बाजार-वाद के हल्‍ले में सरकारी अस्‍पतालों की तरह सरकारी स्‍कूलों को हम कितना भी गरिया लें, सर्वाधिक लोगों को स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा की सुविधा इन्‍हीं की मार्फत मिलती है। तो फिर इन्‍हीं को बेहतर क्‍यों नहीं किया जाए? खासकर तब, जब कोविड-19...
कहा जाता है कि इंसान की बुनियादी फितरत में आहार, निद्रा, क्रोध, भय और मैथुन शामिल हैं। इनमें से भय हमारे जीवन के सर्वाधिक करीब है। क्‍या होता है, भय? उसके क्‍या प्रभाव होते हैं? हमारे मन में भय...
कोविड-19 से बदहाल देश के सामने, बिना किसी संतोषजनक संवाद, बातचीत के, हड़बड़ी में लाई गई ‘शिक्षा नीति-2020’ आखिर क्‍या उपलब्‍ध करना चाहती है? क्‍या यह तेजी से बढ़ती निजी पूंजी को और बढाने की खातिर सस्‍ते मजदूरों की...
जिम और योग केंद्र खोलने के बाद अब स्कूल-कॉलेज खोलने की चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं| देश में 32 करोड़ छात्र हैं| मुख्यधारा के स्कूलों में एक ही कक्षा के सात-आठ सेक्शन्स हैं| हर कक्षा में 70 बच्चे...
वे अपनी कक्षाएं पेड़ों के नीचे, पहाड़ की ढलानों पर, धूल भरे आँगन में, मंदिरों में और मस्जिदों में संचालित की हैं। कुछ राज्यों ने आसपास के समुदायों में व्यवस्थित रूप से कक्षाओं को आयोजित करने के लिए प्रगतिशील...

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