जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट में विश्व पर्यावरण दिवस समारोह
इंदौर 5 जून । विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट, इंदौर में पर्यावरण संवाद सप्ताह के अंतिम दिन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस वर्ष का आयोजन संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा घोषित विषय पर आधारित सप्ताह भर चलने वाले संवाद का कार्यक्रम था। कार्यक्रम में समाज के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपने विचार और प्रयास साझा किए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वक्ता प्रसिद्ध हिंदी क्रिकेट कमेंटेटर और पद्मश्री से सम्मानित श्री सुशील दोशी ने कहा, “कोई भी काम या पहल तभी सफल हो सकती है जब उसमें कड़ी मेहनत और सच्ची रुचि हो।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि हम पर्यावरण के प्रति आभारी होंगे, तो उसे संरक्षित करने के लिए सामूहिक प्रयास भी कर सकेंगे। उन्होंने जीवन में सद्भावना और सामंजस्य की आवश्यकता पर बल दिया तथा डॉ. जनक पलटा मगिलिगन को प्रकृति और सामाजिक चेतना से जोड़ने वाली प्रेरक व्यक्तित्व बताया।
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. भरत रावत ने कार्यक्रम की शुरुआत शंखनाद से की और सादगीपूर्ण जीवन की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, “अधिकार और पैसा पर्यावरणीय क्षरण को जन्म देते हैं; जबकि सीमित आवश्यकताएं ही संतुष्टि और संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं।”
नृत्यांगना नित्या बत्रा ने कथक नृत्य के माध्यम से माँ प्रकृति की पीड़ा और आक्रोश को प्रभावशाली रूप से मंच पर प्रस्तुत किया, जो प्रदूषण और संसाधनों के दोहन के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है।
युवा उद्यमी वरुण रहेजा ने डॉ. जनक पलटा से अपनी इंटर्नशिप के अनुभव साझा करते हुए सोलर ड्रायर के उपयोग और ‘स्थानीय उत्पादन’ को बढ़ावा देने के संकल्प की बात कही। उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी “रहेजा सोलर फूड प्रोसेसिंग” आंगनवाड़ी और मातृ-शिशु कार्यक्रमों में स्थानीय फलों से बने लड्डू उपलब्ध कराएगी।
श्रीमती शुभा चटर्जी, प्राचार्य, IATV इंदौर, ने 11 वर्षों के अंतराल के बाद एमएससी बायोटेक्नोलॉजी पूरी करने के अनुभव साझा किए और प्लास्टिक कचरा कम करने की पहल की जानकारी दी। उन्होंने स्टूडेंट्स को स्टील लंच बॉक्स लाने के लिए प्रोत्साहित किया और ‘मैं प्लास्टिक हूँ’ शीर्षक से एक प्रस्तुति देकर प्लास्टिक से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को दर्शाया।
वैद्य शेफाली ने सिल्वर स्प्रिंग्स समुदाय की पहल साझा की जिसमें आयोजनों के लिए बर्तन बैंक, ऑनलाइन शॉपिंग में कटौती और डिस्पोज़ेबल आइटम्स का त्याग जैसे संकल्प शामिल हैं।
प्रोफेसर राजीव संगल ने मालवांचल विश्वविद्यालय की ‘नो-प्लास्टिक’ पहल साझा करते हुए कहा कि आर्थिक संसाधन केवल समस्या का समाधान नहीं हैं; इसके लिए मानसिक और सामाजिक बदलाव जरूरी है।
रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अनुराग शुक्ला ने कहा, “सस्टेनेबिलिटी कोई खरीदी जाने वाली वस्तु नहीं है। हवा, पानी, भोजन, आश्रय और स्वास्थ्य – ये पाँच मूलभूत ज़रूरतें हैं जो प्रकृति से सहज रूप से मिलती हैं।“
इस अवसर पर डॉ. जनक पलटा मगिलिगन ने प्रारंभिक संबोधन में 1992 के रियो ‘अर्थ समिट’ में भागीदारी और उसके प्रभाव को साझा करते हुए इंदौर में सस्टेनेबल जीवनशैली अपनाने की यात्रा बताई। उन्होंने दो स्थानों – बरली इंस्टिट्यूट और जिम्मी मगिलिगन सेंटर – को बंजर भूमि से ‘जीरो वेस्ट, प्लास्टिक-फ्री, सस्टेनेबल’ केंद्रों में रूपांतरित करने के अनुभव साझा किए।
उन्होंने कहा, “प्लास्टिक का त्याग कर स्टील का गिलास, बोतल और कपड़े का थैला साथ रखना – यह पर्यावरण की रक्षा की दिशा में पहला और प्रभावी कदम है।” उन्होंने अपनी सस्टेनेबिलिटी की परिभाषा दी: “सभी प्राणियों के साथ सदभावना वाले जीवन के साथ विश्व का कल्याण मैं करुंगी। इसके लिए वैश्विक रूप से सोचकर, स्थानीय स्तर पर स्वयं से शुरू करती हूँ।”
वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और फाउंडेशन के ट्रस्टी श्री वीरेंद्र गोयल ने सभी सहभागियों को धन्यवाद दिया और आज से प्लास्टिक कचरा कम करने की व्यक्तिगत शपथ ली।