित्त-वर्ष के लिए कृषि क्षेत्र को एक लाख 31,530 करोड रुपयों का आवंटन किया गया है, जो पिछले साल के बजट आवंटन से दस हजार करोड रुपए कम है, लेकिन...
किसान ‘कांट्रेक्ट फ़ार्मिंग’ से लड़ रहे हैं और पत्रकार ‘कांट्रेक्ट जर्नलिज़्म’ से। व्यवस्था ने हाथियों पर तो क़ाबू पा लिया है पर वह चींटियों से डर रही है। ये पत्रकार अपना काम उस सोशल मीडिया की मदद से कर...
हर साल बाढ, सूखा, आंधी, गर्मी, बर्फवारी और तूफानों जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बढने का एक मतलब यह भी है कि हमने एक वैश्विक समाज की हैसियत से धरती पर रहना अब तक नहीं सीखा है। एक तरफ, हमारे...
स्विट्जरलेंड के दावोस शहर में हर साल जनवरी में दुनियाभर के अमीरों का एक जमावडा ‘वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम’ हुआ करता है जिसके ठीक पहले वैश्विक एनजीओ ‘ऑक्सफैम’ दुनियाभर की गरीबी और गैर-बराबरी का लेखा-जोखा सार्वजनिक करता है। ‘ऑक्सफैम’ की...
किसी भी समाज में होने वाले आंदोलन उस समाज की जीवन्तता का प्रतीक होते हैं और इस लिहाज से देखें तो दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन, अपने तमाम सवालों के अलावा कृषि-क्षेत्र की जिन्दादिली का प्रतीक भी...
‘गणतंत्र दिवस’ की 26 जनवरी 71 साल पहले हमें अपने संविधान को अंगीकार करने की याद तो दिलाती ही है, साथ ही एक नागरिक की हैसियत से हमें अपने कर्तव्यों का बोध भी कराती है। इक्कीसवीं सदी के तीसरे...
किसान आंदोलन पर भी शिद्दत और नासमझी से सवाल उठाया गया है कि लाखों लोगों के भोजन (लंगर) और दूसरी व्यवस्थाओं का इंतजाम आखिर कैसे और कौन कर रहा है? कुछ अधिक ‘कल्पनाशील’ शहरी इसमें कनाडा, इंग्लेंड, अमरीका और...
बीस जनवरी दो हज़ार इक्कीस को वाशिंगटन में केवल सत्ता का शांतिपूर्ण तरीक़े से हस्तांतरण हुआ है, नागरिक-अशांति की आशंकाएँ न सिर्फ़ निरस्त नहीं हुईं हैं और पुख़्ता हो गईं हैं। देश की जनता का एक बड़ा प्रतिशत अभी...
किसान संघ की बेंगलुरू की चिंतन बैठक में दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन को लेकर चिंता व विचार मंथन होना ही था। बैठक का मुख्य मुद्दा भी यही था। क्योंकि अपने अनुषांगिक संघठन भारतीय जनता पार्टी...