कहा जाता है कि हर देश की एक सेना होती है, लेकिन पाकिस्तान में सेना का एक देश है। दो टुकडों में विभाजित और कई अन्य टुकडों में विभाजन के लिए तैयार उसी पाकिस्तान की सेना के मुखिया जनरल...
दूसरे विश्वयुद्ध के करीब सात दशक बाद का यह दौर दुनिया के आर्थिक ताने-बाने के लिहाज से वैसे भी खासा बदहवास था और ऐसे में दुनिया की पूंजी को हिलाने-डुलाने वाले अमरीका की गद्दी पर डोनॉल्ड ट्रम्प काबिज हो...
पहलगाम में 26 निर्दोषों की हत्या से उपजा शोक पूरे भारत को हिला गया, लेकिन इस गहरे दुःख में भी एक नई चेतना दिखाई दी—धर्म, भाषा और क्षेत्र की सीमाओं को पार कर आम हिंदू और मुसलमान आतंकवाद के...
भारत गांवों का देश है, जहां पंचायती राज प्रणाली लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करती है। यह प्रणाली स्थानीय स्वशासन, महिलाओं की भागीदारी और समावेशी विकास का माध्यम है। परंतु आज भी ग्राम पंचायतें अधिकारों के प्रयोग और महिला प्रतिनिधियों...
भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर संसद में जो दृश्य सामने आए, वे डॉ. भीमराव अंबेडकर की आत्मा को व्यथित कर सकते हैं। संविधान निर्माता को हथियार बनाकर की जा रही राजनीति न केवल लोकतंत्र की मूल आत्मा के...
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट के अनुसार 543 लोकसभा सदस्यों में से 251 (46 प्रतिशत) के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। उनमें से 27 को दोषी ठहराया गया है। रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा में चुने जाने वाले आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे उम्मीदवारों...
दुनिया भर के जीवन पर मंडराते जलवायु परिवर्तन और परमाणु हथियारों के खतरों से कैसे निपटा जा सकता है? क्या इसके लिए ‘विश्व-सरकार’ का गठन कारगर हो सकता है? कैसी हो सकती है, ऐसी सरकार? इसी की पड़ताल करता...
संविधान ने पर्यावरण को खासी अहमियत दी है, लेकिन उसे अमल में नहीं लाया जाता या आधे-अधूरे मन से लाया जाता है। संविधान में पर्यावरण को लेकर किये गए प्रावधान इस विषय की ओर संवेदनशीलता दर्शाते हैं। संविधान के...
प्रजातंत्र में निष्पक्ष चिंतन राज्य, सरकार और समाज को सर्वजन-हिताय बनाए रखता है, लेकिन हमारे यहां के मौजूदा पार्टी-प्रधान ढांचे ने पक्षधरता की बेहद कमजोर छवि बनाई है। नतीजे में समूचा तंत्र शिथिल होता जा रहा है। क्या हैं,...
आज के समय में जलवायु परिवर्तन और बेरोजगारी के मुद्दे हमारे सामने मुंह बाए खड़े हैं, इनसे निपटने के लिए सुप्रीमकोर्ट के फैसले भी मौजूद हैं, लेकिन किन्हीं अनजानी गफलतों, हितों या भूल जाने की राष्ट्रीय बीमारी के चलते...

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