मीडिया के कुछ इलाक़ों में इन दिनों अराजकता का दौर चल रहा है। कहा जा सकता है कि हालात एक विपरीत आपातकाल जैसे हैं।आपातकाल के दौरान सेन्सरशिप थी, प्रकाशित होने वाली (प्रसारण केवल सरकारी ही था, इलेक्ट्रॉनिक चैनल नहीं...
दुनिया की अमीरी उजागर करने के लिए जिस तरह ‘फोर्ब्‍स’ पत्रिका समेत अन्‍य भांति-भांति की रिपोर्टं प्रकाशित की जाती हैं, ठीक उसी तरह दुनियाभर की भुखमरी उजागर करने की खातिर ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट’ का सालाना प्रकाशन होता...
पिछले दो-ढाई दशकों से सम्‍पत्ति की परिभाषा बदल रही है। अब रुपए-पैसे, जमीन-जायदाद आदि की बजाए ‘सूचनाओं’ को अहमियत दी जाने लगी है। जाहिर है, यह ‘सम्‍पन्‍नता’ भी चोरों की निगाह से बच नहीं पा रही। सवाल है कि...
आधुनिक व्‍यापार-व्‍यवसाय ने अब तेजी से प्राकृतिक संसाधनों को अपनी चपेट में लेना शुरु कर दिया है। जंगल, जिन्‍हें सुप्रीमकोर्ट द्वारा दी गई परिभाषा के मुताबिक केवल रिकॉर्ड में जंगल की तरह दर्ज होना ही काफी है, निजी कंपनियों...
आज के राजनीतिक फलक को देखें तो विकास की मौजूदा अवधारणाओं और उसे लेकर की जाने वाली राजनीति ने भी कम्‍युनिस्‍टों को कमजोर किया है। तरह-तरह के विस्‍थापन-पलायन, जल-जंगल-जमीन की बदहाली और पर्यावरण-प्रदूषण के बुनियादी और सर्वग्राही सवाल आज...
कृषि से केवल 16% जीडीपी आती है जब कि उसमें 65% लोग कार्यरत है और कृषि समेत कुल अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत लोग 92 % है जबकि इससे जीडीपी में केवल 54 % आती है। इस प्रकार जीडीपी का...
सात दशक पहले, आजादी के आसपास के महात्‍मा गांधी को देखें तो इन सवालों के जबाव पाए जा सकते हैं। केवल दो बातों - आर्थिक और राजनीतिक के बारे में गांधी क्‍या कहते थे? गांधी विचार की प्राथमिक पाठशाला...
लेखक जार्ज ऑरवेल ने अपने उपन्यास ‘1984’ में समाज पर नजर रखने की जिस तकनीक का जिक्र किया है, आज उससे कई गुना शक्तिशाली, प्रभावी और व्यापक तकनीक की मार्फत सत्ता और सेठ हमारे आम जीवन पर नियंत्रण करने...
22 मार्च - विश्‍व जल दिवस पर‍ विशेष पानी की कमी ने अब दो बातों पर ऊंगली रखी है-एक, क्या पानी का टोटा सचमुच ऐसा है जिससे निपटने के लिए ‘तीसरा विश्वयुद्ध’ छेड़ना पडे ? और दूसरे, क्या उस ‘अपराधी’...
22 मई जैव विविधता दिवस पर विशेष वैश्विक स्तर पर जैव विविधता का संरक्षण एक चुनौती के रूप में सामने है। दुनियाभर में प्राकृतिक आवासों की क्षति, वन विनाश, खनिज कार्य, कृषि विकास, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, औद्योगिक महत्व की फसलों...

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