तत्कालीन समय और समाज के झरोखे खोलती प्रदर्शनी
नई दिल्ली, 5 मई। इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) की चित्रदीर्घा दर्शनम्-2 में लगी विशिष्ट प्रदर्शनी ‘टाइमलेस मोमेंट : द आर्टिस्ट्री ऑफ आईकॉनिक फ्रेम्स’ (कालातीत क्षण: आईकॉनिक फ़्रेमों की कलात्मकता) हमें नॉस्टेल्जिया में ले जाती है। सुप्रसिद्ध फोटो जर्नलिस्ट एवं द इंडियन एक्सप्रेस के फोटो संपादक (1962–1992) रहे रोशन लाल चोपड़ा के फोटोग्राफ पर आधारित यह प्रदर्शनी हमारे ज़ेहन में तत्कालीन समय और समाज के झरोखे खोलती है। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने किया था। इस अवसर पर प्रख्यात पत्रकार, पूर्व राज्यसभा सांसद एवं पूर्व राजदूत श्री एच.के. दुआ भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
इस फोटोग्राफी प्रदर्शनी के क्यूरेटर स्व. रोशन लाल चोपड़ा के पुत्र श्री रवि चोपड़ा और डॉ. शोभना राधाकृष्ण हैं। क्यूरेटर रवि चोपड़ा ने बताया कि यह प्रदर्शनी रोशन लाल चोपड़ा के ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ फोटोग्राफ के माध्यम से भारतीय समाज के विविध आयामों- मानवीय संवेदनाओं, जनजीवन, और ऐतिहासिक क्षणों को जीवंत करती है। प्रदर्शित चित्रों में 1961 से 1992 के भारत की झलक देखने को मिलती है, जो उस समय के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य को उजागर करती है। ये फोटो अपने समय और समाज की कहानी प्रभावशाली तरीके से कहते हैं। इस प्रदर्शनी में रोशन लाल चोपड़ा द्वारा खींचे गए ऐतिहासिक क्षणों की दुर्लभ झलकियां प्रस्तुत की गई हैं, जिनमें दिल्ली सहित भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिवेश को संवेदनशीलता और तकनीकी दक्षता के साथ कैद किया गया है।

इस प्रदर्शनी में दिल्ली के साउथ बलॉक का दृश्य, बरसात में राजपथ पर ड्यूटी करते पुलिसकर्मी, तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. ज़ाकिर हुसैन के साथ गुफ़्तगू करते डॉ. कर्ण सिंह, उमस भरी गर्मी में पेड़ के नीचे खाट पर आराम करते आम लोग, तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की एक सभा का विहंगम दृश्य, चांदनी चौक का प्रसिद्ध चाटवाला, कनॉट प्लेस का विहंगम दृश्य, विजय चौक पर प्रसिद्ध डांसिंग ट्रैफिक पुलिसकर्मी, श्री मोरारजी देसाई और के. कामराज की मीटिंग, 1965 में लाल किले की प्राचीर से भाषण देते प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, गर्मियों की कड़ी दोपहरी में लाल किला के पीछे आराम करते रिक्शाचालक, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान वाघा बॉर्डर, मध्य प्रदेश में लोकनायक जयप्रकाश के सामने आत्मसमर्पण करते दस्यु, अमृतसर का स्वर्ण मंदिर सहित स्व. रोशन लाल चोपड़ा के 98 छायाचित्र शामिल हैं।
यह प्रदर्शनी प्रख्यात फोटो पत्रकार रोशन लाल चोपड़ा को एक भावभीनी श्रद्धांजलि है। चोपड़ा ने अपने 30 वर्षों के करियर (1961–1992) में ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के फोटो एडिटर के रूप में भारतीय फोटो पत्रकारिता में मील का पत्थर स्थापित किया। उनके फोटोग्राफ्स महज दस्तावेज़ नहीं, बल्कि एक युग की संवेदनाओं और घटनाओं की कलात्मक व्याख्या हैं।
यह प्रदर्शनी आईजीएनसीए और चोपड़ा के परिजन के सहयोग से आयोजित की गई है। प्रदर्शनी का अवलोकन आईजीएनसीए की चित्रदीर्घा- दर्शनम् 2 में 9 मई तक प्रतिदिन सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक किया जा सकता है।