इन दिनों शाहरुख खान-दीपिका पदुकोण की फिल्म ‘पठान,’ हीरोइन द्वारा पहनी गई बिकिनी के भगवा रंग के कारण बवाल में है, लेकिन क्या यह केवल किसी खास रंग के मामूली बित्तेभर कपडे भर की बात है? क्या इस फिल्म...
पुस्‍तक समीक्षा आशीष दशोत्तर की किताब ‘घर के जोगी’ में जिन 54 कवियों, साहित्यकारों को संजोया गया है वे यूं तो दुनिया-जहान में साहित्‍य क्षेत्र के जाने-पहचाने नामधारी हैं और इस लिहाज से स्थानीय नहीं कहे जा सकते, लेकिन जब...
भाषा- शिक्षा, माध्यम और चुनौतियां विषय पर संगोष्ठी देवास, 6 जनवरी। म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन की देवास इकाई के एक प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन में भाषा- शिक्षा, माध्यम और चुनौतियों पर बात करते हुए संस्कृत और हिन्दी के ख्यात भाषा शास्त्री...
संतोष कुमार द्विवेदी भारत में कृषि के बाद सर्वाधिक रोजगार हाथकरघा व हस्तशिल्प उद्योग उपलब्ध कराता है। आवश्यकता इसके संरक्षण के साथ ही साथ इसे मशीनी आतंक से मुक्त कराने की भी है। नीलम वर्मा अपने सीमित संसाधनों के सहारे...
आधुनिक कला गुरुओं की श्रेणी में, एक नाम जो बीसवीं सदी की भारतीय कला का पर्याय है, वह है एम.एफ. हुसैन का। उन्होंने आधुनिक भारतीय कला के लिए एक धर्मनिरपेक्ष भाषा की कल्पना की, जिसने भारत की 'सामंजस्यपूर्ण संस्कृति'...
नई फिल्म ‘इन गलियों में’ एक ऐसी कहानी है जो भारत की विविधता का प्रतिनिधित्व करती है। यह फिल्म अलग-अलग धर्मों से ताल्लुक रखने वाले आर्थिक रूप से पिछड़े एक युवा जोड़े की प्रेम कहानी है। अवंतिका दसानी और...
कविताओं, वायलिन वादन, पेंटिंग और स्मृतियों का संगम होगा अनुपम आयोजन पानी का दरख़्त इंदौर, 5 नवंबर। समकालीन हिंदी कविता के शीर्ष कवि श्री चंद्रकांत देवताले के स्मृति में उनकी कविताओं पर आधारित एक अनूठा आयोजन 'पानी का दरख़्त' उनके...
जबलपुर की 'श्री जानकी बैंड ऑफ वुमन' ने सुरों में पिरोई कविताएं, सस्वर गान से श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध इंदौर 19 जनवरी । भारतीय संस्कृति और परंपराओं को आधुनिकता के साथ जोड़ने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है श्री जानकी बैंड...
करीब सवा तीन सौ साल पहले रुखसत हुए औरंगजेब की कब्र उखाड़ने से लगाकर बरसों पुराने गैर-हिन्दू उपासना-गृहों को खोदकर उन्हें हिन्दू साबित करने की मौजूदा हुलफुलाहट ने, एक समाज की हैसियत से हमें बेहद अज्ञानी और इतिहास-विमुख साबित...
दिनेश चौधरी दीगर चीजों के अलावा कोलकाता मुझे इसलिए भी अपनी ओर खींचता रहा कि यहाँ सत्यजीत रे रहा करते थे। कोलकाता अपने किस्म का अद्भुत शहर है और सत्यजीत रे अपने किस्म के अद्भुत फिल्मकार थे। किस्से- कहानियों की...

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