स्मृति शेष
यदि आप जैसलमेर की किसी भी गली में यह पूछें कि क्या किसी ने गोडावण देखा है, तो जवाब में राधेश्याम विश्नोई Radheshyam Pemani Bishnoi का नाम अवश्य सुनने को मिलेगा। गोडावण, यानी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड—वह दुर्लभ...
गांधी विचार को मानने वालों में बेहद वरिष्ठ और सम्मानित राधा बहन अपनी देशभर की अनेक जिम्मेदारियों के अलावा बरसों से हिमालय में रहकर उसकी बर्बादी भी देख रही हैं। वे बस भर उन योजनाओं पर उंगली उठाती...
पर्यावरणविद् राजेन्द्र सिंह से कुमार सिद्धार्थ की बातचीत
मध्यप्रदेश–राजस्थान की सीमा पर एक आमफहम-सी, साल के अधिकांश समय सूखी रहने वाली नदी थी–सैरनी। यह इलाका डकैती के अलावा भीषण गरीबी की चपेट में है, इतनी गरीबी कि वहां बसी सहरिया...
जलवायु परिवर्तन और जल संरक्षण के क्षेत्र में तीन दशकों से सक्रिय हैं रंजन पांडा
देश के अग्रणी पर्यावरणविदों में से प्रमुख रंजन पांडा, जिन्हें ‘वॉटर मैन ऑफ ओडिशा’ और ‘क्लाइमेट क्रूसेडर’ के रूप में जाना जाता है, को...
वरिष्ठ पत्रकार, संपादक और भारतीय कार्यरत पत्रकार महासंघ (IFWJ) के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे कोटमराजू विक्रम राव का 12 मई 2025 को लखनऊ में 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से श्वसन...
संघमित्रा गाडेकर (उमा जी) की चुपचाप हुई विदाई के साथ जैसे एक युग भी विदा हो गया—राजघाट की स्मृतियाँ, सर्वोदय शिविरों की ऊष्मा और खादी में लिपटी उनकी शांत उपस्थिति अब स्मरण में रह गई हैं। वे एक चिकित्सक...
संपूर्ण क्रांति विद्यालय, सर्वोदय आंदोलन और परमाणु-विकिरण विरोधी अभियानों की एक निर्भीक आवाज अब खामोश हो गई है
सूरत, 29 अप्रैल। सर्वोदय आंदोलन की वरिष्ठ नेत्री, चिकित्सक, गांधीवादी कार्यकर्ता और परमाणु ऊर्जा नीति की आलोचक डॉ. संघमित्रा गाडेकर Dr....
इंदौर, 23 अप्रैल। पद्मश्री डॉ. जनक पलटा मगिलिगन के दिवंगत पति, ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर से सम्मानित जेम्स (जिम्मी) मगिलिगन की 14वीं पुण्यतिथि पर आयोजित ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट सप्ताह’ का समापन ग्राम सनावादिया स्थित उनके निवास गिरिदर्शन में एक प्रार्थना...
जब दुनिया ने बदलाव के लिए हिंसा का शोर चुना, तब विनोबा भावे ने मौन पदचाप से क्रांति की इबारत लिखी।
18 अप्रैल 1951 को पोचमपल्ली से शुरू हुआ भूदान आंदोलन इस विश्वास का प्रतीक बन गया कि सच्चा परिवर्तन...
दरिपल्ली रामैया का जीवन पर्यावरण संरक्षण की जीवंत मिसाल रहा। उन्होंने अकेले ही एक करोड़ से अधिक पौधे रोपकर बंजर ज़मीनों को हरित बना दिया। बीज जेब में और पौधों का सपना आंखों में लिए वे जीवन भर पेड़...