खेती किसानी में क्रांतिकारी बदलाव लाने की उम्मीद में दम-खम लगाते करीब 3 दर्जन किसानी संगठन व केन्द्र सरकार दोनो खेती कानूनों को लेकर बुने गए अपने - अपने चक्रव्यूह से किसी तरह बाहर आने के लिए छटपटा रही...
3 दिसंबर : भोपाल गैस कांड की 36 वीं बरसी दुनियाभर में सर्वाधिक भीषण मानी जाने वाली औद्योगिक त्रासदी को 36 साल हो गए है। इस त्रासदी में मारे गए हजारों निरपराधों, अब तक उसके प्रभावों को भुगत रहे लाखों...
भोपाल गैस कांड’ : 36 वां साल ‘भोपाल गैस कांड’ का यह 36 वां साल है, लेकिन लगता नहीं कि हम उससे कुछ जरूरी सीख ले पाए हैं। मसलन - अब भी तरह-तरह के नारे, नियम-कानून और मुहीमें पर्यावरण-प्रकृति के...
केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों का विरोध, फायदे की उस खेती की संजीवनी बूटी या पारस पत्थर के इर्द गिर्द सिमट गया है जिसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी ) कहा जाता है। यह कुछ फसलों पर ही लागू...
निमाड़ में कपास खरीदी की हकीकत को उजागर करती एक रिपोर्ट उत्तर भारत के आंदोलनरत किसान कड़ाके की ठंड की परवाह किए बिना दिल्ली में ठीक उसी तरह मुस्तेद है, जैसे घुप्प अंधेरे की कडकड़ाती ठंड भरी रातों में सिंचाई...
गैर-सरकारी समाजसेवी संस्‍थाएं सरकार से समान दूरी रखते हुए उसे आइना दिखाते रहने के लिए भी खडी की जाती रही हैं, लेकिन आजकल इन संस्‍थाओं का चाल-चरित्र और चेहरा बदल-सा गया है। ‘एनजीओ’ के नाम से पुकारी जाने वाली...
किसान आंदोलन से निकलने वाले परिणामों को देश के चश्मे से यूँ देखे जाने की ज़रूरत है कि उनकी माँगों के साथ किसी भी तरह के समझौते का होना अथवा न होना देश में नागरिक-हितों को लेकर प्रजातांत्रिक शिकायतों...
सत्‍ता और सरकारों के कर्ज-माफी सरीखे टोटकों को किसानों की नजर से देखें तो लगातार बढती किसान आत्‍महत्‍याएं दिखाई देती हैं। जाहिर है, किसानों और राज्‍य व केन्‍द्र की सरकारों के बीच गहरी संवादहीनता है। ऐसी संवादहीनता जिसमें सरकार...
क्या केंद्र सरकार एक बार फिर "शाहीन बागों" का विरोध झेलने को तैयार है? या वह खुद ही किसानों को "शाहीन बाग" बनाने के लिए मजबूर कर रही है? और क्या किसान खुद इस तरह के लंबे और शांतिपूर्ण...
तरह-तरह के कानून-कायदों को बनाते हुए सरकारों का एक तर्क यह भी रहता है कि इससे लालफीताशाही या इंस्पेक्टर-राज काबू में आ जाएगा। तो क्‍या लालफीताशाही और इंस्‍पेक्‍टर-राज को लोकतंत्र की ही कमजोरी माना जा सकता है? आम जनता, अर्थशास्त्रियों...

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