सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उठाये सवाल; मनरेगा बजट कटौती से 15 करोड़ लोग होंगे प्रभावित

नईदिल्‍ली, 15 मार्च। MNREGA मनरेगा पर बजट कटौती को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं और अर्थशास्त्रियों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई सवाल उठाए हैं। दिल्ली के जंतर मंतर पर इस मुद्दे पर नरेगा संघर्ष मोर्चा पिछले सौ दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहा है। नरेगा संघर्ष मोर्चा, देश भर में नरेगा श्रमिकों सहित ग्रामीण मजदूरों के साथ काम करने वाले संगठनों का गठबंधन है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा कि कटौती से 15 करोड़ लोग प्रभावित होंगे। वहीं अर्थशास्त्री ज़्याँ द्रेज ने कहा कि मनरेगा ने 20 साल से देश भर के लोगों के आर्थिक स्तर को बढ़ाया है।

उन्होंने कहा, “100 दिन के काम की गारंटी में 34 दिनों का ही काम मिल रहा है, इसके बाद भी बजट में कटौती की जा रही है।”

उन्होंने कहा कि ये एक ऐसे समय में हो रहा है जब इंटरनेट कनेक्टिविटी और एनएमएस ऐप पर निर्भरता के चलते हज़ारों लोग रोज़ाना प्रभावित हो रहे हैं।

दिल्ली के जंतर-मंतर पर नरेगा मज़दूरों के 100 दिवसीय धरने के 20वें दिन नरेगा संघर्ष मोर्चा के बैनर तले झारखण्ड के नरेगा मज़दूरों ने अपनी समस्यायों और मांगों को लेकर धरना दिया। मज़दूरों की माँग है कि एनएमएस ऐप को तत्काल हटाया जाए, वहीं  3 फरवरी, 2023 के आदेश को वापस लेने, सभी नरेगा भुगतानों को आधार आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) के माध्यम से किए जाने की मांग की गई। मजदूरों ने यह भी मांग की है कि समय पर मजदूरी का भुगतान हो और एक वर्ष से अधिक लंबित मजदूरी की तत्काल रिहाई की जाए। उन्होंने यह प्रकाश में लाया कि कैसे राज्य और केंद्र सरकार की अनबन के परिणामस्वरूप नरेगा के काम और मजदूरी को रोक दिया गया है जिससे लाखों मज़दूर निराश्रित जीवन जीने के लिए मजबूर हो रहे है।  

धरने में शामिल हुई लातेहार जिले की 40 वर्षीय केत्री ने अपनी व्यथा साझा की। उन्हें जनवरी से कोई काम नहीं मिला है और पिछले साल किए गए काम के लिए अभी तक भुगतान नहीं किया गया है। महामारी के दौरान उनके पति की मृत्यु हो गई और तब से उनके लिए अपने परिवार को चलाने और अपने बच्चों की परवरिश करना मुश्किल हो गया है।

लातेहार के मनिका गांव के जेम्स हेरेन्ज और झारखंड नरेगा निगरानी संगठन के सदस्य ने मांग की कि एनएमएमएस ऐप को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए और नरेगा श्रमिकों की मजदूरी वर्तमान दर 237 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 600 रुपये प्रति माह की जानी चाहिए।

लालगंज आजमगढ़ की सांसद संगीता आजाद ने मजदूरों के संघर्ष के प्रति अपनी एकजुटता का परिचय दिया और आश्वासन दिया कि वह पूरक बजट में नरेगा को पूर्ण आवंटन की मांग सहित संसद में चर्चा किए गए मुद्दों को उठाएगी। पश्चिम बंगाल की अनुराधा तलवार ने बताया कि एनएचआरसी ने पश्चिम बंगाल के नरेगा श्रमिकों द्वारा की गई शिकायतों के आधार पर मामला (संख्या 651/25/0/2023) दर्ज किया है।

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