रतलाम, 8 जून। पर्यावरण विषयक राष्ट्रीय हिंदी मासिक पत्रिका ‘पर्यावरण डाइजेस्ट’ पर प्रस्तुत शोधकार्य के लिए दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, बोधगया ने शोधार्थी रूचि कुमारी को डॉक्टरेट (पीएच.डी) की उपाधि प्रदान की है। उन्होंने “पर्यावरण विमर्श के विकास में पर्यावरण डाइजेस्ट पत्रिका का योगदान” विषय पर हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर सुरेशचंद्र के निर्देशन में यह शोध प्रबंध प्रस्तुत किया। उल्‍लेखनीय है कि मध्‍यप्रदेश के रतलाम जिले से प्रकाशित ‘पर्यावरण डाइजेस्ट’ हिंदी की एक अग्रणी मासिक पत्रिका है, जो विगत चार दशकों से जल, जंगल, जमीन और पारिस्थितिकी से जुड़े मुद्दों को गंभीरता से उठाती रही है।

Ruchi Kumari

कोलकाता (पश्चिम बंगाल) निवासी रूचि कुमारी ने विश्वभारती, शांतिनिकेतन से हिंदी साहित्य में परास्नातक की डिग्री प्राप्त की थी। तत्पश्चात उन्होंने पर्यावरण पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाली पत्रिका पर्यावरण डाइजेस्ट को अपने शोध का केंद्र बनाकर यह कार्य पूर्ण किया।

पत्रिका के संपादक डॉ. खुशालसिंह पुरोहित ने जानकारी दी कि पर्यावरण डाइजेस्ट का प्रकाशन वर्ष 1987 में रतलाम से आरंभ हुआ था। विगत चार दशकों में पत्रिका में देशभर के विशेषज्ञों, चिंतकों और पर्यावरणविदों के 4,500 से अधिक लेख एवं समाचार प्रकाशित हो चुके हैं, जो जनचेतना और पर्यावरण संवाद के सेतु बने हैं। यह पत्रिका जनआंदोलनों, पर्यावरण नीतियों और वैकल्पिक विकास के विमर्श को समर्पित रही है। अनेक शोधार्थियों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए यह एक संदर्भ स्रोत रही है। इसके लेखों में स्थानीय अनुभवों से लेकर वैश्विक पर्यावरण संकटों तक की झलक मिलती है।

Prof. Suresh Chandra

शोध निर्देशक प्रो. सुरेशचंद्र का हिंदी साहित्य, विशेषतः दलित विमर्श और रामकाव्य पर गंभीर अकादमिक योगदान रहा है। उन्होंने वर्ष 1997 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पी.एच.डी प्राप्त की थी और वर्तमान में दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय में भारतीय भाषा एवं साहित्य स्कूल के डीन पद पर कार्यरत हैं।

डॉ. पुरोहित ने प्रो. सुरेशचंद्र और शोधार्थी रूचि कुमारी को पर्यावरण-संवाद और लोक-साहित्य को जोड़ने की दिशा में किए गए उनके प्रयासों के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की हैं और इस शोध को पर्यावरण डाइजेस्ट की अब तक की यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण मान्यता बताया।