सीएम माझी ने दिये स्वास्थ्य सचिव को निर्देश

भुवनेश्वर, 19 मई । उड़ीसा में किडनी रोगियों के इलाज और ट्रांसप्लांट से जुड़ी गंभीर समस्याओं के संदर्भ में आज प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के साथ एक महत्‍वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में जन स्वास्थ्य अभियान इंडिया (JSA) के राज्य प्रतिनिधि श्री गौरंग महापात्र और किडनी ट्रांसप्लांट पेशेंट एसोसिएशन ओडिशा की अध्यक्ष सुश्री जयश्री बेहेरा ने हिस्‍सा लिया।

बैठक में मुख्यमंत्री को राज्यभर में किडनी रोगियों को हो रही तकलीफों, इलाज की सीमित सुविधा, दवाओं की अनुपलब्धता और विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी से अवगत कराया गया।
मुख्यमंत्री ने राज्य के स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिए कि इन मुद्दों की तत्काल समीक्षा कर ठोस कदम उठाए जाएं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि “किडनी रोगियों की समस्याएं हमारी प्राथमिकता में शामिल हैं। इलाज की गुणवत्ता, दवा की उपलब्धता और डॉक्टरों की नियुक्ति सुनिश्चित की जाए।”

बैठक के बाद JSA की टीम ने राज्य के मुख्य सचिव से भी मुलाकात की और किडनी ट्रांसप्लांट व्यवस्था को मजबूत बनाने हेतु नीतिगत सुधारों, डॉक्टरों की नियुक्ति, रोगियों की व्यापक जांच, दवाओं की नियमित आपूर्ति और सभी योग्य मरीजों को ‘निरामया’ योजना से जोड़ने जैसी जरूरी माँगें रखीं।

NAPM JSA india and kidney patient association representatives

इसके पूर्व रविवार को मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी को भेजे एक पत्र में, देश के 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्वास्थ्य और उससे जुड़े मुद्दों पर काम कर रहे संगठनों के इस राष्ट्रीय नेटवर्क ने कहा कि भले ही गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवन यापन करने वाले मरीजों को जिला अस्पतालों में मुफ्त डायलिसिस सुविधा देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (PMNDP) की शुरुआत की गई हो, लेकिन जमीनी हालात बेहद चिंताजनक हैं। किडनी ट्रांसप्लांट पेशेंट्स एसोसिएशन (KTPA) और JSA-ओडिशा द्वारा स्वास्थ्य विभाग, मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री को बार-बार ज्ञापन सौंपे जाने के बावजूद अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई है।

ओडिशा के एससीबी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, कटक राज्य में किडनी रोगियों के इलाज और ट्रांसप्लांट का प्रमुख केंद्र है। लेकिन यहां संसाधनों और विशेषज्ञ स्टाफ की भारी कमी के चलते इलाज व्यवस्था चरमरा गई है। नेफ्रोलॉजी विभाग में सिर्फ दो डॉक्टर (एक एसोसिएट प्रोफेसर और एक संविदा सहायक प्रोफेसर) कार्यरत हैं, जबकि सात स्वीकृत पद हैं। इन डॉक्टरों पर ओपीडी, इनपेशेंट केयर और ट्रांसप्लांट जैसे सभी कार्यों का बोझ है। इसका असर न केवल मरीजों की देखभाल पर, बल्कि विभाग के डीएम (नेफ्रोलॉजी) कोर्स की मान्यता पर भी पड़ सकता है। आश्चर्यजनक रूप से स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में एक नियमित सहायक प्रोफेसर को, एससीबी एमसीएच में मरीजों की भारी भीड़ के बावजूद, एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज, बेरहामपुर स्थानांतरित कर दिया।

जन स्वास्थ्य अभियान इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक गौरांग मोहपात्रा और अमूल्य निधि ने बताया कि मार्च 2025 की रिपोर्ट के अनुसार  राज्य में 15,752 क्रोनिक किडनी रोग (CKD) मरीजों की पहचान की गई, जिनमें से बीते तीन वर्षों में 4,000 से अधिक मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। ये मामले मुख्यतः कटक, संबलपुर, झारसुगुड़ा, कोरापुट, सुंदरगढ़ जैसे जिलों में सामने आए हैं।

एक आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, 2012 से 2022 तक एससीबी में केवल 190 ट्रांसप्लांट हुए, जिनमें से 42 मरीजों की मृत्यु हो गई। वर्तमान में केवल 55 मरीजों को ही ‘निरामया योजना’ के तहत दवा मिल रही है, जबकि 66 मरीजों का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। वहीं प्रतिबंधित दवाओं के गलत उपयोग और निगरानी की कमी के चलते 27 से अधिक मरीजों की मौत भी दर्ज की गई है।

किडनी ट्रांसप्लांट पेशेंट एसोसिएशन ओडिशा की अध्यक्ष सुश्री जयश्री बेहेरा ने कहा – “हम राज्य में किडनी रोगियों की जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बार-बार ज्ञापन देने के बावजूद अब तक प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।”

जन स्वास्थ्य अभियान इंडिया (JSA) ने आज स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव को एक पत्र लिखकर राज्यभर में किडनी रोगियों की व्यापक जांच एवं स्क्रीनिंग, एससीबी समेत अन्य केंद्रों पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की त्वरित नियुक्ति, ट्रांसप्लांट के बाद आवश्यक दवाओं की नियमित आपूर्ति, ‘निरामया’ योजना के तहत सभी योग्य मरीजों को पंजीकृत करना, नीतिगत सुधारों के ज़रिए मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करना जैसी मांगे रखीं ।