बराक ओबामा ने वास्तव में अपनी किताब में ऐसा आशय लिए कुछ नहीं कहा है कि गांधी परिवार या कांग्रेस संगठन को शर्मिंदा होना चाहिए। भारत के लोग अपने दूसरे नेताओं के बारे में भी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति के...
नागरिकों की नाराज़गी शायद इस बात को लेकर ज़्यादा है कि उनके ‘तात्कालिक भय’ अब उन्हें एक ‘स्थायी भयावहता’ में तब्दील होते नज़र आ रहे हैं। बीतने वाले प्रत्येक क्षण के साथ नागरिकों को और ज़्यादा अकेला और निरीह...
पिछली सदी में जहां अनेक देशों ने लोकतंत्र को एक बेहतर शासन-प्रणाली की तरह अंगीकार किया गया था, अब उसी लोकतंत्र की चपेट में पड़े कराह रहे हैं। जगह-जगह लोकतंत्र के नाम पर तानाशाहों, एक-आयामी विचारधाराओं और फर्जी सत्‍ताओं...

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