न्यायाधीश को सिर्फ निष्पक्ष और स्वतंत्र होना ही नहीं चाहिए, बल्कि दिखना भी चाहिए। इसी के बाद वह शब्द हमें ज्यादा सुनाई देने लगा, जिसे अंग्रेजी में Recuse कहते हैं। जब न्यायाधीश या कमेटी का कोई सदस्य अपने स्वविवेक...
‘गुरुदेव’ रवीन्‍द्रनाथ टैगोर की बात करें तो राष्‍ट्रवाद और आत्‍मनिर्भरता का उल्‍लेख आ ही जाता है, लेकिन क्‍या उनके हवाले से ये दोनों मूल्‍य ठीक उसी तरह जाने-पहचाने जा सकते हैं जिस तरह आजकल इन्‍हें उपयोग किया जा रहा...
किसान और सरकार वार्ता के छः दौर पूरे हुए है। सीधी मामूली माँग है। किसान विरोधी जो तीन कानून अलोकतांत्रिक तरीके से बनाये है, उन्हें जल्दी से जल्दी रद्द करो। इस मांग के ऊपर ज्यादा संवाद या वार्ता में...
गैर-सरकारी समाजसेवी संस्‍थाएं सरकार से समान दूरी रखते हुए उसे आइना दिखाते रहने के लिए भी खडी की जाती रही हैं, लेकिन आजकल इन संस्‍थाओं का चाल-चरित्र और चेहरा बदल-सा गया है। ‘एनजीओ’ के नाम से पुकारी जाने वाली...
नागरिकों की नाराज़गी शायद इस बात को लेकर ज़्यादा है कि उनके ‘तात्कालिक भय’ अब उन्हें एक ‘स्थायी भयावहता’ में तब्दील होते नज़र आ रहे हैं। बीतने वाले प्रत्येक क्षण के साथ नागरिकों को और ज़्यादा अकेला और निरीह...
अहिंसा का रास्ता ही लोकनायक जे.पी. ने पकड़ा था। उनके बनाये सम्पूर्ण क्रांतिदूतों ने भी अहिंसा को ही अपनाया है। इनके जीवन में अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्यचर्य, असंग्रह, शरीर-श्रम, अस्वाद, सर्वत्र भयवर्जन, सर्वधर्म समानत्व, स्वदेशी स्पर्श भावना को...
मुद्दा यह भी है कि नीतीश के ख़िलाफ़ नाराज़गी कितनी ‘प्राकृतिक’ है और कितनी ‘मैन्यूफ़्रैक्चर्ड’ ।और यह भी कि भाजपाई शासन वाले राज्यों के मुक़ाबले बिहार की स्थिति कितनी ख़राब है ?किसी समय मोदी के मुक़ाबले ग़ैर-कांग्रेसी विपक्ष की...
प्रधानमंत्री की अगुआई में देशभर में ‘आत्‍मनिर्भरता’ की दुंदुभी बज रही है। लगभग हरेक क्षेत्र में आत्‍मनिर्भर बनने की जुगत बिठाई जा रही है, लेकिन क्‍या मौजूदा विकास के ताने-बाने के साथ-साथ वास्‍तविक आत्‍मनिर्भरता संभव हो सकेगी? क्‍या इस...
चिंता इस बात की नहीं है कि एक पारसी मालिक के आधिपत्य वाली कम्पनी द्वारा जारी विज्ञापन का इतने आक्रामक तरीक़े से विरोध किया गया ( गांधीधाम, गुजरात में तो धमकियों के बाद ‘तनिष्क’ के एक शोरूम के बाहर...
सात दशक पहले, आजादी के आसपास के महात्‍मा गांधी को देखें तो इन सवालों के जबाव पाए जा सकते हैं। केवल दो बातों - आर्थिक और राजनीतिक के बारे में गांधी क्‍या कहते थे? गांधी विचार की प्राथमिक पाठशाला...

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