1 से 7 जून तक औरंगाबाद में राष्ट्रीय युवा संगठन का 29वां राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर
औरंगाबाद (महाराष्ट्र), 4 मई। आज का भारत जिन सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक संकटों से जूझ रहा है, वह युवाओं से सिर्फ सवाल नहीं, ठोस पहल की भी मांग करता है। इन्हीं चुनौतियों को सामने रखकर राष्ट्रीय युवा संगठन ने इस वर्ष के राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर की थीम रखी है— “क्या कोई राष्ट्र अपने नागरिकों की स्वतंत्रता में भेदभाव कर गर्व से सिर उठा सकता है?” यह सवाल अब्राहम लिंकन के ऐतिहासिक वक्तव्य से लिया गया है, जिसे आज के भारतीय संदर्भ में फिर से जीने और समझने की कोशिश इस शिविर में की जाएगी।
यह सात दिवसीय शिविर 1 से 7 जून 2025 तक महाराष्ट्र के औरंगाबाद (अब छत्रपति संभाजीनगर) स्थित महात्मा गांधी मिशन विश्वविद्यालय, गांधेली परिसर, औरंगाबाद में आयोजित होगा। शिविर में देशभर के युवा भाग ले सकेंगे और समकालीन भारत में लोकतंत्र, स्वतंत्रता, समानता और सामाजिक न्याय के सवालों पर चिंतन और संवाद करेंगे।
शिविर केवल विचार विमर्श का मंच नहीं है, यह युवा प्रतिभागियों को सक्रिय नागरिकता, सहभागिता, श्रम, अनुशासन और सादगी के माध्यम से सामाजिक बदलाव के रास्ते खोजने का अभ्यास भी कराता है। यहाँ वे साथ मिलकर काम करेंगे, श्रमदान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेंगे और विचारों को जाँचने-परखने की एक जीवंत प्रक्रिया से गुजरेंगे।
शिविर में भारतीय समाज और संस्कृति का विकास, सांस्कृतिक नायकों की भूमिका, आज़ादी और असमानता के बीच के संबंध, गांधी की सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि, हिन्दू-मुस्लिम संवाद और उसकी ज़रूरत, सामाजिक न्याय की चुनौतियाँ, और संविधान व लोकतंत्र की कसौटी जैसे विषयों पर संवाद और मंथन किया जाएगा।
शिबिर में शामिल होने के लिए पंजीयन शुल्क ₹100 रखा गया है, जिसमें रहने और खाने की व्यवस्था आयोजकों द्वारा की जाएगी। प्रतिभागियों को 31 मई की शाम तक शिविर स्थल पर पहुंचना अनिवार्य होगा। शिविर में लाने योग्य वस्तुओं में नोटबुक, कलम, हल्के व आरामदायक कपड़े, योग-श्रमदान के लिए अलग पोशाक, कोई सांस्कृतिक प्रस्तुति हो तो उसकी सामग्री, और आवश्यक दवाएं शामिल हैं।
शिविर में किसी भी प्रकार के नशे, कीमती सामान, या अनावश्यक खर्च की वस्तुओं की मनाही है। यहाँ सादगी, अनुशासन और सहभागिता को प्रमुख मूल्य माना जाता है।
उक्त जानकारी राष्ट्रीय युवा संगठन के राष्ट्रीय संयोजन समिति के ज्ञानेश्वर, मनोज और प्रेरणा ने दी।