स्वास्थ्य अधिकार मंच द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई; क्लिनिकल ट्रायल का कड़वा सच, भारत में 6500 मौतें और 27,890 गंभीर असर
नई दिल्ली 30 अप्रैल । सुप्रीम कोर्ट ने अहमदाबाद में हुए अनैतिक और अवैध क्लिनिकल ट्रायल के मामले में भारत सरकार से जवाब तलब किया है। यह आदेश स्वास्थ्य अधिकार मंच द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी हुआ। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट के समक्ष यह गंभीर मुद्दा रखा कि किस प्रकार बहुराष्ट्रीय फार्मा कंपनियाँ देश के गरीब व कमजोर तबके को कानूनी सुरक्षा के बिना गिनी पिग की तरह प्रयोग कर रही हैं। न्यायालय ने सरकार को इस याचिका में उठाए गए तथ्यों और आंकड़ों का संज्ञान लेते हुए विस्तृत जवाब देने के लिए कहा है।
याचिका में मध्यप्रदेश, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में अनैतिक क्लिनिकल ट्रायल की घटनाओं का हवाला दिया गया है। फार्मा कंपनियाँ, डॉक्टर और संस्थान इस प्रक्रिया से करोड़ों रुपये कमा रहे हैं, जबकि जिन लोगों पर यह परीक्षण किए जाते हैं, उन्हें 200-500 रुपये की मामूली राशि दी जाती है। मृत्यु या गंभीर प्रतिकूल प्रभाव (SAE) की स्थिति में पीड़ितों को मुआवजा तक नहीं दिया जाता।
2005 से 2020 के बीच भारत में क्लिनिकल ट्रायल के दौरान 34390 मामले दर्ज हुए, जिनमें 6500 मौतें और 27890 गंभीर प्रतिकूल प्रभाव शामिल हैं।
वरिष्ठ वकील संजय पारिख ने अदालत को बताया कि अहमदाबाद नगर निगम द्वारा संचालित एक सार्वजनिक अस्पताल में 2021 से अब तक लगभग 500 मरीजों पर 58 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दवा कंपनियों द्वारा परीक्षण किए गए। ये ट्रायल बिना अनिवार्य नैतिक समिति की अनुमति के किए गए, जो नई औषधि एवं क्लिनिकल ट्रायल नियम, 2019 के उल्लंघन में है। उन्होंने यह भी बताया कि निजी दवा कंपनियों द्वारा डॉक्टरों के निजी बैंक खातों में 17 से 20 करोड़ रुपये जमा किए गए हैं, जैसा कि समाचार रिपोर्ट्स में उजागर हुआ है।
अदालत ने भारत सरकार को 23 अप्रैल 2025 को दायर हलफनामे पर विस्तृत जवाब देने और याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए अन्य मुद्दों पर भी स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है।
स्वास्थ्य अधिकार मंच की अमूल्य निधि ने कहा कि, “हम जन स्वास्थ्य अभियान, राजस्थान नागरिक मंच, ड्रग ट्रायल पीड़ित संघ, भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन और अन्य के साथ मिलकर इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर करते रहेंगे।”
जगदीश पटेल (जन स्वास्थ्य अभियान, गुजरात इकाई) ने बताया कि उन्होंने पहले ही गुजरात सरकार को पत्र लिखकर अहमदाबाद में इन अनैतिक परीक्षणों पर चिंता जताई थी।
एन. डी. जयप्रकाश (भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन, भोपाल गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति) ने बताया कि, भोपाल गैस त्रासदी से बचे लोगों पर भी क्लिनिकल ट्रायल किए गए, जिससे कई मौतें और SAE हुए हैं।
इंदौर में कुछ डॉक्टरों द्वारा अनैतिक परीक्षण से पाँच करोड़ से अधिक की कमाई और 81 प्रतिकूल घटनाएं (मौतें व SAE) सामने आई हैं। राजस्थान के अनिल गोस्वामी, बसंत हरियाणा, सोहन लाल ने बताया कि राज्य में 213 क्लिनिकल ट्रायल हुए, जिनमें 95 मौतें हुईं। वर्ष 2018 में जयपुर में भी अनैतिक परीक्षण हुए थे।
जन स्वास्थ्य अभियान इंडिया के एस. आर. आज़ाद, , राजस्थान नागरिक मंच के अनिल गोस्वामी, बसंत हरियाणा , ड्रग ट्रायल पीड़ित संघ के सोहन लाल, प्रदीप गहलोत, दत्तात्रय तारस ने कहा कि स्वास्थ्य अधिकार मंच और सहयोगी संगठन इस मुद्दे को लेकर न्याय की मांग जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।