पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा की चौथी पुण्यतिथि पर प्रसिद्ध समाजसेवी सोनम वांगचुक ने कहा

उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून में प्रसिद्ध पर्यावरणविद् स्व० सुंदरलाल बहुगुणा की चौथी पुण्यतिथि पर चिपको आंदोलन के प्रख्यात लोक कवि स्व० घनश्याम सैलानी जी को मरणोपरांत “सुंदरलाल बहुगुणा हिमालय प्रहरी सम्मान” दिया गया। इसके साथ ही यह सम्मान 85 वर्षीय दीक्षा बिष्ट को महिला अधिकार और पर्यावरण संरक्षण में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मानित किया गया है। इस सम्मान समारोह में देश के प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और मैग्सेसे पुरस्कार विजेता लद्दाख के प्रसिद्ध समाजसेवी सोनम वांगचुक की गरिमामय उपस्थिति रही। उन्हीं के कर कमलों के द्वारा दो महान विभूतियों को सम्मान दिया गया।

इस अवसर पर सोनम वांगचुक ने कहा कि विकास के नाम पर पहाड़ी राज्यों के साथ न्याय नहीं हो रहा है। जो विकास जनता से पूछ कर किया जाना चाहिए था। वह कॉर्पोरेट के दबाव में किया जा रहा है। जिसको रोकने के लिए पहाड़ी राज्यों की जनता को संघर्ष के रास्ते पर आगे आना चाहिए। उन्होंने स्व० सुंदरलाल बहुगुणा को याद करते हुए कहा कि वे उनकी प्रेरणा से लद्दाख और हिमालय की समस्याओं को देश और दुनिया के सामने रख रहे हैं। जिसके लिए उन्होंने उपवास के साथ-साथ लद्दाख के आदिवासियों की समस्या और सीमांत क्षेत्र में रहने वाले लोगों की जीवन और जीविका की रक्षा के साथ सीमा पर डटे हुए जवानों के समर्थन में पिछले दिनों लद्दाख से दिल्ली तक पैदल यात्रा भी की है। उन्होंने यह भी कहा कि यह तर्कसंगत नहीं होगा कि इस दल की सरकार का किया हुआ काम ठीक है और उस दल का नहीं है। इसलिए सभी पहले अपने-अपने घर को ठीक करें, तभी जाकर के दूसरे पर सवाल उठाना चाहिए।

सोनम वांगचुक ने कहा कि हिमालय राज्यों के मौजूदा विकास के प्रभाव के विषय पर केंद्र सरकार को बहुत गंभीरता से विचार करना पड़ेगा। उन्होंने अपने ओजस्वी भाषण में कहा कि सामरिक दृष्टि से यदि तुलना की जाए तो भारत की स्थिति चीन और पाकिस्तान से काफी मजबूत है। युद्ध के साजो सामान में तीनों अपने-अपने हिसाब से मजबूत हो सकते हैं। लेकिन भारत के लद्दाख और उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्र में निवास कर रहे नागरिक देश के प्रति समर्पित हैं। जबकि पाकिस्तान के सीमावर्ती बलूचिस्तान और चीन का तिब्बत हमेशा विद्रोह की स्थिति में खड़ा रहा है। लद्दाख और उत्तराखंड के नागरिकों की समस्याओं पर अपेक्षित सुधार नहीं हो पा रहा है। उनका कहना था कि केंद्र सरकार ने जब जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाई थी तो लद्दाख को केंद्र शासित राज्य बनाया है। इस उम्मीद के साथ उन्होंने भाजपा को वोट दिया। लेकिन अब  सामने आ रही है कि जो आश्वासन दिया गया था। उसके विपरीत लद्दाख क्षेत्र का न तो कोई प्रतिनिधि लोकसभा में है और न ही कोई विधानसभा में चुनकर के जाता है। इसलिए लद्दाख की समस्या को किसके पास बोले?

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हिमालयन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० राजेंद्र डोभाल ने की वे वर्तमान में सुंदरलाल बहुगुणा द्वारा रचनात्मक कार्यों के लिए स्थापित सामाजिक संस्था पर्वतीय नवजीवन मॉडल, सिल्यारा के भी अध्यक्ष है। उन्होंने इस विषय पर सोनम वांगचुक का आभार व्यक्त किया और सुंदरलाल बहुगुणा जी के महान योगदान की चर्चा की हैं। इस अवसर पर पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा, समीर रतूड़ी, योगेश धस्माना, मधु पाठक, डॉ० अरविंद दरमोडा,कमला पंत  ने अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर उत्तराखंड के प्रसिद्ध जनकवि अतुल शर्मा ने उत्तराखंड नदी बचाओ अभियान के गीत”नदी तू बहती रहना” और “अब नदियों पर संकट है, सारे गांव इकट्ठा हो”की आवाज से वातावरण गूंजायमान हो उठा।

इस अवसर पर सुरेश भाई ने सोनम वांगचुक को उनके आंदोलन पर लिखे हुए दर्जन भर लेख भेंट किये। देहरादून में यह कार्यक्रम नगर महापालिका के टाउन हॉल में आयोजित किया गया।