हाल में सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर दिल्ली में झुग्गी बस्तियों के 48 हजार परिवारों को अपनी जमीन से हटाने की रेलवे की पहल पर सरकार ने रोक लगा दी है। दिल्ली और देशभर में खलबली मचाने और गरीबों के...
अब ऐसा समय आ गया है जिसमें हमें विकास की अपनी समझ की गलती दिखाई देने लगी है, लेकिन फिर भी हम उसे मानना नहीं चाहते। यदि मान लेते तो शायद उसे बदलना नहीं, तो कम-से-कम सुधारना शुरु हो...
बढ़ते बैंक चार्जेस के कारण ग्राहकों के लिए बैंकों में अपना पैसा रखना मुश्किल होता जा रहा है। इस तरह की बैंकिंग प्रणाली से उनका भरोसा उठता जा रहा है। इन शुल्कों का भुगतान करने के बजाए ग्राहक अपनी...
गंगा को अब लोक राजनीति से ही बचा सकते हैं। यह लोक राजनीति के लिए सर्वश्रेष्ठ समय है। इस हेतु सभी अपनी निजी पहचान भूलकर एकाकर संगठित होकर लोक राजनीति में जुटें। गंगत्व बचाने का काम लोकतन्त्र में लोक...
विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे (कु) ख्यात व्यापारियों की मार्फत डूबे बैंकों के हजारों करोड़ रुपयों ने ‘एनपीए’ यानि डूबत खाते को सार्वजनिक बहस-मुबाहिसों का मुद्दा बना है। देश की अर्थव्यवस्था के साथ हुए इस खुले खेल ने...
6 अगस्त 2020 ‘हिरोशिमा दिवस’ : तबाही के 75 साल
युद्ध, और वह भी परमाणु युद्ध की मार्फत अपने तमाम अडौसी-पडौसियों को सीधा कर देने के लिए बावले होते आज के कथित ‘देशभक्तों’ को 75 साल पहले जापान के हिरोशिमा (6अगस्त)...
आजादी के बाद से हमारे देश में जिस तौर-तरीके का विकास हुआ है उसने आदिवासी इलाकों में उसे विनाश का दर्जा दे दिया है। खनन, वनीकरण, ढांचागत निर्माण और भांति-भांति की विकास परियोजनाओं ने आदिवासी इलाकों की मट्टी-पलीत कर...
कहा जाता है कि धरती की भी धारण करने की अपनी सीमा होती है। इस सीमा को पार करने के नतीजे जल, जंगल और जमीन की बौखलाहट के रूप में हम भुगत रहे हैं। हमारी लगातार बढ़ती आबादी साथ...
शहरीकरण के आधुनिक दौर में शहरी परिवहन मुनाफा कमाने और मुनाफाखोरी बढ़ाने का प्रमुख क्षेत्र है। कारों और मेट्रो के लिए बहुत महंगा भूतलीय, भूमिगत और उपरगामी परिवहन के ढांचे का विस्तार किया जा रहा है। यह सब नगरों-महानगरों...
राजेंद्र सिंह
लोकतंत्र में जब ’तंत्र’ ही ’लोक’ के विरोध में खड़ा हो जाता है, तो लोक भी संगठित होकर अपने को मजबूत बना लेता है। लेकिन सरकार ने यह काम एक महामारी के दौरान किया है; जिसमें सामाजिक दूरियों...